कीटनाशक खाने पर पशुओं का उपचार
कीटनाशक दवाईयाँ जो पौधों पर छिड़की जाती है, इनके सीधे सम्पर्क में आने या इनके छिडके हुए चारे या घास को खाने से यह विषाक्तता होती है |
पशुओं में लक्षण :-
इस विषाक्तता में पशु में उत्तेजना , मांसपेशियों में कँपकपी एवं थरथराहट, दुर्बलता, पक्षाघात, मुँह से लार बहना एवं दांतों का किटकिटाना, शवास काष्ट, लडखडाना, बार – बार मूत्र का त्यागना इत्यादी लक्षण दिखाई देते हैं |
उपचार :-
- सेलाइन परगेटिव (मैगसल्फ़) या सक्रिय चारकोल देना चाहिए | आयली परगेटिव नहीं देना चाहिए |
- एट्रोपीन सल्फेट 0.2 – 0.5 मि.ग्रा. प्रति किलोग्राम शरीर भर के अनुसार मांस में देना चाहिए |
- सोडियम फिनोबार्बीटाल 5 ग्राम नस में देना चाहिए |
- पशुओं के बाहरी शरीर पर विष लगा हो तो इसको साबुन से धो देना चाहिए |
मैलाथियान एवं पैराथियान विषाक्तता
कृषि रसायनों से मिला अनाज एवं शाक – सब्जी अथवा एसे फसल जिस पर कीटनाशक का छिड़काव तुरंत किया गया हो को खाने से यह विषाक्तता होती है |
लक्षण :-
वमन की इच्छा अथवा वमन, उड़द शूल, अतिसार, मांसपेशियों में एंठन एवं फडकन , बेहोस हो जाना तथा शवास क्रिया बन्द हो जाने से पशुओं की मृत्यु हो जाती है |
उपचार :-
- एट्रोपीन सल्फेट इंजेक्शन गाय या भैंस में 0.25 मि.ग्रा. प्रति किलोग्राम भार पर एक तिहाई नस में तथा दो तिहाई मांस में देना चाहिए |
- पाइरीडीन – 2 – अल्डोक्साईम (2 – पाम) को 20 – 50 मि.ग्रा. प्रति किलोग्राम शरीर भर पर नस में देना चाहिए इस दवा का असर , लक्षण प्रकट होने के तुरन्त बाद देना चाहिए अन्यथा दवा प्रभावशाली नहीं रह पाता है |