सोयाबीन एवं धान की फसल को अभी कीट से कैसे बचाएं
कृषि वैज्ञानिकों ने कम बारिश वाले क्षेत्रों के किसानों को धान फसल की सतत निगरानी करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे क्षेत्रों की धान फसलों में कटुआ कीट की आशंका है। सूखे खेतों में कटुआ इल्ली का प्रकोप होने पर डाइक्लोरोवास एक मिली लीटर एक लीटर पानी में घोल कर 200 लीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए। जिन खेतों में पानी भरा है और वहां कटुआ इल्ली दिखाई दे तो एक लीटर मिट्टी तेल प्रति एकड़ की दर से खेतों के पानी में डालकर पौधों के ऊपर रस्सी चलाना चाहिए, ताकि इल्लियां मिट्टी तेल युक्त पानी में गिरकर मर जाएं।
कृषि बुलेटिन में कहा है कि धान फसल में हानिकारक कीड़ों पर सतत निगरानी रखना चाहिए। इसके लिए प्रकाश प्रपंच उपकरण का उपयोग किया जा सकता है। प्रकाश प्रपंच उपकरण फसल से थोड़ी दूर पर लगाकर शाम 6.30 से रात्रि 10.30 बजे तक बल्ब जलाना चाहिए। सुबह कीड़ों को एकत्र कर नष्ट कर देना चाहिए।
धान
मौसम में बदलाव की स्थिति को ध्यान में रखते हुए मेढ़ों को खरपतवार से मुक्त रखने के लिए ब्लास्ट रोग हेतु ट्राईसाइक्लाजॉल-120 ग्राम प्रति एकड़, शीथ ब्लाईट के लिए हेक्साकोनाजोल-300 एमएल प्रति एकड़ तथा तनाछेदक नियंत्रण के लिए कटार्प हाईड्रोक्लोराईड 50 डब्ल्यू.पी. 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 150 से 250 लीटर पानी में उपयोग करने का सलाह दिया गया है।
साथ ही साथ खेतो में नमी बनाए रखने के लिए केंचुआ खाद का उपयोग करने, खेतों में नींदा नियंत्रण कर फसलों की बेहत्तरी के लिए दो प्रतिशत यूरिया घोल, जिंक एडिटा 12 प्रतिशत, 75 से 100 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव करने एवं 10 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ उपयोग करने का सलाह दी गई है |
सोयाबीन
फसल में पत्ती खाने वाली इल्लियां एवं चक्र भ्रिंग कीड़े ज्यादा दिखने पर ट्राईजोफास दवा की 2 मिली लीटर मात्रा एक लीटर पानी या फ्लुबेंडामाईड आधा मिली लीटर एक लीटर पानी में घोल बनाकर 200 लीटर घोल प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए। दवा छिड़कने के तीन घंटे के भीतर बारिश हो जाने पर पुनः घोल छिड़कना जरूरी होता है।