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शुक्रवार, मई 10, 2024
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अल्प वर्षा की स्थिति एवं कीटों के प्रकोप से फसलों के कैसे बचाएं

अल्प वर्षा की स्थिति एवं कीटों के प्रकोप से फसलों के कैसे बचाएं

अल्प वर्षा की स्थिति में फसलों का बचाव करने, जलसंरक्षण करने तथा किट व्याधि के प्रकोप से फसलों को बचाने हेतु किसान भाई क्या करें | अल्प वर्षा वाला क्षेत्र जहाँ धान की बियासी अभी पूरी तरह नहीं हो पाई है वहां पर कृषि कार्य में आई बाधा को ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा सतत् निगरानी रखी जा रही है। जिससे फसलों को सुरक्षित बचाया जा सके।

वर्तमान स्थिति में मौसम में बदलाव की स्थिति को ध्यान में रखते हुए मेढ़ों को खरपतवार से मुक्त रखने के लिए ब्लास्ट रोग हेतु ट्राईसाइक्लाजॉल-120 ग्राम प्रति एकड़, शीथ ब्लाईट के लिए हेक्साकोनाजोल-300 एमएल प्रति एकड़ तथा तनाछेदक नियंत्रण के लिए कटार्प हाईड्रोक्लोराईड 50 डब्ल्यू.पी. 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 150 से 250 लीटर पानी में उपयोग करने का सलाह दिया गया है। साथ ही साथ खेतो में नमी बनाए रखने के लिए केंचुआ खाद का उपयोग करने, खेतों में नींदा नियंत्रण कर फसलों की बेहत्तरी के लिए दो प्रतिशत यूरिया घोल, जिंक एडिटा 12 प्रतिशत, 75 से 100 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव करने एवं 10 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ उपयोग करने का सलाह दी गई है |

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ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध नालों में बंधान द्वारा जल संरक्षण नलकूप धारक किसानों को आस-पास के कृषकों को सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराने का सलाह दिया जा रहा है। उपलब्ध जल संरक्षण संरचना जैसे चेक डेम, तालाब, बांध आदि में उपलब्ध जल का उपयोग समुचित तरीके से करें ।

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