देश में पशुपालन किसानों की दैनिक आय के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार का अच्छा जरिया है। ऐसे में पशुपालन को मुनाफे का व्यवसाय बनाने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाये गये हैं। साथ ही पशुपालकों की समस्याओं के समाधान को लेकर एवं पशुपालकों को पशु पालन से जुड़ी वैज्ञानिक जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए पशु पालन विभाग द्वारा समय–समय पर प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाता है।
इस कड़ी में राजस्थान के श्री गंगानगर जिले के सूरतगढ़ स्थित पशु विज्ञान केंद्र द्वारा पशुओं में बांझपन के कारण एवं निवारण विषय पर ऑनलाइन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन सोमवार 28 अगस्त के दिन प्रभारी अधिकारी डॉ अरुण कुमार झीरवाल के निर्देशन में किया गया।
पशुओं को इस तरह बचाएं बांझपन से
पशुओं में बांझपन की मुख्य समस्या बताते हुए डॉ. अमित चौधरी ने बताया कि पशुओं को हरे चारे, मिनरल मिक्चर तथा सही समय पर पशुओं में ताव (मद) के लक्षणों को पहचान कर कृत्रिम गर्भाधान करवाना चाहिए। इसके अलावा ऑनलाइन शिविर में पशुपालकों को पशुओं के हिट में न आने पर में विटामिन–ई व सेलीनियम के 3 दिन तक इंजेक्शन देने के संबंध में जानकारी दी गई।
ऑनलाइन प्रशिक्षण शिविर में डॉ.मनीष कुमार सेन ने बताया कि हर 3 महीने में पशुओं को कृमि नाशक दवा जरूर देनी चाहिए।साथ ही पशुओं के बच्चेदानी में संक्रमण के निवारण तथा कृत्रिम गर्भाधान से पशुओं में होने वाले लाभ एवं फूराव संबंधी समस्याओं की विस्तार से जानकारी दी।
इसके अलावा कार्यक्रम के अंत में पशुपालकों की समस्याओं को सुना और उनका समाधान किया गया। प्रशिक्षण शिविर में केंद्र द्वारा संचालित प्रयोगशाला में विभिन्न प्रकार की जांचों के बारे में भी जानकारी दी गई। पशुओं में बांझपान समस्या को लेकर आयोजित किए गये इस प्रशिक्षण शिविर में कुल 30 पशुपालकों ने भाग लिया।