रिजका की खेती
रिजका चारे की एक महत्वपूर्ण दलहनी फसल है जो जून माह तक हरा चारा देती रहती है | इसे बरसीम की अपेक्षा सिंचाई की आवश्कता कम होती है |
भूमि तथा खेत की तैयारी :-
अगर अच्छे जल निकास की व्यवस्था है तो दोमट भूमि जिसकी जलधारा क्षमता अधिक हो, सर्वोतम मारी जाती हैं | खेत की मिटटी पलटने वाले हल से जुताई करके एक या दो बार देशी हल या हैरो चलाना चाहिए फिर तिन या चार बार देशी हल या बक्सर से अच्छी जुताई करके खेत को समतल या भुरभुर बना लेना चाहिए |
बीज की मात्र एवं बुवाई :-
रिजका को 20 से 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर के हिसाब से 25 से 30 सेंटीमीटर के अन्तर पर लाईनों में बुवाई करना चाहिए | अक्टूबर से नवम्बर के मध्य का समय बुवाई के लिए सबसे अच्छा माना जाता है | रिजका अगर पहली बार बोया गया जो रिजका कल्चर का प्रयोग करना चाहिए | कल्चर उपलब्ध न हो तो जिस खेत में पहले रिजका बोया गया है उसमें से ऊपरी पते से 30 से 40 किलोग्राम मिटटी निकालकर जिसमें रिजका बोना है उसमें मिला देना चाहिए |
खाद तथा उर्वरक :-
खेत को तैयार करते समय ही 20 से 25 टन प्रति हैक्टेयर के हिसाब से गोबर या कम्पोष्ट खाद खेत में अच्छी तरह मिला देना चाहिए और अंतिम जुताई करते समय खेत में 20 किलोग्राम नईट्रोजन तथा ८० किलोग्राम फास्फोरस प्रति हैक्टेयर के हिसाब से मिलाना चाहिए |
उन्नतशील किस्में :-
आज – कल रिजका की अनेक उन्नतशील किस्में उपलब्ध है जिनसे अधिक चारा प्राप्त किया जा सकता ही जैसे इग्फ्री 244, आनन्द -2, टाइप – 8, टाइप – 9, एल.एल. – 3, एल.एल. – 5, इत्यादि |
सिंचाई :-
गर्मी के दिनों में 10 या 12 दिन के अन्तर से तथा जड़े की ऋतू में 20 से 25 दिन के अन्तर से हल्की सिंचाई करते हैं |
कीट तथा खरपतवार नियंत्रण :-
जिस खेत में रिजका बोया गया है उसमे उगे हुए सभी खरपतवारों को निराई करके बहार कर देना चाहिए |रिजका को रिजका इल्ली, चने की इल्ली, रिजका धुन तथा सेमीलूपर इत्यादि |प्रमुख्य कीटों से हानि होती है |इसके लिए उपयुक्त दवायें प्रयोग में लाना चाहिए | इल्लियों के रोक थम के लिए 0.2 प्रतिशत सेबिन कीटनाशी के घोल या 0.5 प्रतिशत एंडोसल्फास का प्रयोग करना चाहिए |
कटाई :-
प्रथम बार चारे की कटाई 55 से 60 दिन बाद करनी चाहिए इसके बाद 35 से 40 दिन के अन्तर से कटाई करते रहना चाहिए इस प्रकार वर्ष में 7 से 8 कटाइयां तक की जा सकती है |
Seeds bechna h
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Nice post