उत्तरप्रदेश में गुणवत्तायुक्त पान उत्पादन को प्रोत्साहन की योजना
योजना का नाम
प्रदेश में गुणवत्तायुक्त पान उत्पादन को प्रोत्साहन की योजना
योजना का उद्देश्य
- प्रदेश में गुणवत्तायुक्त पान उत्पादन को प्रोत्साहन की योजना
- योजना का उद्देश्य
- पान उत्पादको की आय की वृद्धि करके आर्थिक जीवन स्तर में सुधार लाना।
- पान के उत्पादन में नवीन उन्नत तकनीकों को प्रोत्साहित करना।
- पान की खेती के क्षेत्रफल में वृद्धि करना।
- रोग एवं कीट नियंत्रण में वैज्ञानिक जैविक तरीकों को बढ़ावा देना।
- ग्रेडिंग, पैकिंग भण्डारण, परिवहन एवं विपणन में सुधार लाना।
- रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना।
- पान उत्पादकों को अन्य क्षेत्रों मे पलायन से रोकना।
- प्रति इकाई क्षेत्र से अधिकाधिक आय एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना।
- गुणवत्तायुक्त पान उत्पादन के लिये संशाधनों में वृद्धि कराना।
आच्छादित जनपद
उन्नाव, रायबरेली, लखनऊ, जौनपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, कानपुरनगर, आजमगढ़, बलिया, बाराबंकी, मिर्जापुर, सोनभद्र।
कार्यक्रम का नाम
पान बरेजा निमार्ण का कार्य।
अनुमन्य अनुदान मदवार
प्रति बरेजा निर्माण 1500 वर्ग मी. की लागत धनराशि रु0-1,51,360.00 का 50 प्रतिशत धनराशि रु0-75.680.00/- लाभार्थी कृषक को अनुदान/सहायता अग्रिम रुप से बैक खाते में देय है।
आवेदक की पात्रता शर्ते
- योजना का लाभ प्राप्त करने के लिये वेबसाइट upagriculture.com पर ऑन लाइन पंजीकरण कराना होगा।
- कार्यक्रम के अन्तर्गत सभी वर्ग के लाभार्थी पात्र होगें। अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ी जाति एवं महिला लाभार्थियों को वरीयता दी जायेगी।
- लाभार्थी के पास स्वयं का सिंचाई साधन होना अनिवार्य है।
- पान की खेती में अभिरुचि रखने वाले कृषकों को वरीयता दी जायेगी।
- आवेदन पत्र के साथ भू-अभिलेख संलग्न करना अनिवार्य होगा।
- लाभार्थी कृषक के पास स्वयं का बैंक खाता होना अनिवार्य है।
- लाभार्थी के पास पहचान हेतु वोटर कार्ड/राशन कार्ड/आधार कार्ड/पासपोर्ट में से कोई एक उपलब्ध होना चाहिए।
अनुमन्य क्षेत्रफल/मात्रा/संख्या
1500 वर्ग मी0 क्षेत्रफल
क्रम सं0 | सामग्री का नाम | मात्रा संख्या |
1 | बांस न0-1 (05 मी0 लम्बा05 से0मी0 मोटा वाला) | 800 बांस @ 30रु0 प्रति बांस |
2 | बांस न0-2 (04 मी0 लम्बा04 से0मी0 मोटा वाला) | 600 बांस @ 25 रु0 प्रति बांस |
3 | सनौआ (04 सेमी0 व्यास) | 200 बंडल @ 50 रु0 प्रति बन्डल |
4 | घास (दवाई हेतु 25 सेमी0 व्यास) | 60 बंडल @ 50 रु0 प्रति बन्डल |
5 | गन्ना पत्ती | 1.5 ट्राली @ 500 रु0 प्रति ट्राली |
6 | बकोड़ा | 10 बंडल @ 600 रु0 प्रति बन्डल |
7 | सागौन की बल्ली | 20 बंडल @ 600 रु0 प्रति बन्डल |
8 | जी0आई0तार 12 गेज | 15 किग्रा0 @ 90 रु0 प्रति कि.ग्रा. |
9 | जी0आई0तार 20 गेज | 20 किग्रा0 @ 85 रु0 प्रति कि.ग्रा. |
10 | स्प्रेयर मशीन (दवा छिड़काव हेतु) | 01 @ 2500 रु0 |
11 | पान बेंल कटिंग (ढोली) | 64 ढोली @ 365रु0 प्रति ढोली |
12 | उर्वरक / खली(किग्रा0) | 100 किग्रा तिल की खली @ 25 रु0 प्रति कि.ग्रा. |
13 | तालाब की काली मिट्टी(ट्राली में) | 5 ट्राली काली मिट्टी @ 400 रु0 प्रति ट्राली |
14 | सिंचाई हेतु ग्रिव्स इंजन | 01 सैट @ 2300 रु0 प्रति |
15 | अन्य व्यय (बरेजा निर्माण हेतु एग्रोनेट) | 01सैट @ 20000 रु0 प्रति ट्राली |
16 | रसायन / वृद्धि नियामक | |
कुल योग |
आवेदन कैसे करें
योजना का लाभ प्राप्त करने के लिये वेबसाइट पर ऑन लाइन पंजीकरण कराना होगा, इसके लिए जनसुविधा केन्द्र, कृषक लोकवाणी, साइबर कैफे आदि के माध्यम से पंजीकरण करा सकता है।
अनुदान का विवरण
पान की खेती 1500 वर्गमीटर में प्रति बरेजा निर्माण लागत की धनराशि रु0 1,51,360.00 का 50 प्रतिशत धनराशि रु0 75.680.00 लाभार्थी कृषक को अनुदान/सहायता संलग्नक-2 मद अनुसार अनमन्य होगा। शेष 50 प्रतिशत धनराशि रु0 75.680.00 कृषक अंश होगा। जनपदवार पृथक-पुथक बरेजा निर्माण के निर्धारित भौतिक लक्ष्य के आधार पर 12 जनपदों मे कुल 63 बरेजा का निर्माण कराया जाना है।
लाभार्थियों का चयन
- योजना का लाभ प्राप्त करने के लिये वेबसाइट www.upagriculture.com पर ऑन लाइन पंजीकरण कराना होगा
- कार्यक्रम के अन्तर्गत सभी वर्ग के लाभार्थी पात्र होगें। अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ी जाति एवं महिला लाभार्थियों को वरीयता दी जायेगी।
- लाभार्थी के पास स्वयं का सिंचाई साधन होना अनिवार्य है।
- पान की खेती में अभिरुचि रखने वाले कृषकों को वरीयता दी जायेगी।
- आवेदन पत्र के साथ भू-अभिलेख संलग्न करना अनिवार्य होगा।
- लाभार्थी कृषक के पास स्वयं का बैंक खाता होना अनिवार्य है।
- लाभार्थी के पास पहचान हेतु वोटर कार्ड/राशन कार्ड/आधार कार्ड/पासपोर्ट में से कोई एक उपलब्ध होना चाहिए।
प्रजातियां एवं निवेशों की व्यवस्था
कार्यक्रम के अनतर्गत पान की देशी, बंगला, कलकतिया, कपूरी, रामटेक, मंघही, बनारसी आदि उन्नतशील प्रजातियों की खेती पर अनुदान अनुमन्य होगा। विभाग एक समन्वयक की भूमिका निभाते हुये निर्माण कार्य/निवेश की गुणवत्ता के मानक आदि को उपलब्ध कराते हुये उनकी गुणवत्ता को सुनिश्चित करने का उपाय करेगा। लाभार्थी अपनी संतुष्टि के अनुसार सम्बन्धित उत्पादकों/संस्थाओं से क्रय करेगा।
प्रचार-प्रसार भ्रमण/प्रशिक्षण गोष्ठी
इस कार्यक्रम की सफलता के लिये आवश्यक है कि कृषकों को पान की खेती की तकनीकी जानकारी के लिये तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाये। तकनीकी जानकारी की सुलभता हेतु कृषको को तकनीकी साहित्य भी दिया जायेगा। पान की खेती करने वाले कृषकों/लाभार्थियों के प्रक्षेत्रों की फोटोग्राफी अवश्य कराई जाये।
प्रशिक्षण हेतु विभागी शोध केन्द्रों पर चयनित जनपदों के चयनित लाभार्थियों हेतु प्रशिक्षण/गोष्ठी का आयोजन किया जायेगा। जिसमे पान शोध केन्द्रों के वैज्ञानिक, पान विशेषज्ञ, भारत सरकार की संस्थाओं के पान विशेषज्ञों को अवश्य बुलाया जाये। पान की खेती कृषकों को प्रोत्साहित करने के लिये प्रचार-प्रसार हेतु साहित्य की व्यवस्था भी शोध केन्द्रों पर कराई जायगी।
अनुदान धनराशि का भुगतान
- अनुदान की सम्पूर्ण धनराशि अग्रिम के रुप में लाभार्थी/कृषकों को उसके बैक खाते में नियमानुसार सीधे जमा कराया जायेगा।
- इस संबंध में लाभार्थी कृषक से एक अनुबन्ध- पत्र भराना होगा की अग्रिम के रुप में प्राप्त धनराशि का उपयोग पान की खेती के मानक मदों मे न करने पर अग्रिम धनराशि वापस कर दी जायेगी
- यदि लाभार्थी द्वारा मानक के अनुसार कार्य नहीं किया जाता है तो सम्बन्धित जनपद के जिलाधिकारी से अनुमति प्राप्त करके भूःराजस्व के बकाये की भांति वसूली सुनिश्चित किया जाय।
उपरोक्त के अतिरिक्त निम्न निर्देशों का भी अनुपालन सुनिश्चित किया जाये-
- किसी भी दशा में निर्धारित वित्तीय लक्ष्यों की सीमा से अधिक व्यय नहीं किया जायेगा अतः व्यय निर्धारित सीमा तक ही रखा जाये।
- योजनान्तर्गत निर्धारित भौतिक एवं वित्तीय लक्ष्यों के सापेक्ष प्रगति निर्धारित प्रारुप पर प्रत्येक माह की 05 तारीख तक निदेशालय को उपलब्ध कराना होगा, जिससे समय से प्रगति सूचना निदेशालय स्तर से संकलित हो सके एवं उच्च अधिकारियों को प्रस्तुत कराया जा सके। वित्तीय वर्ष के अन्त में प्रगति सूचना भेजते समय लाभार्थी सूची तथा उपयोगिता प्रमाण पत्र निदेशालय को प्रेषित करना अनिवार्य होगा।
उपरोक्त प्रस्तरों में उल्लिखित शर्तो का अनुपालन विभाग में कार्यरत वित्त नियंत्रक द्वारा सुनिश्चित किया जायेगा। यदि निर्धारित शर्तो का किसी प्रकार का विचलन हो तो वित्त नियंत्रक का दायित्व होगा कि उनके द्वारा मामले को पूर्ण विवरण सहित तत्काल शासन/वित्त विभाग को दिया जाये। विचलन की स्थिति मे वित्त नियंत्रक तथा सम्बन्धित जनपदीय उद्यान अधिकारी उत्तरदायी होगें।
अनुश्रवण
कार्यक्रम की सफलता के लिये कार्यक्रम का संचालन एवं समय-समय पर कृषक प्रक्षेत्रों पर निरीक्षण/सत्यापन लाभार्थी कृषकों को उपलब्ध कराये गयें सभी मानकों एवं उपलब्ध कराये गये देय अनुदान की मदवार विवरण के आधार पर किया जायेगा। जनपद स्तर पर जिला उद्यान अधिकारी मण्डल स्तर पर उप निदेशक उद्यान द्वारा नियमित समीक्षा/निरीक्षण किया जायेगा। राज्य स्तर से भी निदेशालय उद्यान लखनऊ अथवा अन्य सक्षम अधिकारी द्वारा समय-समय पर सत्यापन/निरीक्षण कार्य किया जायेगा।
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