पंजीकृत मछुआ सहकारी समितियों को अनुदान सहायता।
योजना का नाम
पंजीकृत मछुआ सहकारी समितियों को अनुदान सहायता।
सम्बद्ध
राज्य योजना
योजना का उद्देश्य
सिचाई जलाशयो, अन्य शासकीय एवं अर्धशासकीय, स्थानीय निकायों के तालाबो मे मत्स्यपालन मे संलग्न पंजीकृत मछुआ सहकारी समितियो को मत्स्यपालन के विभिन्न कार्यो के लिये आर्थिक सहायता दे कर एवं उत्पादकता मे वृद्धि कर मछुआरों की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति के सुधार के उद्देश्य से योजना प्रस्तावित है
योजना का स्वरूप एवं आच्छादन
योजना का कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण प्रदेश मे रहेगा
योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया
- विभागीय जिला अधिकारी एवं विभागीय मैदानी अधिकारी योजना का व्यापक प्रचार प्रसार करेगे तथा बैठक आदि आयोजित कर योजना के बारे मे विस्तृत जानकारी देगे ।
- पंजीकृत मछुआ सहकारी समिति के अध्यक्ष/सचिव निर्धारित प्रारूप में योजना के तहत आर्थिक सहायता प्राप्त करने हेतु आवेदन पत्र अपनी प्रबंध समिति के प्रस्ताव एवं समिति के सदस्यो की अद्यतन जानकारी के साथ विभागीय जिला अधिकारी को देगे,
- संबंधित विभागीय क्षेत्रीय अधिकारी प्रस्ताव का कंडिका क्र. 4 एवं 6 अनुसार परीक्षण कर उचित पाए जाने पर अनुशंसा सहित प्रस्ताव विभागीय जिला कार्यालय में प्रस्तुत करेगें,
- विभागीय जिला अधिकारी,15 दिवस की समयावधि में प्राप्त समिति का आवेदन योजना प्रावधानो के तहत उचित पाए जाने पर, कंडिका क्र.6 अनुसार निर्धारित मापदण्डों के आधार पर गणना कर अनुदान राशि का निर्धारण करेगें, तथा उचित पाए गए समस्त आवेदन पत्रों को सूचीबद्ध कर प्रस्ताव स्वीकृति हेतु जिला पंचायत की कृषि स्थाई समिति को प्रस्तुत करेंगे।
- विभागीय जिला अधिकारी, वित्तीय वर्ष के लिये घटकवार (सामान्य श्रेणी, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति) आवंटित धन राशि की जानकारी कृषि स्थाई समिति को देगे तथा आवंटित धन राशि की सीमा तक घटकवार मछुआ सहकारी समितियां को सूचीबद्ध कर अनुदान प्रदाय हेतु अनुमोदन प्राप्त करेंगे।
- जिला पंचायत की कृषि स्थाई समिति द्वारा यदि 45 दिवस में प्रस्ताव का अनुमोदन नही करती है, तो जिले के कलेक्टर अधिकृत होगें, कि वे विभागीय जिला अधिकारी द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव का अनुमोदन कर अग्रिम कार्यवाही करावें।
- विभागीय जिला अधिकारी, कृषि स्थाई समिति के अनुमोदन उपरान्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत से स्वीकृति प्राप्त कर योजना अनुसार भुगतान की कार्यवाही करेंगे ।
- किसी भी दशा मे किसी भी संस्था, ऐजेन्सी, व्यक्ति को नगद भुगतान पूर्णतः वर्जित है । भुगतान बैंक खाते या बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से किया जाना अनिवार्य होगा,
हितग्राही की अर्हताएं
मछुआ सहकारी समितियो की पात्रता-
- अनुसूचित जाति के हितग्राहियों के निमित्त गठित पंजीकृत अनुसूचित जाति की मछुआ सहकारी समितियां
- अनुसूचित जनजाति के हितग्राहियों के निमित्त गठित पंजीकृत अनुसूचित जनजाति की मछुआ सहकारी समितियां
- सामान्य श्रेणी की वे पंजीकृत मछुआ सहकारी समितियां, जिनके परम्परागत, वंशानुगत तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यो की संख्या 75 प्रतिशत या 75 प्रतिशत से अधिक हो पात्र होगी।
- वे ही पंजीकृत मछुआ सहकारी समितियां जिन्होने मछुआ नीति 2008 के तहत त्रिस्तरीय पंचायत/नगर निकाय के तालाबो/जलाशयों को नियमानुसार पट्टे पर प्राप्त कर मछली पालन का कार्य कर रही हों, योजना हेतु पात्र होगी ।
- तालाब/जलाशय पट्टा अनुबंध की शर्ते, एवं मत्स्यपालन नीति 2008 के तहत दोषी/बकायादार/परिसमापन/ अक्रियाशील मछुआ सहकारी समितियां, योजना हेतु पात्र नही होंगी।
प्रशिक्षण अवधि :- विभागीय मछुआ प्रशिक्षण योजना के तहत हितग्राहियो को 15 दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाता है जिनमे योजना के तहत लाभांवित मछुआ सहकारी समितियो के सदस्यो को प्रशिक्षण के लिये चयनित कर प्रशिक्षित किया जावेगा।
अन्य जानकारी
वित्तीय व्यवस्था :-
योजना के तहत अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एवं सामान्य जाति, (75 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग सहित) की मछुआ सहकारी समितियो को अनुदान सहायता राज्य आयोजना मद से प्रदान की जावेगी । विकासात्मक गतिविधियो के परिपे्रक्ष्य मे उक्त योजना की वित्तीय व्यवस्था अन्य योजनाओ से भी की जा सकेगी ।
मॉनिटरिंग एवं रिर्पोटिग :-
जिले के मछली पालन विभाग के जिला अधिकारी शत प्रतिशत कार्यो की गुणवत्ता व समय बद्व क्रियान्वन की नियमित मानिटरिग करेगे, योजना की प्रगति की मासिक, त्रैमासिक जानकारी विकास खण्ड प्रभारी सहायक मत्स्य अधिकारी या मत्स्य निरीक्षक द्वारा विभाग के जिला अधिकारी के माध्यम से संचालनालय को नियमित रूप से निर्धारित प्रपत्र पर प्रेषित की जावेगी। संभागीय अधिकारी उक्त योजना नोडल अधिकारी होगे।