परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई)
परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) : दिशानिर्देश | |
परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई)उद्देश्य : जैविक कृषि पर्यावरण हितैषी कम लागत प्रौद्योगिकियों को अपनाकर, रासायनिक और कीटनाशी अवशेषों से मुक्त उत्पादन की एक उत्पादन प्रणाली है। “परंपरागत कृषि विकास योजना” राष्ट्रीय सतत कृषि परियोजना (एनएमएसए) का एक विस्तारित घटक है। परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत सामूहिक एप्रोच और पीजीएस प्रमाणन द्वारा जैविक गाँव अंगीकरण के द्वारा जैविक कृषि को प्रोत्साहित किया जाता है। | जैविक क्षेत्र चयन संबंधी अंक क. जैविक खेती के लिए चयनित समूह का कूल क्षेत्र 50 एकड़ तक का होना चाहिए और जहाँ तक संभव हो खेत समीपस्थ हो। इसे सुसाध्य बनाने के लिए किसान के लिए सब्सिडी की पात्रता एक हेक्टेयर और 50 एकड़ के समूह के किसान सदस्यों के लिए कुल वित्तीय सहायता की पात्रता अधिकतम 10 (दस) लाख रूपये होगी। इसके साथ – साथ संचालन और पीजीएस प्रमाणन के लिए 4.95 लाख रू. होंगे। समूह के कुल किसानों में से 65 सदस्य किसान सीमांत और छोटे वर्गों के होने चाहिए। जहाँ तक संभव हो यह यह मानक समूह स्तर पर पूरा किया जाना चाहिए और यदि संभव न हो तो इसे मंडल/ब्लॉक/तालुका अथवा जिला स्तर पर पूरा किया जाना चाहिए। ख. जैविक खेती को पहाड़ी, आदिवासी जैसे क्षेत्रों में प्रोत्साहित किया जाए। इसे ऐसे सिंचित क्षेत्रों में भी प्रोत्साहित किया जाए जहाँ पर रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग कम किया जाता हो। |
क्या करें?
- कृषि जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल विभिन्न फसल/फसल पद्धति के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) को प्रोत्साहन।
- जैविक खेती के अंतर्गत जैविक उर्वरक, जैविक कृमि नाशकों को ज्यादा से ज्यादा प्रयोग में लाएं।
क्या पायें ?
घटक | सहायता राशि (रू. में) | टिप्पणी | |||
प्रथम वर्ष | द्वितीय वर्ष | तृतीय वर्ष | |||
कृषक समूह के जरिए पीजीएस प्रमाणन का अंगीकरण | राज्यों सरकारें परियोजना संस्तुति समीति के समक्ष पीजीएस प्रमाणन के इए समूह की संख्या के लिए एक कार्य योजना प्रस्तुत करेंगे | ||||
पीजीएस प्रमाणन के लिए 50 एकड़ के समूह बनाने के लिए किसानों/स्थानीय व्यक्तियों को प्रोत्साहित करना। | – | – | – | पीजीएस के अंतर्गत समूहिक रूप में जैविक खेती अपनाने के लिए तीन वर्षो के इए सहायता दी जाएगी । | |
जैविक समूह गठित करने के लिए चुने हुए क्षेत्र में किसानों की बैठक एवं परिचर्चा के आयोजन हेतु @ रू. 200/- प्रति किसान। | 10000 | 0 | 0 | – | राज्य सरकार सम गठन के लिए किसान की जोत भूमि में से अपेक्षित 50 एकड़ क्षेत्र का चयन करेगी। राज्य सरकार एक किसान समूह गठन करने के इए अपेक्षित क्षेत्र के किसानों की बैठक आयोजित करेगी। |
जैविक खेती क्षेत्र का समूह सदस्यों का प्रशिक्षण दौरा @ रू. 200/- प्रति किसान। | 10000 | – | – | समूह गठन के बाद राज्य सरकार, सदस्यों के प्रशिक्षण दौरों की व्यवस्था करेगी जिससे उन्हें प्रयोगात्मक ज्ञान और जैविक खेती के बारे में और अधिक जानकारी मिल सके। | |
समूह का गठन पीजीएस के प्रति किसान शपथ और समूह में से समूह प्रमुख की पहचान | – | – | – | राज्य सरकार समूह में से एक समूह प्रमुख की पहचान करेगी जो समूह का प्रतिनिधित्व करेगा और प्रशिक्षणों का प्रशिक्षक (टीओट) होगा। | |
जैविक खेती पर समूह सदस्यों का प्रशिक्षण @ रू. 20000/- प्रति प्रशिक्षण | 60000 | – | – | राज्य सरकार समूह के सदस्यों के लिए एनसीओएफ/ आरसी ओएफ/आईसीएआर/एसयू के विषशेज्ञों के सहयोग से अलग – अलग तीन प्रशिक्षण, परियोजना के पहले 6 माह में आयोजित करेगी; 1. पहला प्रशिक्षण निम्न पर दिया जाएगा; क. नर्सरियों में सीडलिंग/पौध उगाना। ख. जैविक बीज उत्पादन। 2. खाद एवं कंपोस्ट खाद द्वितीय प्रशिक्षण। क. हरित खाद और मेड रोपाई। ख. कंपोस्ट और वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन एवं उपयोग। 3. जैविक उर्वरक और जैविक कृमि नाशिकों का पर तीसरा प्रशिक्षण। क. पंचगब्य, बिजम्रित और जीवामृत अधिक का उत्पादन एवं उपयोग। ख. जैविक उर्वरक का उपयोग (बीज/बीजोपचार, बूँद सिंचाई, छिड़काव, जैव उर्वरक एवं जैव कृमि नाशिकों का रख रखाव। | |
योग | 80000 | 0 | 0 | 80000 | |
पीजीएस प्रमाणन एवं गुणवत्ता नियंत्रण | |||||
दो दिवसीय पीजीएस प्रमाणन पर प्रशिक्षण @ रू. 200/- प्रति एलआरपी | 400 | 0 | 0 | 20 समूह प्रमुख/प्रधान के लिए निम्नलिखित विषयों पर 2 दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया जाएग: क. किसानों का पंजीकरण। ख. जैविक उत्पादन और प्रलेखीकरण प्रक्रिया। ग. वार्षिक कार्ययोजना तैयार करना। घ. बैठक और प्रशिक्षण रजिस्टर रखरखाव डाटा प्रबंधन। ङ पीजीएस प्रमाणित जैविक खेती के प्रोत्साहन में समूह की प्रशासनिक भूमिका एवं जिम्मेदारी।. | |
प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (20) समूह प्रमुखों का 3 दिनों के लिए @ रू. 250/- प्रतिदिन/प्रति समूह | 0 | 750 | 0 | राज्य सरकार एनसीओएफ/ आरसीओएफ/आईसी एआर/एमयू के सहयोग से एलआरओपी के लिए निम्नलिखित पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित करेगी। क. मृदा नमूना एकत्रित करना और गुण वत्ता नियंत्रण। ख. जैविक उत्पाद की पैकिंग, लेबलिंग, ब्रांडिग और मार्केटिंग। ग. जैविक कृमिनाशियों और जैवक उर्वरकों को तैयार करने के लिए आवश्यक समुदायिक संसाधन। | |
किसानों का ऑनलाइन पंजीकरण @ रू. 100/- प्रति समूह सदस्य X 50 | 0 | 5000 | 5000 | फार्म के बारे में, अपनाई जानेवाली खेती की पद्धति, उपयोग किए गए आदान, प्रशिक्षण एवं अन्य विवरण इत्यादि जैसे जानकारियाँ के साथ किसान के पीजीएस प्रमाणन के लिए पंजीकरण। प्रत्येक समूह में नियुक्त डाटा इंट्री ऑपरेर और सलाहकार डाटा के रख रखाव के लिए जिम्मेदार होंगे। | |
मृदा नमूना एकत्रीकरण एवं जाँच (21 नमूना/वर्ष/समूह) @ रू. 190/- प्रति नमूना तीन वर्षों के लिए | 3990 | 3990 | 3990 | कृषि और बागवानी दोनों क्षेत्रों से नमूना एकत्रित करने की जिम्मेदारी समूह प्रमुख की होगी। मृदा नमूनों की जाँच राज्/केन्द्रीय मृदा जाँच प्रयोगशालाओं द्वारा की जाएगी। आईसीएआर/राज्य कृषि विश्व विद्यालयों के मृदा जाँच परिणाम के आधार पर जैविक खेती के उपयुक्त पैकेज एवं पद्धति की सिफारिश समूह के सदस्यों के लिए करेंगे। | |
पीजीएस प्रमाणन के लिए जैविक पद्धित में परिवर्तन की प्रलेखीकरण प्रक्रिया, प्रयुक्त आदान, अपनायी गई फसल पद्धति, जैविक खाद एवं उर्वरक इत्यादि @ रू. 150/- प्रति सदस्य X 50 | 5000 | 5000 | 5000 | डाटा इंट्री ऑपरेटर और परामर्शदाता, पैकेज और पद्धति के विवरण और व्यक्तिगत किसान की पीजीएस प्रमाणन प्रक्रिया की हार्ड एवं सॉफ्ट दोनों कापियां का समूह कार्यालय मर रखरखाव करेंगे। | |
समूह सदस्य के खेत का निरीक्षण @ रू. 400/- निरीक्षण X 3 (3 निरीक्षण प्रति समूह प्रतिवर्ष किए जाएंगे। | 1200 | 1200 | 1200 | पीजीएस प्रमाणन के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए प्रत्येक व्यक्तिगत किसन के खेत के निरीक्षण के लिए समूह प्रमुख उत्तरदायी होगा। | पीजीएस प्रमाणन के प्रभावी कार्यान्यवन के लिए प्रत्येक व्यक्तिगत किसान के खेत के निरीक्षण के लिए स्मोह प्रमुख उत्तरदायी होगा। एलआरपी (समूह प्रमुख) द्वारा कृषि पद्धति संबंधी विस्तृत टिप्पणी दर्ज की जाएगी और एलआरपुई द्वारा किसान की डायरी बनाई जाएगी। वह जैविक खेती की विभिन्न पद्धतियों के बारे में किसान को बताएगा और डायरी में भी दर्ज करेगा। |
एबीएल में नमूना का अवशेष विश्लेषण (8 नमूना प्रतिवर्ष प्रति समूह) @ रू. 10,000/- प्रति नमूना। | 0 | 8000 | 8000 | एनसीओएफ/ आरसीओएफके सहयोग से एलआरपी सदस्यों द्वारा चिन्हीत् खेत से जैविक नमूना एकत्रित करेंगे। कीटनाशियों और रासायनिक अवशेषों के लिए नमूनों को भेजकर करवाया जाएगा। | |
प्रमाणन शुल्क | 0 | 2000 | 0 | पीजीएस प्रमाणन; निरीक्षण, प्रलेखीकरण और नूमना जाँच के आधार पर दिया जाएग। | |
प्रमाणन के लिए प्रशासनिक व्यय | 26150 | 16900 | 16900 | समूह कार्यालय के रखरखाव हेतु कार्यालय का किराया, समन्वयक और डाटा एंट्री ऑपरेटर का वेतन, कार्यालयका फर्नीचर, प्रिंटर, लेखन सामग्री आदि के व्यय की पूर्ति हेतु सहायता की जाएगी। | |
योग | 36740 | 114840 | 112090 | 263670 | |
कृषक समूह के जरिए खाद प्रबंधन और जैविक नत्रजन दोहन के लिए जैविक गाँव का अंगीकरण | |||||
एक समूह के लिए जैविक खेती की कार्य योजना | |||||
भूमि का जैविक पर परिवर्तन @ रू.1000 /- प्रति एकड़ x 50 | 50000 | 50000 | 50000 | जैविक गाँव के अंगीकरण के लिए राज्य सरकार परियोजना संस्तुति सीमित के समक्ष कार्य योजना प्रस्तुत करेगी। | |
जैविक गाँव अंगीकरण के लिए राज्य सरकार सहायता अनुदान के रूप में सहायता उपलब्ध कराएगी। | |||||
मृदा जाँच के आधार पर वार्षिक कार्य योजना तैयार करने के जरिए और उपर्युक्त जैविक खेती पद्धति को अपनाकर, प्रदूषण रोकने के लिए भूमि के प्रतिरोधन (गड्ढा बनाना/भूमि को चारों तरफ से बाड़ लगाना) का माध्यम से परंपरागत भूमि को जैव भूमि में परिवर्तित करने के लिए सहायता | |||||
फसल पद्धति को अपनाना जैविक नर्सरी के लिए जैविक बीज खरीद पर @ रू. 500 प्रति एकड़ प्रति वर्ष X 50 एकड़ | 25000 | 25000 | 25000 | मृदा जाँच के आधार पर उपयुक्त जैविक खेत पद्धति शुरू की जाएगी। भूमि तैयारी, पौधा संरक्षण, मजदूरी खर्च एवं जैविक बीज तैयार करने/कृषि खेत में आवश्यक अन्य रोपण सामग्री के लिए प्रत्येक किसानसदस्य की सहायता की जाएगी। | |
परंपरागत जैविक आदान, उत्पादन संयंत्रों जैसे, पंचगाब्य, बिजामृत और जीवामृत इत्यादि की खरीद @ रू. 1500/- प्रति इकाई/एकड़ X 50 एकड़ | 75000 | 0 | 0 | जैविक आदान उत्पादन इकाई लगाने और उसकी तैयारी के लिए आवश्यक सामग्री (ग्लास, प्लस्टिक, बोतल, ड्रम, फिल्टर, स्प्रेयर और अन्य बर्तन इत्यादि) की खरीद के लिए प्रत्येक सदस्य किसान को सहायता दी जाएगी। | |
जैविक नत्रजन स्थिरीकरण करने वाले पौधे जैसे कि ग्लिरिसिडीया, सेस्बानिया इत्यादि @ रू. 200/- प्रति एकड़ X 50 एकड़ | 50000 | 25000 | 25000 | नत्रजन संचय करने वाले पौधे तैयार करने हेतु बीज की खरीद, भूमि गड्ढा की तैयारी, मजदूरी इत्यादि के लिए प्रत्येक सदस्य किसान को सहायता दी जाएगी। | |
वानस्पतिक अर्क उत्पादन इकाई @ रू. 1000/- प्रति इकाई/एकड़ X 50 एकड़ | 50000 | 0 | 0 | वानस्पतिक अर्क उत्पादन संयंत्र लगाने और चलाने के लिए जरूरतमंद सामग्री ( कांच अथवा प्लास्टिक बोतलें, ड्रम, फिल्टर, स्प्रेयर, अन्य बर्तन इत्यादि खरीदने के लिए प्रत्येक सदस्य किसान को सहायता दी जाएगी। | |
योग | 250000 | 100000 | 100000 | 450000 | |
समेकित और प्रबंधन | |||||
तरल जैविक उर्वरक उपयोग (नत्रजन स्थिरीकरण फास्फेट विलायक/पोटेशियम संचारित जैव उर्वरक) @ रू. 500/- प्रति एकड़ X 50 | 25000 | 0 | 0 | फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रत्येक सदस्य किसान को मिट्टी/बीज में उपयोग के लिए तरल जैविक उर्वरक खरीदने हेतु सहायता दी जाएगी। | |
तरल जैव कीटनाशी (ट्रिकोडर्मा विरिडी, सूडोमोनास, मेटाजाईम, बिवोरी, बैसियाना, पसेलोमाईसेस, वर्तीसिलियास)@ रू. 500/- प्रति एकड़ X 50 | 0 | 25000 | 0 | पौध में बीमारियाँ को दूर करने के लिए तरल जैविक कीटनाशी खरीदने और प्रयुक्त करने के लिए प्रत्येक सदस्य किसान को सहायता दी जाएगी। | |
किसान अपने स्थानीय क्षेत्र में आसानी से उपलब्ध किसी भी प्राकृतिक कीट नियंत्रण तंत्र को @ रू. 500/- प्रति एकड़ X 50 पर ले सकते हैं | 0 | 25000 | 0 | ||
एफसीओ 1985 में दिए गये विनिर्देशों के अनुसार फास्फेट प्रचुर जैविक खाद (पीआरओएम) @ रू. 1000/- प्रति एकड़ X 50 | 50000 | 0 | 0 | ||
वर्मी कम्पोस्ट (आकार 7’ X 3’ X 1’) @ रू. 5000/- प्रति इकाई X 50 | 250000 | 0 | 0 | ||
योग | 325000 | 50000 | 0 | 375000 | |
समेकित खाद प्रबंधन | |||||
कृषि उपकरण (एसएमएएम दिशानिर्देशनुसार)
| 15000 | 15000 | 15000 | कृषि उपकरणों (पावर टिलर, कोनोवीडर, पैडी थ्रेसर फॉर ओपनर, रोज कैन, कार्बनिक उत्पाद प्रसंस्करण/ग्रेडिंग/क्लीनिंग/थ्रेसिंग और भूमि तैयार इत्यादि के लिए टाप पैन बैलेंस) के उपयोग हेतु कस्टम हायरिंग केंद्र के किराये का भुगतान करने के ली समूह के सदस्यों को वित्तीय सहायता दी जाएगी। यह माना जाता है की एमएमएस के अंतर्गत सीएचसी अनुमोदित हैं। एसएएमएम के अंतर्गत राज्य सरकार कोई अतिरिक्त वित्तीय सहायता दे सकती है। | |
बागवानी के लिए वाक इन टनल (एमआईडीएच के दिशानिर्देशानुसार) | 0 | 0 | 0 | राज्य सरकार एमआईडी एच के अंतर्गत कोई अतिरिक्त सहायता दे सकती है। | |
पशु कम्पोस्ट के लिए पशु/मुर्गी/सुअर बाड़ा (गोकूल योजना के दिशानिर्देशानुसार) | 0 | 0 | 0 | राज्य सरकार गोकूल योजना के अंतर्गत कोई अन्य वित्तीय सहायता दे सकती है। | |
योग | 15000 | 15000 | 15000 | 45000 | |
समूह द्वारा उत्पादित जैविक की पैकिंग, लेबलिंग और ब्रांडिंग | |||||
पीजीएस लोगो + होलोग्राम प्रिटिंग के साथ सामग्री | 0 | 62500 | 62500 | पैकिंग सामग्री खरीदने, लेबल बनाने, होलोग्राम प्रिटिंग इत्यादि और इत्यादि और जैविक उत्पादों की ब्राडिंग (प्रचार) के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। इसकी व्यवस्था समूह के प्रमुख द्वारा की जाएगी। पीजीएस – क्षेत्र के लिए इंडिया ग्रीन लोगों प्रयुक्त किया जाता है। पीजीएस- पूर्व रूप से परिवर्तित जैविक क्षेत्र के लिए इंडिया जैविक लोगों प्रयुक्त किया जाता है। लेबल इस प्रकार डिजाइन किया जाए कि उस पर समूह का नाम, जिला, जैविक उत्पादक ब्रांडिंग के लिए प्रयुक्त, यूनिक उत्पाद पैकिंग लिखा जा सकता हो। | |
जैव उत्पाद का परिवहन (1.5 टन भारत क्षमता वाला चौपहिया वाहन) एक समूह के लिए अधिकतम सहायता @ रू. 12000/- | 0 | 120000 | 0 | जैविक उत्पादकों को बाजार तक पहूँचाने और इसके परिवाहन के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। यह निधि (फंड) चौपहिया परिवहन वाह खरीदने के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है। | |
जैव उत्पादन मेला (अधिकतम सहायता @ 36330/- प्रति समूह दी जाएगी) | 0 | 36330 | 0 | जैविक मेला आयोजन के लिए स्टाल की व्यवस्था, किराया, मजदूरी, प्रचार, सामग्री, यातायात दी की व्यवस्था पर होने वाले व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए समूह को वित्तीय सहायता दी जाएगी। |
किससे संपर्क करें?
राज्य स्तर पर: उत्तर पूर्वी राज्यों के बागवानी/ कृषि निदेशक
जिला स्तर पर: उत्तर पूर्वी राज्यों के जिला कृषि/बागवानी अधिकारी, आत्मा के परियोजना निदेशक