ऑर्गेनिक/ बायोलोजिकल निविष्टियों के लिए वाणिज्यिक उत्पादन इकाइयों हेतु पूंजी निवेश सब्सिडी योजना
जैविक खेती परियोजना को बढ़ावा देने के लिए यह योजना लागू की गई है क्योकिं कृत्रिम उर्वरकों और कीटनाशकों का बढ़ रहा और अंधाधुंध प्रयोग तथा मृदा के ह्रास की स्थिति और उत्पादकता दुनिया भर के लोगों के लिए चिंता का विषय है. सुरक्षित और स्वस्थ भोजन के लिए बढ़ती जागरूकता ने जैविक खेती के महत्व को रेखांकित किया है, जो बाहरी निविष्टियों के उपयोग को न्यूनतम करने और कृत्रिम उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग को टालने के बुनियादी सिद्धांत पर आधारित एक समग्र प्रणाली है.
इन चुनौती को देखते हुए, देश में गुणवत्तायुक्त ऑर्गेनिक/ बायोलोजिकल निविष्टियों के उत्पादन के लिए बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की जरूरत है. तदनुसार, जैविक खेती पर राष्ट्रीय परियोजना के तहत ऑर्गेनिक/ बायोलोजिकल निविष्टियों के लिए वाणिज्यिक उत्पादन इकाइयों हेतु पूंजी निवेश सब्सिडी योजना शुरू की गई है. यह योजना नाबार्ड या राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के सहयोग से कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा राष्ट्रीय जैविक खेती केन्द्र (एनसीओएफ़) के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही है.
यह योजना वर्ष 2004-05 से लागू है.
योजना के उद्देश्य
- जैव उर्वरकों, जैव कीटनाशकों और फल एवं सब्जी बाजार अपशिष्ट खाद जैसे ऑर्गेनिक निविष्टियों को उपलब्ध कराके देश में जैविक खेती को बढ़ावा देना और इस तरह के उत्पाद के लिए बेहतर प्रतिफल सृजित करना.
- मृदा स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा को बनाए रखते हुए कृषि उत्पादकता बढ़ाना.
- देश में जैव उर्वरकों, जैव कीटनाशकों और कम्पोस्ट की उपलब्धता बढ़ाकर और गुणवत्ता में सुधार के द्वारा रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर कुल निर्भरता कम करना
- जैविक कचरे को पौधा पोषक तत्व संसाधनों में परिवर्तित करना
- जैविक कचरे के उचित रूपांतरण और उपयोग से प्रदूषण और पर्यावरण के क्षरण को रोकना
योजना से किसे लाभ मिल सकता है?
- जैव उर्वरक और जैव कीटनाशक उत्पादन इकाइयां
- फल एवं सब्जी अपशिष्ट खाद इकाइयां
- व्यक्ति, किसानों / उत्पादकों के समूह, स्वामित्व और साझेदारी फर्म, सहकारिता, उर्वरक उद्योग
- कंपनियां, निगम
- गैर सरकारी संगठन (एनजीओ)
- कृषि उत्पादन बाजार समितियां (एपीएमसी)
- नगर पालिकाएं
- निजी उद्यमी