जलाशय निर्माण के लिए अनुदान
फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता एवं किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए किसानों के पास सिंचाई के उपयुक्त संसाधन होना आवश्यक है। किंतु लगातार गिरते भूमिगत जल स्त्रोतों से किसानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिसको देखते हुए सरकार द्वारा सिंचाई की सूक्ष्म पद्धतियों एवं वर्षा जल संग्रहण को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा भारी सब्सिडी भी उपलब्ध कराई जा रही है।
इस कड़ी में हरियाणा सरकार राज्य में किसानों को ड्रिप, मिनी-स्प्रिंकलर और पोर्टेबल-स्प्रिंकलर माईक्रो-इरीगेशन सिस्टम एवं जलाशय के निर्माण पर भारी सब्सिडी उपलब्ध करा रही है। जिससे न केवल सिंचाई के रकबे में बढ़ोतरी हुई है बल्कि फसलों के पैदावार में भी वृद्धि होती है।
19 हजार से अधिक किसानों को मिला ड्रिप एवं स्प्रिंकलर योजना का लाभ
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि किसानों को ड्रिप, मिनी-स्प्रिंकलर और पोर्टेबल-स्प्रिंकलर माईक्रो-इरीगेशन सिस्टम के लिए 58 हजार एकड़ खेतों के 19517 लाभार्थियों को 179.39 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की गई है। इसलिए किसान जल संरक्षण की योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाएं। यह बात उन्होंने मिकाडा के लाभार्थियों से वर्चुअल संवाद करते हुए कही साथ ही इस अवसर पर उन्होंने अनेक लाभार्थियों से न केवल संवाद किया बल्कि योजनाओं का फीडबैक भी लिया।
जलाशय निर्माण के लिए दी जा रही है 80 प्रतिशत सब्सिडी
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि खेत में ही जलाशय के निर्माण पर सरकार व्यक्तिगत आवेदक के लिए 70 प्रतिशत की दर से और किसान समूहों के सदस्यों को 85 प्रतिशत की दर से सहायता प्रदान कर रही है। उन्होंने बताया कि जलाशय बनाने के लिए 2185 लाभार्थियों को 54.90 करोड़ रुपए और 2584 अन्य लाभार्थियों को 64 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि अटल भूजल योजना के तहत राज्य के 1656 गांवों में किसानों को उनके हिस्से की 15 प्रतिशत प्रतिपूर्ति राशि सीधे डीबीटी माध्यम से खातों में भेजी जा रही है। अब तक 11284 लाभार्थियों के खातें में 19 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए जा चुके हैं।
सूक्ष्म सिंचाई से पैदावार में होती है वृद्धि
मुख्यमंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्य में जिन किसानों ने सूक्ष्म सिंचाई को अपनाया है उनके खेतों में फल और सब्जियों की पैदावार में 52 प्रतिशत तक बढोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि खालों के माध्यम से सीधे ही जितने खेत में पानी लगाते हैं, सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली से उतने ही पानी से 95 प्रतिशत तक अधिक क्षेत्र में सिंचाई होती है और इसके साथ ही 48 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है।