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मंगलवार, सितम्बर 10, 2024
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मुर्रा भैंस के साथ ही अब सरकार देगी अच्छी नस्लों की गायों को बढ़ावा

कृत्रिम गर्भाधान से पैदा किए जाएँगे बछड़े – बछड़ियां

पशुपालन में अच्छी नस्लों के पशुओं का अत्यंत महत्व है ताकि दूध का उत्पादन बढ़ाकर अधिक मुनाफा कमाया जा सके। इसके लिए अधिकांश पशु पालक मुर्रा भैंस पालना पसंद करते हैं। जिसको देखते हुए हरियाणा सरकार राज्य में मुर्रा भैंस के साथ ही अन्य उच्च नस्ल की गायों को बढ़ावा देने जा रही है। इसके लिए हरियाणा के पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री जेपी दलाल ने अच्छी नस्ल के बछड़ेबछड़ियां पैदा करने के लक्ष्य को मिशन मोड के रूप में लेकर चलने को कहा है।

मिशन के तहत शुरुआत में 1000 बछड़ेबछड़ियां पैदा किए जाएँगे, इसके लिए उन्होंने लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं विज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार, राजकीय पशुधन फार्म तथा पशुपालन विभाग के अधिकारियों को मिलकर एक टीम तैयार करने और एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा है।

कृत्रिम गर्भाधान से किया जाएगा नस्ल सुधार

इस अवसर पर पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि हिसार जिले में लगभग 55 गौशालाएं हैं और राजकीय पशुधन फार्म के विशेषज्ञों की 21 टीमें गठित की गई हैं जो इन गौशालाओं का दौरा कर स्वस्थ गायों की पहचान कर रही है जिन्हें बाद में फार्म में लाया जायेगा और कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से नस्ल सुधार पर कार्य किया जायेगा।

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बैठक में पशुपालन मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आरंभ में पायलट परियोजना के आधार पर हिसार जिले में कार्य करें, उसके बाद गौ सेवा आयोग के सहयोग से प्रदेश की सभी गौशालाओं का निरीक्षण करें और स्वस्थ गायों को चिन्हित करें। गौशाला आयोग ऐसी गायों के लिए अलग से शेड की व्यवस्था करेगा। आवश्यकतानुसार विभाग वीएलडीएपशु  चिकित्सक   विशेषज्ञ प्रति नियुक्ति पर राजकीय पशुधन फार्म भेजेगा। इस कार्य को एक नई परियोजना के रूप में किया जाएगा। 

मुर्रा भैंस प्रति दिन देती है 10 लीटर से अधिक दूध

बैठक में इस बात की भी जानकारी दी गई कि वर्ष 2019 की पशु जनगणना के अनुसार प्रदेश में पशुओं की संख्या लगभग 62 लाख से अधिक थी, जिनमें 43 लाख भैंस व 19 लाख गाय थी। मुर्रा भैंस का दूध उत्पादन 10.91 लीटर प्रतिदिन है जबकि साहीवाल गाय का 8 लीटर तथा हरियाणा नस्ल का 4-6 लीटर है। मंत्री ने कहा कि जब भी एआई टीकाकरण से गर्भाधान किया जाए तो उस किसान का मोबाइल नंबर लिया जाए और अन्य पशुपालकों को भी जानकारी दी जाए कि उस गांव के किसान के पास उत्तम नस्ल की भैंस व गाय है जिसने विभाग से टीकाकरण करवाया है। 

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