पशुपालक किसानों एवं ग्रामीणों की आमदनी बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में गोधन न्याय योजना के तहत गोबर एवं गौमूत्र की खरीदी कर रही है। ग्रामीण एवं पशुपालक किसानों से गौठानों के माध्यम से खरीदे गए इस गोबर से स्व–सहायता समूहों के द्वारा विभिन्न उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। इस कड़ी में सरकार ने योजना की शुरुआत से अब तक 2 लाख 36 हजार 81 लीटर गौमूत्र खरीदा है। जिसका मूल्य 9 लाख 44 हजार 324 रुपए है।
गौठानों में 4 रुपए लीटर की दर से गौमूत्र खरीदा जा रहा है। खरीदे गए इस गौमूत्र से महिला स्व–सहायता समूह इससे लगातार ब्रम्हास्त्र और जीवामृत तैयार कर रहे है, जिसे रियायती दरों पर किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है। किसान अब महंगे रासायनिक पेस्टिसाइट के बदले जैविक कीटनाशक ब्रम्हास्त्र और जीवामृत का उपयोग खेती में करने लगे हैं।
महिला समूहों ने की 60 लाख रुपए की आय
गौठानों में महिला स्व–सहायता समूहों द्वारा गौमूत्र से अब तक 1,00,843 लीटर कीटनाशक ब्रम्हास्त्र और 35,445 लीटर वृद्धिवर्धक जीवामृत का उत्पादन किया है, जिसे कम दरों पर किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य के किसानों द्वारा अब तक 97,024 लीटर जैविक कीटनाशक ब्रम्हास्त्र और 33,698 लीटर वृद्धि वर्धक जीवामृत खरीद कर खेती में उपयोग किया गया है, जिससे समूहों को कुल 60 लाख 82 हजार 900 रुपए की आमदनी हुई है।
सरकार की इस योजना से न केवल राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है बल्कि ग्रामीण, पशुपालक किसानों को भी गौमूत्र बेच कर लाभ हो रहा है। वहीं गौठानों में खरीदे गए इस गोबर से विभिन्न उत्पाद तैयार करने के लिए महिलाओं को भी रोजगार मिल रहा है।