खेती से मुनाफे के लिये किसान करें यह काम
देश में किसानों की आमदनी के साथ ही विभिन्न फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि विभाग के द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ कृषि विभाग एवं कृषि महाविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 की बैठक आयोजित की गई। इस अवसर पर कृषि लागत एवं मूल्य आयोग CACP के चेयरमैन प्रोफेसर विजय पॉल शर्मा ने किसानों को फसल उत्पादन की लागत को कम करने के लिए कुछ टिप्स दिये।
किसान फसलों की लागत कम करने के लिए करें यह काम
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के चेयरमेन प्रोफेसर विजय पॉल शर्मा ने कहा है कि दलहन, तिलहन की फसल लेने से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। छत्तीसगढ़ के किसानों को धान के अलावा दलहन, तिलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि किसानों को खेती-किसानी करते समय छोटी-छोटी सावधानियां बरतनी चाहिए। इनके जरिए कृषि की लागत में कमी लाई जा सकती है।
उन्होंने खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 की बैठक में कहा कि सभी किसानों को बोनी से पहले अपने खेतों की मिट्टी की जांच करानी चाहिए। साथ ही उच्च गुणवत्ता के प्रमाणित बीज, नैनो यूरिया का प्रयोग करना चाहिए। इन सबसे कृषि की लागत में कमी की जा सकती है। दलहन-तिलहन की खेती से रासायनिक खाद का उपयोग कम होगा और छोटे-छोटे किसानों को इसका लाभ मिलेगा।
किसान लगाएं धान की फोर्टिफाईड और सुगंधित किस्में
इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय, रायपुर के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने फसल विविधीकरण पर जोर दिया। उन्होंने प्रदेश की जलवायु व भौगोलिक क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए धान की फोर्टिफाईड किस्में और सुगंधित किस्मों के फसलें लगाने का सुझाव दिया ताकि किसानों की आय में वृद्धि की जा सके। बैठक में केन्द्र सरकार के संयुक्त सचिव डॉ. नवीन प्रकाश सिंह, श्री अनुपम मित्रा सहित कृषि लागत एवं मूल्य आयोग सदस्य एवं छत्तीसगढ़ के प्रगतिशील कृषक उपस्थित थे।
किसानों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण
खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 की बैठक में कृषि विभाग की संचालक चंदन त्रिपाठी ने बैठक में बताया कि छत्तीसगढ़ में खरीफ का क्षेत्र 48.08 लाख, रबी का क्षेत्र 18.00 लाख तथा लघु धान्य फसलों का क्षेत्र 97.00 हजार हेक्टेयर है। छत्तीसगढ़ की फसल सघनता 138 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ में कृषक परिवारों की संख्या 40.10 लाख है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में धान के अलावा अन्य फसलों एवं लघु धान्य फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसानों को प्रशिक्षण के साथ ही किसान सम्मेलन व कार्यशाला का भी आयोजन किया जा रहा है।