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मंगलवार, मार्च 19, 2024
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अधिक पैदावार के लिए किसान इस तरह करें सोयाबीन का बीज तैयार, कृषि विभाग ने जारी की सलाह

सोयाबीन बीज की तैयारी

खरीफ सीजन में सोयाबीन एक प्रमुख तिलहन फसल है, देश के कई राज्यों में इसकी बुआई प्रमुखता से की जाती है। देश के कई क्षेत्रों में इसकी बुआई जून माह में शुरू हो जाती है। जिसको देखते हुए कृषि विभाग, बारां ने किसानों को सोयाबीन के बीज की तैयारी को लेकर सलाह जारी की है। ताकि सोयाबीन फसल की लागत को कम किया जा सके और अधिक पैदावार प्राप्त की जा सके।

कृषि विभाग के अनुसार सोयाबीन एक स्वपरागित फसल है अतः इसके बीज को हर वर्ष बदलने की आवश्यकता नहीं रहती इसका एक बार बीज बदल दिया गया है तो उसके बीज के उत्पादन को आगे आने वाले 2-3 वर्षों तक बुवाई के काम में लिया जा सकता है। जिससे फसल के उत्पादन पर कोई विपरित प्रभाव नहीं पड़ता है और ना ही उत्पादन में कमी आती है। अतः कृषकों से अपील की जाती है कि आपके पास उपलब्ध बीज अथवा अन्य कृषकों के पास उपलब्ध बीज को क्रय कर उसकी सफाई एवं स्पाइरल सीड ग्रेडर से ग्रेडिंग कर बीज तैयार कर बुवाई के काम में लें।

बीज बुआई से पहले करें अंकुरण की जाँच

संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार अतीश कुमार शर्मा, बारां ने बताया कि किसान साफ किए हुए बीज की बुवाई पूर्व अंकुरण की जांच अवश्य करें। सोयाबीन बीज के अंकुरण की जाँच के लिए 100 दाने लें और उन्हें गीले किए हुए टाट बोरे में रखें एवं प्रतिदिन टाट बोरे को पानी के छींटे देकर गीला करें। 2-3 दिन बाद बीजों का अंकुरण हो जाएगा यदि 100 दानों में से 70 दानों का स्वस्थ अंकुरण होता है तो 80 किलो बीज प्रति हैक्टेयर बुवाई हेतु काम लेवें, यदि अंकुरण 60 प्रतिशत तक होता है तो बीज दर उसी अनुपात में बढ़ा दें। उन्होंने बताया कि 50 प्रतिशत से कम अंकुरण होने पर बीज की बुवाई ना करें उसकी जगह दुसरा बीज काम लें। 

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किसान यहाँ करा सकते हैं बीजों के अंकुरण की जाँच

कृषि विभाग द्वारा किसानों को बीजों के अंकुरण की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है जिससे किसान अपने पास रखे हुए बीज की अंकुरण जांच करवाना चाहे तो बीज परीक्षण प्रयोगशाला कारखाना बॉग कोटा द्वारा निशुल्क बीज की जांच करा सकते हैं। इसके लिए 1 किलोग्राम बीज का नमूना एक थैली में पैक कर उस पर अपना नाम व पता अंकित कर एक सादा कागज पर आवेदन कर सकते हैं। नमूना जांच के लिए सीधे भी भेज सकते हैं या संबंधित सहायक कृषि अधिकारी के माध्यम से कार्यालय संयुक्त निदेशक कृषि जिला परिषद में जमा करा सकते हैं।

संयुक्त निदेशक ने बताया कि जो कृषक अपने स्वयं का बीज बुवाई के काम में लेंगे उन्हें बाजार से महंगा बीज क्रय नहीं करना पड़ेगा और लागत में कमी आएगी एवं उत्पादन में भी कोई कमी नहीं आयेगी।

किसानों को स्पाइरल सीड ग्रेडर मशीन पर दिया जाता है अनुदान

राजस्थान सरकार द्वारा स्पाइरल सीड ग्रेडर पर अनुसूचित जाति, जनजाति एवं लघु सीमान्त कृषकों को 50 प्रतिशत या अधिकतम 10 हजार रुपए व सामान्य कृषकों को 40 प्रतिशत या अधिकतम 8 हजार रुपए का अनुदान भी उपलब्ध कराया जा रहा है। जिन कृषकों को स्पाइरल सीड ग्रेडर की आवश्यकता है वे अपना आवेदन ई-मित्र के माध्यम से राज किसान साथी पोर्टल पर कर सकते हैं।

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