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शनिवार, अक्टूबर 5, 2024
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थ्रेशर से गेहूं एवं भूसा निकालते समय किसान इन बातों का रखें ध्यान, नहीं होगी कोई परेशानी

आज भी देश में अधिकांश किसानों के द्वारा गेहूं की मड़ाई थ्रेशर के द्वारा की जाती है। बता दें कि बालियों या फली से दोनों को अलग करने की प्रक्रिया को ही मढ़ाई कहा जाता है। थ्रेशर से मड़ाई तथा ओसाई दोनों काम एक साथ किए जाते हैं। थ्रेशर में कई प्रकार की छलनियों का प्रयोग किया जाता है इससे भूसा और अनाज अलग-अलग हो जाते हैं। थ्रेशर से मड़ाई करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बहुत ही कम समय एवं कम खर्च में काम हो जाता है।

थ्रेशर मशीन कई हिस्सों से मिलकर बनी होती है जिसके अलग-अलग कार्य होते हैं। यह सभी हिस्से लोहे के बने एक फ्रेम पर लगे होते हैं। इनमें फीडिंग इकाई, मड़ाई करने वाली इकाई, अनाज और भूसा अलग करने वाली इकाई, अनाज साफ करने वाली इकाई, अनाज भरने और तोलने वाली इकाई एवं शक्ति स्थानांतरण इकाइयाँ प्रमुख हैं। इन सभी इकाइयों के काम अलग-अलग होते हैं। जिनकी मदद से थ्रेशरिंग का पूरा काम किया जाता है।

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किसान गेहूं से दाना निकालते समय रखें यह सावधानियाँ

किसानों को थ्रेशर मशीन के इस्तेमाल में कई प्रकार की सावधानियां बरतने की जरूरत होती है ताकि कम लागत में अधिक से अधिक काम किया जा सके और गुणवत्तापूर्ण उपज प्राप्त की जा सके।

  • मड़ाई के लिये किसानों को थ्रेशर समतल भूमि पर, जमीन में खोदकर/खूँटियों की सहायता से रखनी चाहिए।
  • मशीन की दिशा बहने वाली हवा की दिशा के अनुकूल होना चाहिए।
  • गेहूं के बण्डलों को समान रूप से थ्रेशर में डालना चाहिए, जिससे मशीन की कार्य क्षमता बढ़ जाती है।
  • मशीन में गेहूं के बंडल डालते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि फसल के साथ कोई लकड़ी या लोहे के टुकड़े न हो।
  • छिद्रों की समय-समय पर जाँच एवं उनकी सफाई करनी चाहिए।
  • बीयरिंग्स एवं अन्य काम करने वाले पुर्ज़ों पर ग्रीस/तेल लगा देना चाहिए ताकि उनमें चिकनाहट बनी रहे।
  • फीडिंग करते समय ऑपरेटर को फीडिंग ट्रफ में ज्यादा अंदर तक हाथों को नहीं डालें।
  • 8-10 घंटे लगातार काम कर लेने पर मशीन को पुनः काम में लगाने के पूर्व थोड़ा आराम देना चाहिए।
  • जब थ्रेशिंग का काम खत्म हो जाता है। उसके बाद भी कुछ देर तक मशीन को खाली अवस्था में ही चलाते रहें, इससे अंदर जो भी अवशेष बचा होता है वह साफ हो जाता है
  • थ्रेशर में यदि दाना टूट रहा हो, तो सिलेंडर के चक्कर की संख्या प्रति मिनट कम कर देनी चाहिए और कॉन्केव/ सिलेंडर के बीच की दूरी बढ़ानी चाहिए।
  • थ्रेशिंग सीजन की समाप्ति के बाद मशीन जब प्रयोग में नहीं आती है, तब सभी बेल्ट्स को हटा देना चाहिए एवं मशीन को ढकी हुई जगह पर रख देना चाहिए।
  • सिलेण्डर के स्पाइक/हैमर के घिस जाने पर उनको तुरंत बदलना अनिवार्य है।
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