back to top
Wednesday, May 22, 2024
Homeकिसान समाचारकिसान इस तरह करें सरसों की फसल में लगने वाले कीटों का...

किसान इस तरह करें सरसों की फसल में लगने वाले कीटों का नियंत्रण

सरसों की फसल में लगने वाले कीटों का नियंत्रण

देश में रबी सीजन के दौरान सरसों की खेती प्रमुखता से की जाती है। सरसों, भारत में सबसे महत्वपूर्ण खाद्य तेल फसलों में से एक है, देश के कई राज्यों के किसान इसकी खेती करते हैं। सरसों की बुआई अक्टूबर से दिसंबर महीने के दौरान की जाती है। इसके पूरे फसल चक्र यानि की बुआई से कटाई तक इसमें बहुत से कीट-रोग लगते हैं जिससे फसल को काफी नुकसान होता है। किसान समय पर इन कीट-रोगों की पहचान का उनका नियंत्रण कर सकते हैं।

यदि किसान समय पर सरसों पर लगने वाले कीट-रोगों की पहचान कर उनका नियंत्रण कर लें तो इसके उत्पादन को काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है। सरसों की फसल में मुख्यतः आरा मक्खी, माहूं, पेंटेड बग आदि कीट लगते हैं जो फसल को काफी नुकसान पहुँचाते हैं। आइये जानते किसान किस तरह इन कीट की पहचान कर उनका नियंत्रण कर सकते हैं।

सरसों की फसल में लगने वाली आरा मक्खी कीट की पहचान

सरसों की फसल में अक्सर अंकुरण के 25 से 30 दिनों बाद आरा मक्खी का प्रकोप हो जाता है। यह कीट फसल को अधिक नुकसान पहुंचाता है। शुरुआत में यह कीट फसल के छोटे पौधों पर दिखाई देते हैं। इसकी गिडारें पत्तियों को कुतरना शुरू करती हैं। इसके बाद ये खाने के लिए किनारे से मध्य शिरा की ओर बढती है। ये पत्तियों को तेजी से खाती है तथा पत्तियों में अनगिनत छेद बना देती हैं। इनका प्रकोप अधिक होने पर पत्तियाँ पूरी तरह से शिराओं के जाल में बदल जाती हैं। यह मक्खी प्ररोह की बाहरी त्वचा को खा जाती है। इससे प्ररोह सुख जाते हैं और पुराने पौधे बीज पैदा करना बंद कर देते हैं।

यह भी पढ़ें   फसलों के अधिक उत्पादन के लिए किसान इन कृषि यंत्रों से करें फसलों की बुआई

इस तरह करें आरा मक्खी का नियंत्रण

आरा मक्खी प्रबंधन के लिए अंकुर अवस्था में सिंचाई करने से अधिकांश लार्वा डूबने के प्रभाव से मर जाते हैं। इसकी रोकथाम के लिए किसान मैलाथियान ईसी 50 प्रतिशत प्रति 600 मि.ली. 200–400 लीटर पानी/एकड़ या मिथाईल पैराथियान 2 प्रतिशत डीपी प्रति 6,000 ग्राम/एकड़ में से किसी एक रासायनिक दवा का छिड़काव कर इस कीट को खत्म कर सकते हैं।

सरसों में माहूं या चैंपा कीट की पहचान कैसे करें?

सरसों के पौधों में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कीट माहूं यानि चैंपा कहलाता है। वयस्क और शिशु दोनों ही पत्तियों, कलियों और फलियों से रस ग्रहण करते हैं। इससे संक्रमित पत्तियां मुड़ जाती हैं और बाद के चरण में, पौधे सुखकर मुरझा जाते हैं। पौधों का विकास अवरुद्ध हो जाता है, इस कारण पौधे बौने रह जाते हैं। कीटों द्वारा उत्सर्जित शहद के ओस पर कालिख युक्त फफूंद आ जाती है।

माहूं या चैंपा कीट का नियंत्रण कैसे करें?

सरसों–एफिड जैसे मुख्य रोगों से होने वाले नुकसान से बचने के लिए किसानों को जल्दी बुआई करना चाहिए। साथ ही इसके लिए सहनशील प्रजातिओं का उपयोग किसान कर सकते हैं। जैविक नियंत्रण में सरसों के एफिड के लिए 2 प्रतिशत नीम तेल और 5 प्रतिशत नीम बीज गिरी अर्क (एनएसकेई) का छिड़काव किसानों को करना चाहिए।

यह भी पढ़ें   बाजार में 100 रुपये किलो तक बिक रही है गेहूं की यह किस्म, सरकार खेती के लिए दे रही है प्रोत्साहन

इसकी रोकथाम के लिए आँक्सीडेमेटोन- मिथाइल 25 प्रतिशत ईसी/ 400 मि.ली. 200–400 लीटर पानी / एकड़ या मैलाथियान 50 प्रतिशत ईसी/400 मि.ली. 200–400 लीटर पानी/एकड़ का छिड़काव कर सकते हैं। या थियामेथोक्सम 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी /20 – 40 ग्राम 200 – 400 लीटर पानी / एकड़ में से किसी एक का छिड़काव भी किया जा सकता है।

सरसों की फसल में पेंटेड बग की पहचान

यह कीट बदलते मौसम के दौरान फसल पर दो बार हमला करता है। पहली बार अक्टूबर से नवंबर में एवं दूसरी बार मार्च और अप्रैल महीने में फसल के परिपक्व होने से पहले। निम्फ और वयस्क जिन पत्तियों और फलियों से कोशिका रस ग्रहण करते हैं वे धीरे-धीरे मुरझा जाती है तथा सूख जाती हैं। फलियाँ चूसने के कारण वे सिकुड़ जाती हैं और बीजों का विकास रूक जाता है। इस वजह से तेल की उपज भी कम हो जाती है।

पेंटेड बग कीट का नियंत्रण कैसे करें?

किसानों को सरसों की फसल को इस कीट से बचाने के लिए शीघ्र बुआई कर देनी चाहिए। फिर भी यदि इस कीट का प्रकोप होता है तो किसान इसके लिए रासायनिक दवाओं का छिड़काव कर सकते हैं। इसकी रोकथाम के लिए किसान इमिडाक्लोरोप्रिड 70 प्रतिशत WS/700 ग्राम/100 किलोग्राम बीज या डाइक्लोरवास 76 प्रतिशत ईसी/250.8 मिली 200-400 लीटर पानी/ एकड़ में छिड़काव करें या फोरेट 10 प्रतिशत सीजी/6000 ग्राम/एकड़ का भी प्रयोग कर सकते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
यहाँ आपका नाम लिखें

ताजा खबर