back to top
28.6 C
Bhopal
शुक्रवार, अक्टूबर 11, 2024
होमकिसान समाचारकिसान इस तरह करें आलू में मांहू या चेपा कीट का...

किसान इस तरह करें आलू में मांहू या चेपा कीट का नियंत्रण

आलू में लाही (Aphid) या मांहू या चेपा कीट नियंत्रण

देश के विभिन्न क्षेत्रों में किसानों के द्वारा अलग-अलग फसलों की खेती की जाती है, जिसमें समय-समय पर विभिन्न कीट-रोगों का प्रकोप होता रहता है। जिससे न केवल फसल की लागत में वृद्धि होती है बल्कि फसल की हानि होने से किसानों को काफी नुकसान होता है। ऐसे में किसानों को समय पर इन कीट-रोगों की पहचान कर उनका नियंत्रण कर लेना चाहिए ताकि फसल को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके। 

इसी तरह आलू की फसल में लाही (Aphid) या मांहू या चेपा कीट का प्रकोप होता है। मांहू कीट एक सर्वव्यापी व बहुभक्षी कीट है। ये रस चूसने वाले कीट की श्रेणी में आते हैं। माइजक परसिकी ( Myzus persicae) व गौसिपी ( Aphis gossypii) नामक मांहू आलू की फसल पर प्रत्यक्ष रूप से तो ज़्यादा नुकसान नहीं पहुँचाते हैं परंतु ये विषाणुओं को फैलाते हैं। इन वायरस रोगों से फसल को भारी नुकसान होता है।

यह भी पढ़ें   किसान अधिक उत्पादन के लिए इस तरह करें फसलों में खाद-उर्वरक का छिड़काव

रोग मुक्त बीज आलू उत्पादन में कीट प्रमुख बाधक हैं। ये पत्तियों का रस चुसतें हैं फलतः पौधे कमजोर हो जाते हैं। पत्तियाँ टेढ़ी-मेढ़ी हो जातीं हैं। फसल या खेतों में मांहू के प्रभाव को आँकने के लिए उनकी गिनती 100 यौगिक पत्तियों पर प्रति सप्ताह की जाती हैं। यदि इनकी संख्या 20 माहुं/100 पत्ती हो जाए तो इस पर रसायन का छिडकाव जरूरी हो जाता है।

इन रासायनिक दवाओं से करें लाही ( मांहू या चेपा) कीट का नियंत्रण

आलू की फसल में लाही कीट के नियंत्रण के लिए प्रोफेनोफास 50 ई.सी. (1500 मि.ली./ हेक्टेयर) या इमिडाक्लोप्रिड (500 मि.ली./ हेक्टेयर) का छिड़काव करना चाहिए। साथी ही किसानों को रोपाई के 45 दिनों के बाद फसल पर 0.1% रोगर या मेटासिस्टाकस का घोल 2-3 बार 15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए। 

यह भी पढ़ें   इन राज्यों में 7 गुना अधिक होगी गेहूं की सरकारी खरीद, सरकार ने तैयार किया प्लान
download app button
google news follow
whatsapp channel follow

Must Read

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
यहाँ आपका नाम लिखें

Latest News