कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने 18 अगस्त 2023 तक देश में किसानों के द्वारा लगाई गई खरीफ फसलों के आँकड़े जारी कर दिए हैं। जारी आँकड़ों के अनुसार कमजोर मानसून के बावजूद भी किसानों ने सबसे अधिक रुचि धान एवं मोटे अनाज के उत्पादन में दिखाई है। वहीं सरकार द्वारा दलहन एवं तिलहन फसलों के लिए चलाई जा रही प्रोत्साहन योजनाओं के बाद भी किसानों ने इन फसलों को लगाने में रुचि नहीं दिखाई है। सबसे अधिक गिरावट दलहन फसलों में दर्ज की गई है।
कमजोर मानसून के बावजूद भी 18 अगस्त तक पिछले वर्ष इसी अवधि में बोई गई फसलों के कुल रकबे में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने 18 अगस्त 2023 को खरीफ फसलों के तहत क्षेत्र कवरेज की प्रगति रिपोर्ट जारी कर दी है। जिसके मुताबिक इस वर्ष 1022.51 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुआई की गई है जो पिछले वर्ष कि तुलना में मात्र 0.10 प्रतिशत अधिक है।
किसानों ने धान एवं श्री अन्न (मोटा अनाज) में दिखाई रुचि
खरीफ सीजन 2023 में सामान्य से कम वर्षा के बावजूद भी धान के बुआई रकबे में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है। इस वर्ष धान का बुवाई रकबा पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 15 लाख हेक्टेयर बढ़कर 360.79 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले वर्ष से 4.34 प्रतिशत अधिक है। पिछले वर्ष इसी अवधि में किसानों ने 345.79 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान लगाई थी।
वहीं श्री अन्न मोटे अनाज की बात कि जाए तो उसके रकबे में भी 1.61 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले वर्ष जहां मोटे अनाज का बुआई रकबा 173.60 लाख हेक्टेयर था वो इस वर्ष बढ़कर 176.39 लाख हेक्टेयर हो गया है। मोटे अनाज की फसलों के बुआई रकबे में रागी 17.66 प्रतिशत, मक्का 2.30 प्रतिशत, बाजरा 1.09 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तो वहीं ज्वार के बुआई रकबे में 7.27 प्रतिशत की कमी आई है।
दलहन फसलों में आई 9 प्रतिशत की कमी
यदि दाल वाली फसलों की बात कि जाए तो इस वर्ष सभी प्रमुख दलहन फसलों के बुआई रकबे में 9.16 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इसमें कुल्थी एक मात्र दलहन फसल है जिसके बुआई रकबे में 10.60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं बात की जाए प्रमुख दालों की तो अरहर के बुआई रकबे में 6.40 प्रतिशत की कमी आई है। पिछले वर्ष अरहर बुआई का रकबा जहां 43.72 लाख हेक्टेयर था वो इस वर्ष घटकर 40.92 लाख हेक्टेयर रह गया है।
वहीं दलहन फसलों में सबसे अधिक गिरावट उड़द फसल में हुई है, जो 15.26 फीसदी है। पिछले वर्ष जहां इस अवधि में उड़द का बुआई रक़बा 35.62 लाख हेक्टेयर था वो इस वर्ष घटकर 30.19 लाख हेक्टेयर हो गया है। वहीं मूंग के बुआई रकबे में 8.10 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। पिछले वर्ष जहां इस अवधि में मूँग का बुआई रक़बा 33.07 लाख हेक्टेयर था वो इस वर्ष घटकर 30.39 लाख हेक्टेयर हो गया है।
तिलहन फसलों के बुआई रकबे में भी आई कमी
देश में खाद्य तेल का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार तिलहन फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन दे रही है इसके बावजूद भी किसानों ने तिलहन फसलें लगाने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली है। इस वर्ष ख़रीफ़ सीजन में तिलहन फसलों के बुआई रकबे में 1.68 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। पिछले वर्ष इस अवधि में जहां किसानों ने 189.08 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में तिलहन फसलें लगाई थी तो वहीं इस वर्ष इसका रकबा घटकर 185.91 लाख हेक्टेयर हो गया है।
खरीफ सीजन में बुआई रकबे में सबसे अधिक गिरावट सूरजमुखी 64.54 प्रतिशत, नाइजर 63.90 प्रतिशत, मूँगफली 1.71 प्रतिशत एवं तिल 1.05 प्रतिशत हुई है। खरीफ सीजन में तिलहन की मुख्य फसल मूँगफली का रक़बा 44.48 लाख हेक्टेयर से घटकर 42.77 लाख हेक्टेयर हो गया है। वहीं सोयाबीन के रकबे में 0.76 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले वर्ष जहां इस अवधि में सोयाबीन का रक़बा 123.39 लाख हेक्टेयर था जो इस वर्ष बढ़कर 124.15 लाख हेक्टेयर हो गया है।
कपास के बुआई रकबे में भी आई कमी
वहीं इस वर्ष कपास के बुआई रकबे में भी कमी आई है। कृषि विभाग के द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार 18 अगस्त 2023 तक देश में कुल 121.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की बुआई कि गई है। जो पिछले वर्ष कि इसी अवधि के मुकाबले 1.89 प्रतिशत कम है। पिछले वर्ष इसी अवधि में देश भर में कुल 124.21 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की बुआई की गई थी।
सरकार द्वारा जारी आकड़ों की मानें तो इस वर्ष किसानों ने दलहन एवं तिलहन फसलों की बुआई के रकबे में कमी हुई है, साथ ही कमजोर मानसून के चलते इन फसलों की पैदावार पर भी विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। जिससे इनके उत्पादन में गिरावट आ सकती है। जिससे देश में खाद्य तेल के साथ ही दालों के भाव में भी वृद्धि हो सकती है।