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किसान अधिक पैदावार के लिए लगाएं सोयाबीन की नई विकसित किस्म MACS 1407

सोयाबीन की नई विकसित किस्म MACS (एमएसीएस) 1407

देश में किसानों की आय बढ़ाने एवं कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों के विकास हेतु भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् ICAR के विभिन्न संस्थानों की सहायता से फसलों की नई-नई किस्में विकसित करता है | इस कड़ी में भारतीय वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की एक अधिक उपज देने वाली और कीट प्रतिरोधी किस्म विकसित की है जिसका नाम है “MACS (एमएसीएस) 1407” | यह किस्म सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है साथ ही इस किस्म की उत्पादकता एवं कीट प्रतिरोधी क्षमता अधिक होने से देश में सोयाबीन के उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिलेगी |

इस किस्म को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान एमएसीएस – अग्रहार रिसर्च इंस्टीट्यूट (एआरआई), पुणे के वैज्ञानिकों ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), नई दिल्ली के सहयोग से सोयाबीन की अधिक उपज देने वाली किस्मों और सोयाबीन की खेती के उन्नत तरीकों को विकसित किया है। उन्होंने पारंपरिक क्रॉस ब्रीडिंग तकनीक का उपयोग करके एमएसीएस 1407 किस्म को विकसित किया है |

सोयाबीन MACS 1407 किस्म की विशेषताएं

MACS (एमएसीएस)1407 किस्म की कीट प्रतिरोधक क्षमता आधिक है | सोयाबीन की इस किस्म में गर्डल बीटल, लीफ माइनर, लीफ रोलर, स्टेम फ्लाई, एफिड्स, व्हाइट फ्लाई और डिफोलिएटर जैसे प्रमुख कीट-पतंगों की प्रतिरोधी है | जिससे इन कीट पतंगों का प्रभाव इस किस्म पर नहीं पड़ता जिससे अच्छा उत्पादन प्राप्त होता ही है साथ ही किसानों के कीटनाशक के पैसों को बचाकर इसकी लागत कम करने में भी सहायक है |

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इसका मोटा तना, जमीन से ऊपर (7 सेमी) फली सम्मिलन और फली बिखरने का प्रतिरोधी होना इसे यांत्रिक कटाई के लिए भी उपयुक्त बनाता है। यह पूर्वोत्तर भारत की वर्षा आधारित परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है।

सोयाबीन MACS 1407 किस्म की खेती की जानकारी

एमएसीएस 1407 नाम की यह नई विकसित किस्म असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त है | सोयाबीन की यह किस्म बिना किसी उपज हानि के 20 जून से 5 जुलाई के दौरान बुआई के लिए अत्यधिक अनुकूल है। यह इसे अन्य किस्मों की तुलना में मानसून की अनिश्चितताओं का अधिक प्रतिरोधी बनाता है।

MACS 1407 को 50 प्रतिशत फूलों के कुसुमित होने के लिए औसतन 43 दिनों की जरूरत होती है और इसे परिपक्व होने में बुआई की तारीख से 104 दिन लगते हैं। इसमें सफेद रंग के फूल, पीले रंग के बीज और काले हिलम होते हैं। इसके बीजों में 19.81 प्रतिशत तेल की मात्रा, 41 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा होती है और इसकी अच्छी अंकुरण क्षमता भी अधिक है | यह किस्म अधिक उपज, कीट प्रतिरोधी, कम पानी और उर्वरक की जरूरत वाली और यांत्रिक कटाई के लिए उपयुक्त है |

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सोयाबीन MACS (एमएसीएस)1407 किस्म से होने वाली पैदावार

MACS (एमएसीएस)1407 प्रति हेक्टेयर में 39 क्विंटल की पैदावार देती है जो सोयाबीन की इस किस्म को अधिक उपज देने वाली किस्मों में शामिल करता है | इस अनुसंधान का नेतृत्व करने वाले एआरआई के वैज्ञानिक श्री संतोष जयभाई ने कहा कि ‘एमएसीएस 1407’ ने सबसे अच्छी जांच किस्म की तुलना में उपज में 17 प्रतिशत की वृद्धि की और योग्य किस्मों के मुकाबले 14 से 19 प्रतिशत अधिक उपज लाभ दिया है |

किसानों को कब उपलब्ध होगी सोयाबीन MACS 1407 किस्म

सोयाबीन की इस किस्म को हाल ही में भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली फसल मानकों से जुड़ी केन्द्रीय उप–समिति, कृषि फ़सलों की किस्मों की अधिसूचना और विज्ञप्ति द्वारा जारी किया गया है और इसे बीज उत्पादन और खेती के लिए कानूनी रूप से उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके बीज वर्ष 2022 के खरीफ के मौसम के दौरान सभी किसानों को बुवाई के लिए उपलब्ध करवा दिए जाएंगे |

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