कृषि अपशिष्ट से उद्यमिता विषय पर होगा मेले का आयोजन
कोरोना काल के बाद फिर से जन-जीवन सामान्य हो रहा है, ऐसे में अलग-अलग कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा आयोजित किए जाने वाले कृषि मेलों की भी शुरुआत हो चूकी है। सालाना आयोजित होने वाले इन कृषि मेलों में किसान जहां खेती में उपयोग की जा रही नई तकनीकों की जानकारी ले सकते हैं वहीं किस तरह इन तकनीकों का उपयोग कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं इसका ज्ञान भी प्राप्त कर सकते हैं। नई दिल्ली में आयोजित होने वाले पूसा कृषि विज्ञान मेले के बाद अब बिहार राज्य के डॉ. राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय ने भी इस वर्ष के कृषि मेले के लिए तारीखों एवं उसमें किसानों को दी जाने वाली सुविधाओं का ऐलान कर दिया है।
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय बिहार में 12 मार्च से 14 मार्च के दौरान कृषि मेले का आयोजन किया जायेगा। आयोजित होने वाले इस तीन दिवसीय क्षेत्रीय कृषि मेले “कृषि अपशिष्ट के मुद्रीकरण द्वारा उद्यमिता विकास” विषय पर होगा। किसान इस मेले में बिना किसी शुल्क के भाग ले सकते हैं। मेले में मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, कृषि यंत्रों, जैविक खेती, किसान गोष्ठी, आधुनिक सिंचाई प्रणाली आदि विषयों पर प्रदर्शनी एवं जानकारी भी किसान प्राप्त कर सकेंगे।
कृषि मेले के लक्ष्य एवं उद्देश्य क्या है
- उत्पन्न कृषि अपशिष्ट को मानव, कृषि भूमि उपयोग एवं पशुओं के लिए उत्पाद में परिवर्तित करना।
- राजकोषीय गतिविधि को बढाने के लिए अपेक्षाकृत नए क्षेत्र में आजीविका सृजन के अवसर प्रदान करना।
- कृषि अपशिष्ट को आर्थिक उपयोग में लाना जिससे पर्यावरण पर दबाव कम हो।
- व्यवसायिक उद्धम सृजित करने के लिए विभिन्न हितधारकों को आकर्षित करना।
- योजनागत आर्थिक और समाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए गांवो को समृद्ध बनाना।
- सामाजिक परिवर्तन के लिए संबद्ध कृषि गतिविधियों जैसे मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पन, वर्मीकम्पोस्टिंग आदि को बढ़ावा देना।
- ग्रामीण के तकनीकी कौशल का पता लगाना और उनका पोषण करना ताकि उच्च स्तर के कौशल और कलात्मक प्रतिभा के साथ मानव शक्ति की कोई कमी न हो।
- खेती की लागत कम करने और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए कृषि प्रौधोगिकी और कृषि मशीनरी की प्रदर्शनी।
- सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के साथ कृषि आधारित लघु एवं मध्यम उद्यमियों के सहयोग से नए क्षितिज को तलाशना।
- संगोष्ठी/किसान गोष्ठी के माध्यम से नवीनतम कृषि प्रौधोगिकियों पर किसानों और वैज्ञानिकों के बीच बातचीत और ज्ञान साझा करना।
- खाद्ध और पोषण सुरक्षा के लिए छोटे जोत वाले किसानों को मशरूम उत्पादन एवं प्रसंस्करण पर प्रदर्शनी।
- प्रति बूंद अधिक फसल के लिए जल संरक्षण तकनीक और भूजल पुनर्भरण के लिए जल संचयन संरचना का प्रदर्शन।
- ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत, सौर ऊर्जा वृक्षों, सौर पंपों और नाव पर लगे सौर सिंचाई प्रणाली की प्रदर्शनी।
किस दिन क्या कार्यक्रम रहेगा ?
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय में क्षेत्रीय कृषि मेला 2022 का आयोजना किया जा रहा है। यह कृषि मेला 12 से 14 मार्च 2022 तक आयोजित किया जाएगा। इस मेले में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं | जो इस प्रकार है :-
- 12 मार्च 2022 (शनिवार) पंजीकरण, उद्घाटन एवं प्रदर्शनी
- 13 मार्च, 2022 (रविवार) पंजीकरण, प्रदर्शनी, गोष्ठी, सेमीनार, प्रक्षेत्र – भ्रमण
- 14 मार्च, 2022 (सोमवार) पंजीकरण, प्रदर्शनी, गोष्ठी, मुल्यांकन, समापन समारोह
विश्वविद्यालय द्वारा कृषि अपशिष्ट प्रबंधन के लिए विकसित की गई प्रौद्योगिकियां
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा हाल ही में कृषि अपशिष्ट को लेकर कई नई प्रौद्योगिकियां विकसित की गई हैं । जिनमें
- ग्रामीण एवं कृषि अपशिष्ट को वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन के लिए “सुखेत मॉडल”,
- केले के रेशे से विभिन्न सजावटी एवं अन्य उत्पाद बनाने की तकनीक,
- मक्का के गोले से डिस्पोज़ल प्लेट्स बनाना,
- अरहर डंठल से पर्यावरण अनुकूल तबले स्टैंड, कटलरी सेट, कैलेंडर स्टैंड आदि बनाने की तकनीक,
- लीची के बीज से मछलियों का आहार,
- हल्दी के फसल अवशेषों से आवश्यक तेल निकालने की तकनीक शामिल है ।
किसान कैसे पहुँचे इस कृषि मेले में?
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर बिहार के परिसर में इस तीन दिवसीय क्षेत्रीय मेले का आयोजन किया जायेगा। विश्वविद्यालय का यह परिसर समस्तीपुर रेलवे स्टेशन से 20 कीलोमीटर दूरी पर स्थित है, वहीं सबसे नज़दीकी स्टेशन खुदीराम बोस पूसा रेलवे स्टेशन से मात्र 0.9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा कृषि विश्वविद्यालय का या परिसर मुज़फ़्फ़रपुर रेलवे स्टेशन से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अधिक जानकारी के लिए किसान कृषि विश्वविद्यालय की वेबसाइट https://www.rpcau.ac.in पर देख सकते हैं।