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कृषि मेले में किसानों ने खरीदे 42 लाख रुपये के प्रमाणित बीज

देश में किसानों को खेती-किसानी की नई तकनीकों से अवगत कराने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों के माध्यम से कृषि मेलों का आयोजन किया जाता है। इस कड़ी में 18 से 19 मार्च 2024 के दौरान हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार में दो दिवसीय कृषि मेला खरीफ 2024 का आयोजन किया गया। मेले में इन दो दिनों के दौरान हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के करीब 67 हजार किसान शामिल हुए।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज के अनुसार मेले में किसानों ने करीब 42.26 लाख रुपये के खरीफ फसलों व सब्जियों की उन्नत एवं सिफारिश की गई किस्मों के प्रमाणित बीज खरीदे। इसके अलावा करीब 78 हजार 100 रुपये के फलदार पौधे एवं सब्जियों के बीज भी किसानों ने खरीदे। मेले में करीब 248 स्टॉल लगाये गये थे जहां किसानों ने कृषि यंत्रों सहित विभिन्न नई तकनीकों की जानकारी हासिल की।

किसानों ने खरीफ सीजन की फसलों के खरीदे बीज

कृषि मेला खरीफ 2024 में किसानों ने खास तौर पर अभी आने वाले खरीफ सीजन की फसलों एवं सब्जियों के बीज तथा फलों की नर्सरी के लिए बीजों की ख़रीददारी की। इसके लिए विश्वविद्यालय की ओर से मेले में सरकारी बीज एजेंसियों के सहयोग से बीज बेचने की व्यवस्था की गई थी। बीज के अलावा भी किसानों ने 8900 रुपये के जैव उर्वरक तथा 20,000 हजार रुपये का कृषि साहित्य भी खरीदा।

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मेले में किसानों को विश्वविद्यालय के अनुसंधान फार्म का भ्रमण करवाकर उन्हें वैज्ञानिक विधि से उगाई गई फसलों के प्रदर्शन प्लांट दिखाए गए तथा उन्हें जैविक व प्राकृतिक खेती में प्राकृतिक संसाधन संरक्षण कृषि उत्पादन व गुणवत्ता बढ़ाने व फसल लागत कम करने संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी गई।

मेले में किसानों को ड्रोन तकनीक से कराया गया अवगत

चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार में आयोजित कृषि मेले की मुख्य थीम थी खेती में ड्रोन का महत्व। मेले में किसानों को खेती में ड्रोन के महत्व के बारे में जानकारी भी दी गई। मेले के अंतिम दिन किसानों को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहा कि ड्रोन तकनीक समय, श्रम व संसाधनों की बचत करने वाली एक आधुनिक तकनीक है जो कृषि लागत को कम करने में व फसल उत्पादन बढ़ाने में सहायक है। ड्रोन का उपयोग अपनी फसलों के बारे में नियमित जानकारी प्राप्त करने और अधिक प्रभावी कृषि तकनीकों के विकास में सहायक है।

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बदलते मौसम की स्थिति में भी ड्रोन तकनीक का कुशलता से प्रयोग कर सकते हैं। दुर्गम इलाक़ों में तथा असमतल भूमि में कीटनाशक, उर्वरकों व खरपतवार नाशक दवाओं के छिड़काव में भी सहायक है। खरपतवार पहचान एवं प्रबंधन में सबसे महत्वपूर्ण तकनीक है।

उन्होंने कहा कि ड्रोन का उपयोग करके मिट्टी व खेत का विश्लेषण भी किया जा सकता है। कीट बीमारियों से लड़ने के लिए बड़े स्तर पर ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है। मल्टी स्पेक्ट्रल इमेजरी सिस्टम से लैस ड्रोन द्वारा कीड़ों, टिड्डियों व सैनिक कीट के आक्रमण का पता लगते ही समय पर कृषि रसायनों का छिड़काव करने से फसल के नुकसान को बहुत ही कम किया जा सकता है।

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