देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा खेती-किसानी की नई-नई तकनीकों का विकास किया जा रहा है। ऐसे में देश के किसानों तक इन तकनीकों की जानकारी को पहुँचाया जा सके इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्रों की मदद से किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है। इस कड़ी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ICAR और धानुका एग्रीटेक ने हाथ मिला लिया है ताकि देश के अधिक से अधिक किसानों को प्रशिक्षण दिया जा सके।
बुधवार 20 मार्च के दिन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और धानुका एग्रीटेक लिमिटेड ने एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते का उद्देश्य दोनों संस्थानों की दक्षता का उपयोग कर किसानों तक नई तकनीक पहुंचाना है।
किसानों को प्रशिक्षण के साथ दी जाएगी तकनीकी सलाह
इस मौके पर आईसीएआर के उप-महानिदेशक डॉ. गौतम ने कहा कि इस समझौते का उद्देश्य दोनों संस्थानों की दक्षता का उपयोग कर किसानों तक नई तकनीक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि देशभर में 14.5 करोड़ से ज्यादा किसान हैं, जिनमें से अधिकतर किसानों के पास छोटी भूमि जोत है। धानुका एग्रीटेक केंद्रीय संस्थानों, अटारी और कृषि विज्ञान केन्द्र के साथ जुड़कर इन छोटे किसानों को कृषि उत्पादन से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
डॉ. गौतम ने कहा कि आज पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर रही है और भारत भी इससे अछूता नहीं है। ऐसे समय में दोनों संस्थानों को मिलकर कृषि उत्पादन की एक नई पद्धति पर काम करने की आवश्यकता है और यह पद्धति है – जलवायु मैत्री। उन्होंने कहा कि इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य बदलते परिवेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना है।
वहीं इस अवसर पर धानुका एग्रीटेक लिमिटेड के अध्यक्ष डॉ. आर.जी. अग्रवाल ने कहा कि धानुका एग्रीटेक आईसीएआर-अटारी और कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से किसानों को सलाहकार सेवा प्रदान और प्रशिक्षित करेगा। इस अवसर पर आईसीएआर के सहायक महानिदेशक, निदेशक, वरिष्ठ वैज्ञानिक और आईसीएआर मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।