मक्के का तुलासिता रोग और रोकथाम
इस रोग में पत्तियों पर पिली धारियाँ पद जाती है | पत्तियों के नीचे की सतह पर सफ़ेद रुई के सामान फफूंदी दिखाई देती है | रोगी पौधों में भुट्टे कम बनते है अथवा बनते ही नहीं | रोग पौधे बौने एवं झाड़ीनुमा हो जाते है |
प्रभावित फसल –
मक्का
रोकथाम
- खेत की गहरी जुताई करें | फसल चक्र सिद्धांत का प्रयोग करें |
- फसल एवं खरपतवार के अवशेषों को नष्ट करें | सिंचाई का समुचित प्रबन्ध करें |
- उन्नतशील / संस्तुत प्रजातियों की ही बुवाई करें |
- बीजशोधन हेतु थिरम 75 प्रतिशत डब्लू.एस. 2.5 ग्राम |
अथवा
- कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लू.पी. की 2 ग्राम
अथवा
- मेटालैक्सिल 35 प्रतिशत डब्लू.एस. की 6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करके बोना चाहिए |
निम्नलिखित रसायन में से किसी एक रसायन को प्रति हे. बुरकाव / 500 – 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए |
- जिरम 80 प्रतिशत डब्लू.पी. 2 कि.ग्रा.
अथवा
- जिनेब 75 प्रतिशत डब्लू.पी. 2 कि.ग्राम.
अथवा
- मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू.पी. 2 कि.ग्रा.