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शुक्रवार, अप्रैल 26, 2024
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मक्के का तुलासिता रोग और रोकथाम

मक्के का तुलासिता रोग और रोकथाम

इस रोग में पत्तियों पर पिली धारियाँ पद जाती है | पत्तियों के नीचे की सतह पर सफ़ेद रुई के सामान फफूंदी दिखाई देती है | रोगी पौधों में भुट्टे कम बनते है अथवा बनते ही नहीं | रोग पौधे बौने एवं झाड़ीनुमा हो जाते है |

प्रभावित फसल –

मक्का

रोकथाम

  • खेत की गहरी जुताई करें | फसल चक्र सिद्धांत का प्रयोग करें |
  • फसल एवं खरपतवार के अवशेषों को नष्ट करें | सिंचाई का समुचित प्रबन्ध करें |
  • उन्नतशील / संस्तुत प्रजातियों की ही बुवाई करें |
  • बीजशोधन हेतु थिरम 75 प्रतिशत डब्लू.एस. 2.5 ग्राम |

अथवा

  • कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लू.पी. की 2 ग्राम

अथवा

  • मेटालैक्सिल 35 प्रतिशत डब्लू.एस. की 6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करके बोना चाहिए |

निम्नलिखित रसायन में से किसी एक रसायन को प्रति हे. बुरकाव / 500 – 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए |

  • जिरम 80 प्रतिशत डब्लू.पी. 2 कि.ग्रा.

अथवा

  • जिनेब 75 प्रतिशत डब्लू.पी. 2 कि.ग्राम.

अथवा

  • मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू.पी. 2 कि.ग्रा.
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