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Wednesday, May 22, 2024
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इस तकनीक से कपास की खेती करने पर किसानों को मिलेगा 30 फीसदी अधिक उत्पादन

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा खेती की नई-नई तकनीकों का विकास किया जा रहा है। इन तकनीकों का लाभ किसानों तक पहुँचाने के लिए कृषि विभाग द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में गुरुवार के दिन खंडवा जिले में आगामी खरीफ सीजन को देखते हुए कपास उत्पादन बढ़ाने को लेकर उच्च घनत्व पौध रोपण तकनीक एवं विपणन पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला में जिले के कलेक्टर अनूप कुमार सिंह, प्रगतिशील किसान, जिनिंग मिल व्यवसायी, एफ़पीओ, एनजीओ स्वयं सहायता समूह के प्रतिनिधि एवं कृषि विस्तार अधिकारी मौजूद रहे। कार्यशाला में उच्च घनत्व पौध रोपण तकनीक से कपास की खेती करने पर होने वाले लाभों के बारे में बताया गया। इसके अलावा किसानों जैविक कपास की खेती करने पर सरकार की ओर से दी जाने वाली सहायता के बारे में भी जानकारी दी गई।

कपास उत्पादन में होती है 30 प्रतिशत तक की वृद्धि

कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिक डॉ. डी.के.श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि परम्परागत रूप से की जा रही खेती में कपास फसल को कतार से कतार की दूरी 90 से 100 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 60 से.मी. रखी जाती है, जिसमें पौधों की संख्या 10 हजार से 20370 पौधे प्रति हेक्टेयर आती है। जबकि उच्च घनत्व पौध रोपण तकनीक में कतार से कतार की दूरी 90 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 से.मी. रखी जाती है, जिसमें पौधों की संख्या लगभग 75,925 से 1,12,962 पौधे प्रति हेक्टेयर आती है, जिसमें परम्परागत रूप से की जाने वाली खेती की तुलना में उच्च घनत्व पौध रोपण तकनीक से 25 से 30 प्रतिशत अधिक उत्पादन प्राप्त होता है।

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जैविक तरीके से कपास की खेती करने पर दी जायेगी सहायता

इस अवसर पर किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के संयुक्त संचालक जी. एस. चौहान ने किसानों को बताया कि जैविक तरीक़े से कपास की खेती करने वाले किसानों को जैविक प्रमाणीकरण के लिए लगने वाले शुल्क में 80 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। इसके अलावा जो भी किसान लगातार 3 वर्षों तक जैविक पद्धति से कपास की खेती करेगा उन किसानों को प्रति हेक्टेयर 2,000 रुपये हर साल दिए जाएँगे।

कार्यशाला में उपस्थित किसानों एवं अन्य सदस्यों के द्वारा कपास उत्पादन की उच्च घनत्व तकनीक से संबंधित पूछे गये सवालों का जबाब कृषि वैज्ञानिक डॉ. डी.के. श्रीवास्तव के द्वारा दिया गया। बैठक में कलेक्टर ने कपास उत्पादन में वृद्धि हेतु आवश्यक कदम उठाये जाने एवं जैविक उत्पाद का विभागीय अमले द्वारा कृषकों में प्रचार-प्रसार कराये जाने के निर्देश उप संचालक कृषि को दिए।

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