खेती को लाभकारी बनाने के लिए किसान भाई यह उपाएँ करें जिससे खेती में लगने वाली लगत को कम किया जा सके एवं उत्पादन बढाया जा सके |
- अरहर की एक पंक्ति के बाद मक्का की एक पंक्ति बोकर मक्का की अतिरिक्त उपज पायें |
- अरहर की दो पंक्तियों के बीच मूंगफली की दो पंक्तियाँ बोई जाये और आमदनी बढायें |
- मक्का की दो पंक्तियों के बीच मूंग / मूंगफली की दो पंक्तियाँ बोकर भूमि को उपजाऊ बनायें |
- अरहर की दो पंक्तियों के बीच में तिल की दो पंक्तियों बोकर अधिक लाभ उठायें |
- मूंगफली की तिन पंक्तियों के बाद बाजरे की एक पंक्ति बोकर कृषि को आर्थिक बनायें |
- अपने खेत की मिटटी की जाँच कराकर सन्तुलित उर्वरक का प्रयोग करें, जिससे भूमि की उर्वरक शक्ति का ह्रास न हो |
- जैविक कृषि को अधिक से अधिक अपना कर रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग को घटायें तथा इसके प्रतिकूल प्रभाव से बचें |
- फौव्वारा (स्प्रिंकलर) सिंचाई पद्धति अपनाने और पानी को बचायें भरपूर उत्पादन पायें |
- टपक (ड्रिप) सिंचाई पद्धति अपनाएं एवं सिंचन क्षमता बढ़ाये |
- एकीकृत कीटनाशी प्रबंधन अपनायें एवं मिटटी की उर्वरा शक्ति बढायें |
- धरती माता कहें पुकार, जैव खाद है इसका श्रृंगार |
- जैविक खाद अपनायें मिटटी को बाँझ होने से बचायें |
स्ट्रिप कापिंग :
फसल सुरक्षा की दृष्टि से स्ट्रिप कापिंग का बहुत महत्व है | इस प्रकार की खेती से मुख्य फसल की सुरक्षा सुनिशिचत हो जाती है | किसान प्राचीन काल से मक्का, गन्ना, ज्वार आदि फसलों के चारों ओर आठ – दस पंक्तियों की पट्टी सनई, पटसन एवं ढैंचा बोते रहे हैं | इनकी पट्टी होने से जानवरों से फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित हो जाती है |
जिंक सल्फेट / जिप्सम का महत्व :
धान– गेंहु की फसली चक्र अपनाने से अधिकतम क्षेत्र में जिंक की कमी भी परिलक्षित हो रही है |इसके लिए जिंक सल्फेट का प्रयोग करके फसलों में जिंक की कमी पूर्ण हो जाती है | जिससे फसलों के उत्पादन में वृद्धि हो जाती है |
इसी प्रकार जिप्सम का प्रयोग ऊसरीली भूमि को सुधारने के कम आता है | साथ ही तिलहनी फसलों में जिप्सम एक रामबाण दवा है, जिससे उत्पादन में बढ़ोतरी होती है, क्योंकि इसमें गंधक प्रचुर मात्र में पाया जाता है |
पर्णीय छिड़काव :
आच्छादित फसलों में कीट/रोग सी ग्रसित फसलों में छिड़काव हेतु संस्तुति रसायनों को उपयुक्त पानी में घोलकर लो वालूम फुट स्प्रेयर में डबुल एक्सन नाजिल द्वारा छिड़काव किया जाय | फल पौधों में हाइवालूम पवार स्प्रेयर द्वारा डबल एक्सन नाजिल द्वारा लगे कीट/रोगों के नियंत्रण हेतु संस्तुति रसायनों को उपयुक्त पानी में घोलकर छिड़काव किया जाय |
खरपतवारों को नियंत्रण करने के लिए फूट स्प्रेयर द्वारा सिंगल एक्सन नाजिल (फलेट फैन नाजिल) लगाकर संस्तुति किये गये खरपतवार नाशक रसायनों को उपयुक्त पानी में घोलकर छिड़काव किया जाये |