तिलहन की फसल में किसी भी तरह के कीट प्रकोप से निजात पाने के लिए क्या करें
तिलहन फसलों में मुख्यत: जिन कीटों या रोगों का प्रकोप होता है, उनके नियंत्रण के लिए किसान भाई निम्नलिखित रसायनों का प्रकोप सावधानी पूर्वक कर सकते हैं |
लाही कीट :
लाही कीट पिला, हरा या काले भूरे रंग का मुलायम, पंख युकत एवं पंख विहीन होता है | इस कीट का वयस्क एवं शिशु दोनों ही मुलायम पत्तियों , टहनियों, तनों, पुष्पक्रमों तथा फलियों से, रस चूसते हैं, इससे आकांत पत्तियां मुड जाती हैं | पुष्पक्रम पर आक्रमण होने की दिशा में फलियाँ नहीं बन पाती है |
प्रबंधन :
निम् आधारित कीटनाशी का 5 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए | एक सप्ताह के अंतराल पर दुहराएँ |
पीला चिपकने वाला फंदा का व्यवहार फूल आने के पहले करना चाहिए तथा 8 – 10 फंदा प्रति हे. लगावें |
रासायनिक कीटनाशी के रूप में इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. एक मिलीलीटर प्रति तिन ली. पानी या आक्सीडेमेटान मिथाइल 25 ई.सी. एक मिलीलीटर प्रति ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए |
आरा मक्खी :
व्यस्क कीट नारंगी – पीले रंग तथा काले सिर वाले होते हैं | इसकी मादा का ओभीपेजिटर आरी के समान होता है इस लिए इसे आरा मक्खी कहते हैं |यह पत्तियों के किनारे पर अंडा देती है जिससे 3 से 5 दिनों में पिल्लू निकल आते हैं | इसके पिल्लू को गरब कहते हैं | इसके पिल्लू पत्तियों को काटकर क्षति पहुंचाते है |
फसल कटाई के बाद गहरी जुताई करना चाहिए , ताकि मिट्टी में उपस्थित इस कीट का प्यूपा मिटटी से बाहर आ जाय तथा नष्ट हो जाए |
नीम आधारित कीटनाशी का 5 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए |
रासायनिक कीटनाशियों में मिथाइल पैराथियान 2 प्रतिशत धूल या मैलाथियान 5 प्रतिशत धुल का 25 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर की दर से भूरकाव करना चाहिए अथवा मिथाइल पेराथियान 50 ई.सी. का एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी को दर से फसल पर छिड़काव करना चाहिए |
सफ़ेद रस्ट
(सफ़ेद रतुआ) यह अलबिगो नामक फफूंद से होने वाला रोग है | इस रोग में सफ़ेद या हल्के पीले रंग के अनियमित आकर के फफोले बनते हैं | पत्तियों के निचले साथ पर छोटे – छोटे हल्के उजले या हल्के पीले रंग के धब्बे दिखाई पड़ते हैं | इसका आक्रमण पुष्पक्रम मोटे और विकृत हो जते हैं |
प्रबंधन
खड़ी फसल में इस रोग का आक्रमण होने पर मैन्कोजेब 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण का 2 ग्राम प्रति लीटर की दर से पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें | 50 एवं 70 दिनों पर 2 बार |
अल्टरनेरिय लीफ स्पाट
यह अल्टरनेरिया नामक फफूंद से होने वाला रोग है | सर्वप्रथम इस रोग के लक्षण पत्तियों पर छोटे – छोटे हल्के भूरे रंग के धब्बों के रूप में दिखाई पड़ते है जिसके बीच में अनेक छल्ला बना होता है जो की बाद में कला हो जाता है | बढ़ने पर पूरी पत्तियां झुलस जाती है |
प्रबन्धन
- कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार कर बुवाई करे |
- फसल को खरपतवार से मुक्त रखें |
- खड़ी फसल में इस रोग का आक्रमण होने पर मैंकोजेब 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण का 2 ग्राम प्रति लीटर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए |
यह भी पढ़ें: कीटनाशक दवाओं के रासायनिक एवं कुछ व्यापारिक नाम
यह भी पढ़ें: जैविक कीटनाशक एवं औषधियाँ बनाने के नुस्खे
यह भी पड़ें: किसान बीज, कीटनाशक और उर्वरक खरीदते समय रखें इन बातों का ध्यान
यह भी पढ़ें: जापानी विधि द्वारा बनायें उत्तम किस्म की कंपोस्ट खाद
Isabgoal fasal me bare mai pury jankary dain
https://kisansamadhan.com/%E0%A4%96%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AB%E0%A4%89%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%94%E0%A4%B7%E0%A4%A7%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%8F%E0%A4%B5%E0%A4%82/%E0%A4%89%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%AB%E0%A4%B8%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%82/%E0%A4%88%E0%A4%B8%E0%A4%AC%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A4%BF-%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE/