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शुक्रवार, अप्रैल 26, 2024
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उर्वरक सब्सिडी योजना एवं नई यूरिया नीति के तहत किसान हित में किये जा रहे कार्य

उर्वरक सब्सिडी योजना एवं नई यूरिया नीति के तहत किसान हित में किये जा रहे कार्य

यूरिया मूल्य निर्धारण नीति – 2015: नई यूरिया नीति-2015 को 25 मई, 2015 को अधिसूचित किया गया था। इसके उद्देश्य ये रहे हैं: स्वदेशी यूरिया उत्पादन को अधिकतम स्तर पर पहुंचाना यूरिया इकाइयों की ऊर्जा दक्षता बढ़ाना भारत सरकार पर सब्सिडी बोझ को तर्कसंगत करना, लागत से अधिक अवधारणा पर आधारित पुनर्आकलित क्षमता (आरएसी) तक रियायत आधारित मूल्य निर्धारण। एनसीयू के लिए एमआरपी कुल मिलाकर 5360 रुपये प्रति मीट्रिक टन जमा (प्लस) एमआरपी का 5 प्रतिशत तय की गई।

50 किलो की मौजूदा बोरी के स्थान पर 45 किलो की यूरिया बोरी का चलन शुरू : इसके लिए 4 सितम्बर, 2017 को जारी अधिसूचना देखें। सरकार ने 50 किलो की मौजूदा बोरी के स्थान पर 45 किलो की यूरिया बोरी का चलन शुरू करने का निर्णय लिया है।

नई निवेश नीति : नई निवेश नीति (एनआईपी) के प्रावधानों के तहत, इसके संशोधनों के साथ पढ़ें, मैटिक्स फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (मैटिक्स) ने पश्चिम बंगाल स्थित पानागढ़ में एक सीबीएम आधारित नया अमोनिया-यूरिया परिसर स्थापित किया है, जिसकी वार्षिक स्थापित क्षमता 1.3 एमएमटी है। मैटिक्स का वाणिज्यिक उत्पादन 1 अक्टूबर, 2017 को शुरू हो गया है।

फास्फेटिक और पोटाशिक (पी एंड के) उर्वरकों की दरों में कमी : विभाग ने उर्वरक कम्पनियों को पी एंड के उर्वरकों की दरें घटाने के लिए उत्साहित किया था, जिससे जून, 2016 से प्रति 50 किलो डीएपी, एमओपी और जटिल उर्वरकों की एमआरपी में क्रमशः 125, 250 तथा 50 रुपये की कमी आई। दिसम्बर, 2016 से प्रति 50 किलो डीएपी की कीमत 65 रुपये और घट गई है।

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एसएसपी इकाइयों के लिए न्यूनतम वार्षिक उत्पादन अथवा न्यूनतम क्षमता उपयुक्त पैमाने को हटाना :एसएसपी इकाइयों के लिए अनिवार्य 50 प्रतिशत क्षमता उपयोग अथवा 40 हजार एमटी के न्यूनतम उत्पादन के प्रावधान को हटाने का निर्णय लिया गया है, जो कि सब्सिडी के लिए पात्र होने से संबंधित है।

एफसीआईएल की सिन्दरी एवं गोरखपुर इकाइयों और एचएफसीएल की बरौनी इकाई का पुनरुद्धार : कैबिनेट ने 13 जुलाई, 2016 को आयोजित अपनी बैठक में ‘मनोनयन रूट’ के जरिये सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों यथा राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम, कोल इंडिया लिमिटेड, भारतीय तेल निगम लिमिटेड और भारतीय उर्वरक निगम लिमिटेड/हिन्दुस्तान फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड के एक विशेष उद्देश्य वाहन (एसपीवी) के जरिये गोरखपुर, सिन्दरी एवं बरौनी इकाइयों के पुनरुद्धार को मंजूरी दी थी। तद्नुसार, हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) नामक एक एसपीवी का गठन किया गया है।

मॉडल उर्वरक खुदरा दुकान :

  • बजट 2016-17 में अगले तीन वर्षों के दौरान 2000 मॉडल उर्वरक खुदरा दुकानें खोलने की घोषणा की गई थी।
  • इन दुकानों में उचित दरों पर गुणवत्तापूर्ण उर्वरकों की बिक्री करने, मृदा परीक्षण, बीज परीक्षण, पोषक तत्वों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने जैसी अनिवार्य सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी।
  • इन दुकानों में विभिन्न उपकरणों जैसे ट्रैक्टर, लेजर लेवलर, रोटावेटर, फसल कटाई मशीन एवं थ्रेसर और छिड़कने वाले यंत्रों के साथ-साथ कुदाल और हंसिया जैसे छोटे उपकरणों को भी किराये पर देने जैसी कुछ वैकल्पिक सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी।
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उर्वरक सब्सिडी योजना के तहत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना और किसानों के लिए इसके अपेक्षित लाभ :

  • अनुमानित 19 जिलों में से 17 जिलों में पायलट परियोजना लागू की गई है।
  • शेष दो जिलों में पीओएस मशीनें लगाने और खुदरा विक्रेताओं को प्रशिक्षित करने के कार्य जारी हैं।
  • विभाग ने उर्वरक योजना के तहत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) को देश भर में लागू करने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की है, जो राज्य सरकारों की तैयारियों और उर्वरक कंपनियों द्वारा पीओएस मशीनों को लगाये जाने पर आधारित है।
  • कुल मिलाकर 2,04,996 पीओएस मशीनें लगाए जाने की जरूरत है, जिनमें से 1,82,898 मशीनें प्राप्त हो गई हैं और देश भर में 1,45,968 मशीनें लगाई जा चुकी हैं।
  • विभिन्न राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को 1 सितम्बर, 2017 से ‘गो-लाइव मोड’ में डाल दिया गया है।
  • इस तारीख तक 14 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को डीबीटी रूपरेखा के अंतर्गत लाया जा चुका है।

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