औषधीय पौधों से पशु उपचार
पशु किसानों के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं,कृषि क्षेत्र में दूध से लेकर खेतों में काम करने तक के लिए पशुओं का उपयोग किया जाता है | पशुओं की देखभाल करने में किसान किसी तरह की कोई कमी नहीं छोड़ते हैं, इसके बावजूद भी कई बार पशु बीमार या कई रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं | जिसके उपचार में किसानों को बहुत अधिक राशि खर्च करनी पड़ती है, जिससे किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है | ऐसे में किसानों को पशुओं के ईलाज के लिए सस्ता माध्यम के बारे में जानकारी होना आवश्यक है |
पशुओं के ईलाज के लिए अपने आसपास कई प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं, जो कई रोगों को दूर करने में सहायता करते हैं जैसे तुलसी, नीम, बबूल, गिलोय, शीशम आदि | इर तरह के कई पौधे हमारे आसपास आसानी से उपलब्ध है जिनका सही मात्रा में उपयोग कर किसान अपने पशुओं का ईलाज कर सकते हैं और उपचार में आने वाले अत्यधिक खर्च से बच सकते हैं | अतः यह जरुरी है की सभी पशुपालक इन औषधीय पौधों के नाम, पहचान व गुण आदि की जानकारी रखें | किसान समाधान पशुओं के इलाज में उपयोग होने वाले औषधीय पौधों की जानकारी लेकर आया है |
औषधीय पौधों की पहचान और पशु उपचार में प्रयोग
क्रं. | रोग | औषधीय पौधों का नाम | मात्रा और विधि | खुराक |
1. | दूध में कमी आना/ दूध की कमी | शतावरी, साघकुल | पशुपालक 250 ग्राम जड़ का पाउडर बना लें, रात्रि में मिला कर दें | 60 ग्राम, 3–5 दिनों तक खिलायें |
जीवन्ती | पत्ती और डंठल को चारे के साथ मिलाकर रोग ग्रस्त पशु को खिलाएं | 60 ग्राम, 30 दिनों तक, दिन में दो बार | ||
2. | हल्का अफारा | अदरक,लहसुन, इलायची, लौंग तथा गुड | 60 ग्राम अदरक, 2 पोथी लहसुन, 4 इलायची, 6-7 लौंग आधे लीटर पानी में उबालकर, इसे पानी में गुड को मिलाकर एक घोल तैयार करें | 100 मि.ली. घोल दिन में एक बार दो दिनों तक दें |
3. | निर्जलीकरण (शरीर में) पानी की कमी | नमक, खाने का सोडा तथा चीनी | 2 चम्मच नमक, आधा चम्मच खाने का सोडा तथा 4 चम्मच चीनी का 2 लीटर पानी में घोल तैयार करें | बछड़े को 1–1.2 लीटर और वयस्कों को 2–3 लीटर प्रतिदिन, 2–3 बार सुधार आने तक |
4. | दस्त (अतिसार) | चाय की पत्ती, अदरक | एक लीटर पानी में चाय की पत्ती को उबालकर उसमें कुटी हरी अदरक मिलाकर घोल बनाएं | ताजा घोल प्रतिदिन 2 बार, 3–4 दिनों तक |
अमरुद | आधा किलोग्राम पत्तियों को 1–2 लीटर पानी में उबालें | दिन में 2 बार दें | ||
5. | विषाक्तता | अलसी या वनस्पति का तेल | 1 लीटर | प्रतिदिन |
दूध, नारियल पानी, चारकोल (लकड़ी का कोयला) | 1 लीटर दूध या नारियल पानी तथा 200 ग्राम चारकोल को 1 लीटर पानी में घोलें | प्रतिदिन एक बार | ||
6. | त्वचा रोग | नीम | फुल, छाल, टहनी का तेल या नीम का तेल | शरीर के प्रभावित हिस्सों पर लगाएं |
बैंगन | पाउडर और चुरा किया बैंगन का मिश्रण | शरीर के प्रभावित हिस्सों पर लगाएं | ||
7. | बांझपन | बैंगन, कुल्थी | 1 किलोग्राम पका हुआ बैंगन और 250 ग्राम पीसी हुई कुल्थी | प्रतिदिन पहले बैंगन और फिर कुल्थी एक सप्ताह तक |
नारियल | नये लगे फूलों के जूस तथा नारियल पानी का मिश्रण | 3–5 दिनों तक प्रतिदिन एक बार | ||
8. | गर्भधारण न करना | करी पत्ता (मीठा नीम) | 6 मुट्ठी | गर्भधारण के 10 दिनों बाद तक |
छुई–मुई | 200 ग्राम पौधे का काढ़ा | 2–3 दिनों तक | ||
9. | जननांग का बाहर आना | छुई–मुई | 2 मुट्ठी पीसी हुई पत्तियां (खिलायें) या इनका जूस निकाल लें | प्रतिदिन 3 बार पत्तियां खिलायें तथा जूस का लेप बाहर निकले हुए जननांग पर लगाएं |
10. | जेर बाहर न आना / जेर डालना / जेर न गिरना | छुई – मुई | 1 किलोग्राम | प्रतिदिन एक बार दो दिनों तक |
बेल, काली मिर्च, लहसुन और प्याज | बेल पत्ती 1 मुट्ठी, लहसुन 6 कलियाँ, काली मिर्च 10 दानें, प्याज 2- इन सभी की लेई बनाकर छाछ में मिश्रित कर दें | | प्रतिदिन एक बार | ||
कपास | 2–3 मुटठी जड़ और छिलके का काढ़ा | प्रतिदिन एक बार | ||
11. | मक्खी से बचाव | एलोवेरा | पत्तियों का जूस | पशु के शरीर पर लेप लगाएं और आस–पास छिड़काव करें |
12. | बाह्य परजीवियों की रोकथाम | सीताफल | बीज तथा पत्तियों का रस खाने के तेल में मिलाकर 50 प्रतिशत तक पतला करें | प्रतिदिन 2 बार 5 दिनों तक पुरे शरीर पर लगाएं |
नीम | पत्तियों का गूदा | पशु के शरीर पर लगाएं | ||
सीताफल, नीम और तंबाकू की पत्तियां | सीताफल का बीज 1 भाग, नीम का 1 बीज भाग, तम्बाकू की पत्तियां 1/5 भाग– इन सभी का लेप बनाकर 2 लीटर पानी में भिगोयें | पशु के शरीर पर लगाएं | ||
13. | ज्वर (बुखार), शरीर के तापमान में वृद्धि | गिलोय एवं नीम | 100 ग्राम गिलोय, 50 ग्राम नीम की लकड़ी को 1 लीटर पानी में उबाल लें | | उबाले हुए पानी को 100 मि.ली. दिन में तीन बार दें |