पशु को बाँझपन से बचाने के लिए सलाह
देश में किसानों को कृषि एवं पशुपालन क्षेत्र की नई–नई तकनीकों से अवगत कराने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाता है। इस तरह के ही एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन पशु विज्ञान केंद्र सूरतगढ़ के द्वारा मेरा गांव मेरा गौरव के तहत गांव अमरपुरा जाटान में किया गया। प्रशिक्षण शिविर में पशु पालकों को पशुओं में बांझपन की समस्या को लेकर जानकारी दी गई।
प्रशिक्षण शिविर में बताया गया कि पशुओं में बांझपन एक भयंकर समस्या है। जिससे पशुपालकों को काफी आर्थिक नुक़सान का सामना करना पड़ता है, साथ ही प्रशिक्षण शिविर में कृषि विज्ञान केंद्र पर पशुपालकों को दी जाने वाली सुविधाओं के विषय में जानकारी दी गई।
पशुओं को इस तरह बचा सकते हैं बाँझपन से
इस अवसर पर डॉ. दिनेश सहारण ने बांझपन से पशुओं को बचाने के सुझाव बताएं तथा कहा की पशुओं को हर 3 महीने से कृमि नाशक दवा देकर तथा नियमित रूप से खनिज मिश्रण खिलाकर बांझपन जैसी समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। डॉ. सहारण ने मानसून के मौसम में पशुओं की देखभाल करने के तरीके के बारे में बताया तथा पशुओं में होने वाले भयंकर रोगों से बचाव के लिए टीकाकरण करवाने की सलाह दी।
प्रशिक्षण शिविर में केंद्र के पशुधन सहायक विजयपाल ने अजोला हरे चारे तथा साइलेज हरे चारे का अचार बनाने की विधि के बारे में बताया तथा पशु विज्ञान केंद्र में होने वाली निःशुल्क जांच जिनमें दूध, गोबर, खून, मुत्र के बारे में बताया तथा पशुपालकों को नए आयाम मासिक पत्रिका तथा दुधारू पशुओं में थनैला रोग की रोकथाम एवं पशुओं में बाह्यय परजीवियों की रोकथाम तथा मानसून में पशुओं में होने वाले संक्रमण का वैज्ञानिक प्रबंधन के पम्पलेट का वितरण किया गया। प्रशिक्षण शिविर में 22 पशुपालकों ने भाग लिया।