back to top
28.6 C
Bhopal
सोमवार, अक्टूबर 7, 2024
होमकिसान समाचारइस किसान ने देशभर में सेब की व्यावसायिक खेती के लिए...

इस किसान ने देशभर में सेब की व्यावसायिक खेती के लिए विकसित की नई किस्म

देशभर में सेब की व्यावसायिक खेती के लिए किस्म

अभी तक आपने कृषि विज्ञानिकों कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा विभिन्न फसलों की उन्नत किस्मों को विकसित करते हुए सुना होगा परन्तु हिमाचल प्रदेश के एक किसान ने स्व-परागण करने वाली सेब की एक नई किस्म विकसित की है, जिसमें फूल आने और फल लगने के लिए लंबी अवधि तक ठंडक की जरूरत नहीं होती है। सेब की इस किस्म का प्रसार भारत के विभिन्न मैदानी, उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय इलाकों में हो गया है, जहां गर्मी के मौसम में तापमान 40-45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।

सेब के इस की किस्म की व्यावसायिक खेती मणिपुर, जम्मू, हिमाचल प्रदेश के निचले इलाकों, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में शुरू की गई है और इसमें फल लगने का विस्तार अब तक 23 राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों में हो चुका है।

इस किसान ने विकसित की सेब की नई किस्म एचआरएमएन 99

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के पनियाला गांव के एक प्रगतिशील किसान श्री हरिमन शर्मा, जिन्होंने सेब के इस नए किस्म – एचआरएमएन 99 को विकसित किया है, इससे न केवल इलाके के हजारों किसानों बल्कि बिलासपुर और राज्य के अन्य निचले पहाड़ी जिले–जहां के लोग पहले कभी सेब उगाने का सपना नहीं देख सकते थे- वहां के किसान भी सेब की इस किस्म की खेती कर रहे हैं। बचपन में ही अनाथ हो चुके, हरिमन को उनके चाचा ने गोद लिया और उनका पालन-पोषण किया।

उन्होंने दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की और उसके बाद खुद को खेती के लिए समर्पित कर दिया, जोकि उनकी आय का मुख्य स्रोत है। बागवानी में उनकी रुचि ने उन्हें सेब, आम, अनार, कीवी, बेर, खुबानी, आड़ू और यहां तक ​​कि कॉफी जैसे विभिन्न फल उगाने के लिए प्रेरित किया। उनकी खेती का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि वो एक ही खेत में आम के साथ सेब भी उगा सकते हैं। उनका मानना है कि किसान हिमाचल प्रदेश की निचली घाटियों और अन्य जगहों पर भी सेब के बाग लगाना शुरू कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें   इस साल मानसून सीजन में इन राज्यों में होगी अच्छी बारिश, मौसम विभाग ने जारी की किया पूर्वानुमान

किसान ने इस तरह विकसित की सेब की यह किस्म

1998 में किसान हरिमन शर्मा ने बिलासपुर के घुमारवीं गांव से उपभोग के लिए कुछ सेब खरीदे थे और बीज को अपने घर के पिछवाड़े में फेंक दिया था। 1999 में उन्होंने अपने घर के पिछवाड़े में एक सेब का अंकुर देखा, जोकि पिछले वर्ष उनके द्वारा फेंके गए बीजों से विकसित हुआ था। एक साल के बाद, वह पौधा खिलना शुरू हो गया और उन्होंने 2001 में उसमें फल लगा देखा। उन्होंने इस पौधे को “मदर प्लांट” के रूप में संरक्षित किया और इसके कलम (युवा कली) को ग्राफ्ट करके प्रयोग करना शुरू किया और 2005 तक सेब के पेड़ों का एक छोटा बाग बनाया, जिनमें फल लगना अब भी जारी है।

किसान को मिल चूका है राष्ट्रपति से पुरस्कार

9वें राष्ट्रीय द्विवार्षिक ग्रासरूट इनोवेशन एंड आउटस्टैंडिंग ट्रेडिशनल नॉलेज अवार्ड्स के दौरान 2017 में श्री हरिमन शर्मा को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है |

नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ) ने सेब की इस किस्म की पुष्टि की

वर्ष 2007 से 2012 तक  हरिमन ने घूम–घूमकर लोगों को यह विश्वास दिलाया कि कम ठंडक (लो – चिलिंग) वाली परिस्थितियों में सेब उगाना अब असंभव नहीं है। किन्तु उस समय सेब के इस किस्म के बारे में अनुसंधान और प्रसार में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई गई। आखिरकार नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ)-भारत, जोकि भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की एक स्वायत्त निकाय है, ने सेब की इस नए किस्म को ढूंढा। एनआईएफ ने इसकी शुरूआत करने वाले किसान के दावों की पुष्टि की और आण्विक एवं विविधता विश्लेषण अध्ययन और फलों की गुणवत्ता परीक्षण के जरिए सेब के इस किस्म की विशिष्टता और क्षमता का मूल्यांकन किया।

यह भी पढ़ें   किसान इस समय करें खेतों की जुताई, मिलेंगे कई फायदे

नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ) ने अन्य राज्यों में किये प्रयोग

एनआईएफ ने पौध किस्म संरक्षण और किसान अधिकार अधिनियम, 2001 के तहत सेब के इस किस्म के पंजीकरण में सहायता के अलावा इसकी नर्सरी की स्थापना और इसके प्रसार के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता भी प्रदान की । 2014-2019 के दौरान, 2,000 से अधिक किसानों के खेतों और राष्ट्रपति भवन सहित 30 राज्यों के 25 संस्थानों में 20,000 से अधिक पौधे रोपित करके एनआईएफ द्वारा देशभर के कम ठंडक वाले इलाकों में सेब के इस किस्म के बहु-स्थान परीक्षण किया गया।

अब तक 23 राज्यों और केन्द्र – शासित प्रदेशों से इन पौधों में फल लगने के बारे में सूचना मिली है। ये राज्य हैं – बिहार, झारखंड, मणिपुर, मध्य प्रदेश,, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, दादरा एवं नगर हवेली, कर्नाटक, हरियाणा, राजस्थान, जम्मू एवं कश्मीर, पंजाब, केरल, उत्तराखंड, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, पुदुच्चेरी, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली।

आगे के विश्लेषण और शोध के दौरान, यह पाया गया कि एचआरएमएन-99 के 3-8 साल की उम्र के पौधों ने हिमाचल प्रदेश, सिरसा (हरियाणा) और मणिपुर के चार जिलों में प्रति वर्ष प्रति पौधा 5 से 75 किलोग्राम फल का उत्पादन किया। सेब की अन्य किस्मों की तुलना में यह आकार में बड़ा होता है तथा परिपक्वता के दौरान बहुत नरम, मीठा और रसदार गूदा वाला और पीले रंग की इसकी त्वचा पर लाल रंग की धारी होती है। 

download app button
google news follow
whatsapp channel follow

Must Read

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
यहाँ आपका नाम लिखें

Latest News