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बुधवार, मई 1, 2024
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8 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बिकती है गेहूं की सोना मोती किस्म, सरकार दे रही है संरक्षण

गेहूं की सोना मोती किस्म का किया जा रहा है संरक्षण

देश में जहां सरकार गेहूं की नई उन्नत किस्मों के विकास पर जोर दे रही है तो वहीं पुरानी किस्मों के संरक्षण का काम भी कर रही है, गेहूं की एक ऐसी ही किस्म है सोना-मोती। सोना मोती गेहूं की पुरानी किस्मों में से एक है जो मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। गेहूं की इस किस्म को शुगर फ्री माना जाता है, जिससे आज के समय में इसकी माँग बढ़ गई है। जिसको देखते हुए बिहार सरकार राज्य में गेहूं की पारंपरिक प्रजाति सोना-मोती को बढ़ावा दे रही है।

इस कड़ी में बिहार सरकार स्वास्थ्यवर्द्धक गेहूं की इस किस्म के बीज संरक्षित कर रही है। कृषि विभाग ने इसके लिए बीज उत्पादन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इसके तहत गया और बेगुसराय के एक–एक कृषि प्रक्षेत्र में खेती कराई जाएगी। बेगुसराय के कुंभी और गया के खिरियावां राजकीय बीज गुणन प्रक्षेत्र में बीज उत्पादन कार्यक्रम चलाया जाएगा। अन्य जगहों पर इसकी खेती के लिए बीज की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी। कुंभी में आठ और खिरियावां मे छह हेक्टेयर रकबा में इसकी खेती कराई जाएगी।

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बीज निगम उपलब्ध कराएगा बीज

इसके लिए कृषि विभाग ने बिहार राज्य बीज निगम लिमिटेड को बीज उपलब्ध कराने को कहा है। सीतामढ़ी के सभी प्रखंड के एक–एक गाँव में इसकी खेती आत्मा योजना के जरिए कराई जा रही है। इससे पहले कुंभी में दो हेक्टेयर में मसूर और छह हेक्टेयर में गेहूं की खेती का लक्ष्य रखा गया था। इसी तरह खिरियावां में 5 हेक्टेयर में मसूर और 4 हेक्टेयर में गेहूं उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित था।

परंपरागत किस्मों को बचाने का है प्रयास

किसानों ने धान, गेंहू, दलहन की कई परंपरागत किस्मों की खेती छोड़ दी है। परंपरागत किस्मों पर रोग और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कम देखा गया है। इसलिए कृषि विभाग सभी फसलों की परंपरागत किस्मों को बचाने का प्रयास कर रहा है। इसी के तहत गेहूं की परंपरागत किस्म सोना–मोती के संरक्षण का निर्णय लिया गया है। साथ ही अन्य फसलों की पारंपरिक किस्मों को भी संरक्षित करने की काम शुरू कर दिया गया है।

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पंजाब में 8 हजार रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिका सोना मोती गेहूं

सोना-मोती गेहूं की एक प्राचीन किस्म है। इसमें ग्लूटेन की मात्रा बेहद ही कम होती है, साथ ही गेहूं की इस किस्म में ग्लाइसेमिक सामग्री और फोलिक एसिड अधिक होती है। कुल मिलकर गेहूं की यह प्राचीन किस्म अपने उच्च पोषक संबंधी गुणों के लिए जानी जाती है। स्वास्थ्यवर्द्धक होने के चलते सोना-मोती की माँग ज्यादा है। जबकि बिहार में इसकी उपलब्धता कम है। इसके दाम गेहूं की अन्य किस्म की तुलना में ज्यादा होते हैं। पंजाब में पिछले मौसम में यह आठ हजार रूपये प्रति क्विंटल तक बिका है। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में भी कई किसानों के द्वारा इसकी खेती की जा रही है। वहाँ भी किसानों को इसके अच्छे भाव मिल रहे हैं।

किसान सोना-मोती गेहूं की किस्म की खेती के बारे में अधिक जानकारी के लिए 6267086404 पर संपर्क कर सकते हैं।

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