भूमि का लेजर समतलीकरण (लेजर लैंड लेवलिंग)
समान रूप से पानी का वितरण सुनिश्चित करने के लिए खेत को सावधानी पूर्वक समतल करना आवश्यक है जिससे पानी की गहराई खेत में एक समान बनी रहे। समतल खेत में जल इकट्ठा नहीं हो पाता तथा उसकी निकासी भी आसानी से हो जाती है। समतलीकरण द्वारा पादप पोषक तत्वों का बेहतर उपयोग एवं उच्च जल उपयोगी क्षमता सुनिश्चित होती है। समतलीकरण के उद्देश्य को पूरा करने हेतु नवविकसित तकनीक लेजर लैण्ड लेवलर का प्रयोग अत्यधिक लाभकारी सिद्ध हुआ है।
संसाधन संरक्षण तकनीकियों से फसलों में उच्चतम् परिणाम तभी आते हैं जब किसान आवश्यकतानुसार (ग्रीसीजन) लेजर भूमि समतलीकरण के बाद खेती करता है। सतही सिंचाई क्षेत्रों में यह आवश्यक है कि सतह उपयुक्त रुप से समतल हो व उसमें उचित ढ़लान हो ताकि सिंचाई प्रक्रिया सुचारु हो। सतही सिंचित क्षेत्रों के समतलीकरण के लिए लेजर निर्देशित उपकरणों का उपयोग आर्थिक रुप से संभव हो गया है। इन सुविधाओं का किराये पर उपलब्ध होने की वजह से इनका प्रयोग छोटे किसान भी कर सकते है।
लेजर भूमि समतलीकरण से क्षेत्र की असमानता 20 मिलीमीटर तक कम हो जाती है। परिणामतः सिंचित क्षेत्र में 2 प्रतिशत व फसल क्षेत्र में 3–4 प्रतिशत तक वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त जल प्रयोग व वितरण की दक्षता में 35 प्रतिशत तक सुधार होता है। सिंचाई जल उत्पादकता, उर्वरक उपयोग दक्षता एवं फसल पकाव में सुधार होता है व खरपतवार दबाव कम होता है। विभिन्न क्षेत्रों में इस तकनीकी का प्रसारण तेजी से हो रहा है जो इस तकनीक की स्वीकार्यता एवं वैधता को दर्शाता है।
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