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शनिवार, अप्रैल 27, 2024
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जानिए क्या है ड्रोन तकनीक, फसलों की बुआई के साथ ही इन कामों को कर सकता है कृषि ड्रोन

कृषि ड्रोन क्या है, इससे किसानों को क्या लाभ होंगे

आज के समय में किसानों के सामने कृषि क्षेत्र में कई चुनौतियाँ हैं। वैसे तो हमारा देश अनाज उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो चूका है। देश के किसानों ने उन्नत किस्म के बीज, मशीनों आदि का प्रयोग करते हुए खेती में अपेक्षित बदलाव लाकर बढ़ती हुई जनसंख्या को पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने तथा उत्पादन लक्ष्य को समय पर प्राप्त करने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। इस उत्पादकता को और अधिक बढ़ाने तथा श्रम को कम करने में ड्रोन टेक्नोलॉजी एक नई क्रांति ला सकती है।

समय व जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ खेती में जहां समस्याओं का आकार व स्वरूप बदला है, वहीं किसानों पर लागत में कमी लाते हुए अधिक उत्पादन का दबाव भी लगातार बढ़ता जा रहा है। साथ ही, कृषि में आय को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं जिससे किसानों की आय दुगुनी हो सके।

क्या है ड्रोन तकनीक

ड्रोन एक ऐसा मानव रहित विमान है जिसे दूर से ही नियंत्रित तरीके से उड़ाया जा सकता है। इसके खेती में प्रयोग की अपार संभावनाएँ हैं। एक सामान्य ड्रोन चार विंग यानी पंखों वाला होता है। इसलिए इसे ‘क्वाड कॉप्टर’ भी कहा जाता है। असल में यह नाम इसके उड़ने के कारण इसे मिला। यह बिल्कुल एक मधुमक्खी की तरह उड़ता है और एक जगह पर स्थिर भी रह सकता है।

ड्रोन को कई तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है जैसे उसके उड़ने की ऊंचाई के आधार पर, उसके आकार के आधार पर, उसके वजन उठाने की क्षमता के आधार पर, उसकी पहुंच क्षमता के आधार पर इत्यादि। परंतु मुख्य रूप से इसे वायु गतिकीय के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। नगर विमानन महानिदेशालय के अनुसार ड्रोन को टेक ऑफ वेट के अनुसार निम्न भागों में वर्गीकृत किया गया है-

नैनो 250 ग्राम से कम या बराबर (सूक्ष्म), 250 ग्राम से बड़ा और 2 किलोग्राम से कम या बराबर (मिनी), 2 किलोग्राम से बड़ा और 25 किलोग्राम से कम या बराबर (बड़ा), 150 किलोग्राम से बड़े व्यावसायिक क्षेत्र में इनको उड़ाने के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों व नियमों का पालन करना अनिवार्य है।

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कृषि क्षेत्र में ड्रोन के उपयोग क्या-क्या है?

ड्रोन कृषि प्रबंधन के संचालन के लिए उच्च परिशुद्धता और कम ऊंचाई की उड़ान भरकर छोटे आकार के खेतों में कार्य करने की क्षमता रखता है। अभी देश में कृषि फसलों का आकलन, भू-दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन, कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव करने लिए ‘किसान ड्रोन्स’ का इस्तेमाल किया रहा है। ड्रोन खेतों के हालात जानने के लिए डाटा एकत्रित करने और उनका विश्लेषण करने, ऐसे कार्यों में विभिन्न अवयवों व घटकों के उचित और सटीक रूप से प्रबंधन में सहायक सिद्ध हो सकता है।

किसानों को इन कामों में मदद करती है ड्रोन तकनीक

किसान ड्रोन की मदद से खाद एवं दवाओं के छिड़काव करने पर समय की बचत के साथ-साथ मज़दूरी की भी बचत होती है। ऐसी परिस्थितियों में, जहां परंपरागत मशीनों का उपयोग करना चुनौतीपूर्ण है, यहां पर इसका उपयोग किया जा सकता है। जब किसानों के खेत गीले हो, उसमें चलने में कठिनाई हो रही हो, इसके अलावा, गीले धान का खेत हो, गन्ना हो, मक्का व कपास की फसल, आम के बागान इत्यादि में विभिन्न ऊंचाइयों पर जाकर ड्रोन की सहायता से आसानी से छिड़काव किया जा सकता है। इसलिए कृषि ड्रोन किसानों के लिए एक बहुउद्देशीय तकनीक साबित हो रही है, जो किसानों के कई कामों को आसानी से कर सकती है।

ड्रोन की मदद से की जा सकती है फसलों की बुआई

आज ड्रोन के माध्यम से तेजी से बीजों की बुआई का काम भी किया जा सकता है। कंपनियों के द्वारा कई ऐसे ड्रोन विकसित किए गए हैं जिससे 20 से 25 एकड़ खेत की बुवाई कम समय में आसानी से की जा सकती है। ड्रोन में एक बार में 25 से 30 किलो बीज रखकर आसानी से बुवाई की जा सकती है। पूर्णतः स्वचालित यह ड्रोन 1 घंटे में 10 एकड़ खेत में बुवाई कर सकते हैं।

किसान ड्रोन से कर सकते हैं दवाओं का छिड़काव

कृषि में उपयोग किए जाने वाले ड्रोन से किसान खाद, कीटनाशक एवं अन्य दवाओं का छिड़काव भी कर सकते हैं। इसके टैंक की क्षमता 10 लीटर तक के घोल को लेकर आसानी से खेत पर छिड़क सकता है। 15 मिनट में लगभग एक एकड़ क्षेत्रफल में अच्छी तरह से छिड़काव किया जा सकता है। ड्रोन पर भारत के साथ-साथ कई अन्य देशों में अध्ययन किया जा रहा है।

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खेती में ड्रोन की उपयोगिता कीटनाशक व खरपतवारनाशक रसायनों के छिड़काव में, फसल में रोगों व कीटों के स्तर की जांच व उपचार में खेतों की भौगोलिक स्थिति का आकलन करने में तरल और ठोस उर्वरकों का छिड़काव करने में फसल अवशेषों के अपघटन के लिए जैविक रसायनों का छिड़काव करने में, सिचाई व हाइड्रोजैल का छिड़काव करने में खेतों एवं जंगलों में बीजों का छिड़काव करने में फसल को कीटों एवं टिड्डियों के आक्रमण से बचाने में, मवेशियों व जंगली जानवरों से फसल को बचाने में मृदा के मानचित्र के विश्लेषण में ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है।

ड्रोन तकनीक से युवाओं की खेती में बढ़ेगी दिलचस्पी

किसान ड्रोन एक तकनीक से परिपूर्ण होने के कारण युवा पीढ़ी को खेती के लिए आकर्षित कर रहा है। कृषि कार्यों को कम आमदनी का जरिया मानकर युवा पीढ़ी का खेती से मोह भंग हो रहा था लेकिन अब नई टेक्नोलॉजी और ड्रोन जैसी टेक्नोलॉजी के आ जाने से युवाओं का आकर्षण इस और बढ़ेगा और युवा अब गांव में ही रह कर न केवल खेती की ओर आकर्षित होंगे बल्कि नई टेक्नोलॉजी का समावेश कर उच्च गुणवत्ता युक्त फसल एवं फल-फूलों का उत्पादन कर सकेंगे।

ड्रोन के संचालन हेतु पायलट के पास प्रमाणपत्र होना आवश्यक है। ऐसे युवा जिनकी आयु 18 वर्ष से अधिक है ड्रोन परिचालन हेतु प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते है। इसके देशभर में कई सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं ने ड्रोन प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ कर दिए हैं। युवाओं एवं महिलाओं को ड्रोन चलाने के लिए प्रशिक्षण दिया रहा है। जिससे वे ड्रोन पायलट के रूप में किसानों को सेवा प्रदान करेंगे। जिससे गाँव में रोजगार तो बढ़ेगा ही साथ ही युवाओं का खेती की ओर कदम बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित भी करेगा।

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