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शनिवार, अप्रैल 27, 2024
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यहाँ से विदेशों में हो रहा है केले का निर्यात, किसानों की हो रही है बंपर कमाई

केले की खेती और सरकारी योजना से किसानों को हो रहा है लाभ

किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे न केवल किसानों को काफी मुनाफा हो रहा है बल्कि किसानों को आसानी से बाजार भी मिल रहा है। इस कड़ी में मध्यप्रदेश के बुरहानपुर ज़िले से इराक, ईरान, दुबई, बहरीन और तुर्की को सालाना 30 हजार मीट्रिक टन केले का निर्यात हो रहा है। बुरहानपुर केले की प्रसिद्धि दूर-दूर तक पंहुच गई है। केला उत्पादक किसानों की मेहनत और सरकार की मदद ने बुरहानपुर को एक नई पहचान मिली है।

बुरहानपुर जिले के लगभग 19000 केला उत्पादक किसान 23,650 एकड़ क्षेत्र में केले की फसल ले रहे हैं। इसमें बुरहानपुर से ही सालाना औसत 16.54 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन होता है। सरकार ने राज्य में केला उत्पादन के लिए बुरहानपुर जिले को एक जिला-एक उत्पाद योजना में शामिल किया है, जिससे यहाँ के किसानों को काफी लाभ मिल रहा है। यहां मुख्य रूप से जी-9, बसराई, हर्षाली, श्रीमंथी किस्में उगाई जा रही हैं।

किसान केले की खेती से कमा रहें हैं लाखों रुपये का मुनाफा

बुरहानपुर से 19 किमी दूर इच्छापुर गांव है जहां केले की खेती करने वाले किसानों की संख्या काफी है। अधिकतर किसान पारंपरिक खेती करते हैं। यहां के 37 वर्षीय किसान राहुल चौहान के पास 25 एकड़ जमीन है। वे बचपन से ही केले की खेती के तौर तरीकों को जानते हैं। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि हम 8*5 फीट जगह में पौधे लगा रहे हैं। प्रति एकड़ 1,200 पौधे लगाते हैं। पहले 1,800 पौधे प्रति एकड़ लगा रहे थे। प्रति पौधे की लागत लगभग 150 रुपये तक आती है। एक एकड़ में 1.5 लाख का शुद्ध मुनाफा हो जाता है। एक सीजन का लाभ 25 लाख रुपये तक पहुंच जाता है। इसमें खेती की लागत भी शामिल है।

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किसान राहुल ने आगे बताया कि एक एकड़ खेती की लागत लगभग 70 हजार रुपये तक आ जाती है। एक विकसित पौधा 15 किलोग्राम से 20 किलोग्राम तक के गुच्छे देता है। यदि अच्छी तरह से देखभाल हो जाए तो प्रति गुच्छा 30 से 35 किलोग्राम तक पहुंच जाता है। उनका मानना है कि केला उत्पादकों के हित में मंडी प्रणाली की कार्यप्रणाली में और सुधार करने की जरूरत है। उपज बेचने में प्रक्रिया में देरी से अच्छे मुनाफे की संभावनाएँ प्रभावित होती हैं।

वहीं जिला मुख्यालय से 11 किमी दूर शाहपुर गांव के राजेंद्र चौधरी जैसे छोटे किसान भी बहुत संख्या में हैं। उनके पास चार एकड़ जमीन है जिस पर वह 5000 पौधे लगाते हैं। वे औसतन 5 लाख रूपये कमा लेते हैं। उनका कहना है कि पिछले दो-तीन सीजन से बाजार किसानों के लिए बेहद अनुकूल रहा है।

केले से चिप्स बनाकर कर रहे हैं अच्छी कमाई

जिले में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना में केला उत्पादन और प्रसंस्करण को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। जिसके चलते बुरहानपुर में 30 केला चिप्स प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित की गई हैं। कुछ इकाईयाँ केले का पाउडर भी बना रही हैं। ऐसे ही एक व्यापारी योगेश महाजन केले के चिप्स बनाने की इकाई मारुति चिप्स चलाते हैं। उनका सालाना टर्न ओवर 20 से 25 लाख रुपए है। उनका कहना है कि केले की आसान उपलब्धता और लगातार आपूर्ति ने उन्हें चिप्स बनाने की इकाई खोलने के लिए प्रेरित किया।

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वे किसानों से सीधी खरीद करते हैं। खरीद दर फसल की आवक के अनुसार बदलती रहती है। खेतों से सीधे खरीद की दर 5 रुपये प्रति किलोग्राम है। प्रोसेसिंग के बाद एक किलो चिप्स के पैक की थोक दर 150 रुपये है जबकि बाजार में खुदरा कीमत 200 रूपये प्रति किलो है।

बाजार के बारे में उनका कहना है कि केला चिप्स अपनी गुणवत्ता के कारण पसंद किये जाते हैं। चिप्स की गुणवत्ता स्वच्छता, तलने की तकनीक, गुणवत्तापूर्ण खाद्य तेल का उपयोग, कुरकुरेपन पर निर्भर करती है। उनका कहना है कि चिप्स बनाने के काम में जरूरतमंद स्थानीय महिलाओं को लगाया जाता है। प्रशिक्षण के बाद वे अब कुशल हो गई हैं। हाल ही में जब बुरहानपुर को राष्ट्रीय स्तर पर एक जिला-एक उत्पाद पुरस्कार-2023 में स्पेशल मेंशन श्रेणी का पुरस्कार मिला है।

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