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1 अक्टूबर से किसान ऑनलाइन दे सकेंगे कपास की फसल में नुकसान जानकारी

इस वर्ष देश के कई जिलों में कपास की फसल में गुलाबी सुंडी कीट के प्रकोप से किसानों की फसल को काफ़ी नुक़सान हुआ है, खासकर हरियाणा एवं राजस्थान के जेलों में। किसानों को हुए इस नुक़सान की भरपाई के लिए सरकार ने आंकलन के निर्देश दे दिए हैं। इस कड़ी में हरियाणा सरकार राज्य में फसल नुकसान की जानकारी देने के लिए 1 अक्टूबर से ई-क्षति पोर्टल खोलने के निर्देश दिए हैं ताकि किसान अपनी फसल को हुए नुक़सान की जानकारी दे सकें।

हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जय प्रकाश दलाल ने कृषि एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल को 1 अक्टूबर से खोलने के निर्देश दिए हैं ताकि किसान अपनी कपास की फसल में हुए नुकसान का ब्यौरा इस पोर्टल पर दर्ज करा सकें। कृषि मंत्री ने 27 सितम्बर को राज्य में कपास फसल में हुए नुकसान के संबंध में कृषि और राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ आयोजित समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिए।

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फसल नुकसान का किया जाए सटीक आंकलन

कृषि मंत्री ने कृषि विभाग के अधिकारियों को कपास फसल के नुकसान का आकलन करते हुए रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए ताकि राजस्व विभाग द्वारा आकलन रिपोर्ट के आधार पर फसल में हुए नुकसान पर वित्तीय सहायता प्रदान की जा सके।

उन्होंने अधिकारियों को कपास में गुलाबी सूंडी के प्रकोप से हुये नुकसान की भरपाई के लिए हर गांव में कपास फसल के लिए फसल कटाई प्रयोगों को दोगुना करते हुए 4 से 8 करने के भी निर्देश दिए ताकि नुकसान का सटीक आंकलन किया जा सके। उन्होंने प्रयोगों की वीडियोग्राफी करने के भी निर्देश दिए ताकि फसल कटाई प्रयोगों के आधार पर कपास फसल में हुए नुकसान पर वित्तिय सहायता प्रदान की जा सके।

किसान 30 सितंबर तक करा सकते हैं फसल सुरक्षा योजना के तहत पंजीयन

बैठक में बताया गया कि राज्य में कलस्टर-2 के अधीन जिला अंबाला, करनाल, सोनीपत, हिसार, जीन्द, महेंद्रगढ़ व गुरुग्राम में जिन किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल बीमा नहीं हुआ उनके लिए राज्य सरकार द्वारा कलस्टर-2 हेतु हरियाणा फसल सुरक्षा योजना को कपास फसल के लिए शुरू किया गया है। इसके तहत किसान 30 सितम्बर 2023 तक कृषि विभाग की वेबसाइट पर अपनी कपास की फसल का पंजीकरण मामूली शुल्क अदा कर फसल को सुरक्षित कर सकते हैं।

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इसके अतिरिक्त, मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल को भी 3 दिन तक तुरन्त प्रभाव से खोलने का निर्णय लिया गया है। जिन किसानों ने अभी तक अपनी फसलों का ब्यौरा इस पोर्टल पर दर्ज नहीं किया है, वे किसान अपनी फसल का ब्यौरा पंजीकृत करवाकर फसल उत्पाद को सुगमता से बेच सकते हैं।

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2 टिप्पणी

  1. हमारे पास दो गाय हैं। जिससे हम दूध प्रतिदिन पांच लीटर दूध मिलता है। तथा कम्पोस्ट खाद तैयार किया जाती है
    जिससे कृषि उपजऊ बनती हैं। 🇳🇪🇮🇳जय जवान 🇮🇳🚜जय किसान 🚜🕴️जय हिन्दूस्तान🕺

    खाद

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