किसान अधिक पैदावार के लिए लगाएँ बासमती धान की यह उन्नत क़िस्में

बासमती धान की उन्नत क़िस्में

भारत में खरीफ मौसम में धान की खेती मुख्य रूप से की जाती है, अधिकांश किसानों के लिए धान उत्पादन ही मुख्य रूप से उनकी आजीविका का साधन है। ऐसे में यह आवश्यक है कि कम लागत में धान की अधिक पैदावार प्राप्त की जा सके जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सके। वैसे तो देश में धान का उत्पादन लगभग 128 मिलियन टन तक होता है। वहीं देश में धान की 1000 से ज़्यादा क़िस्में मौजूद हैं जिनकी खेती की जाती है, परंतु वैज्ञानिक लगातार किसानों के लिए नई उन्नत क़िस्में विकसित कर रहे हैं।

देश में स्थित विभिन्न कृषि महाविद्यालय क्षेत्र के अनुसार विभिन्न फसलों की नई-नई क़िस्में विकसित कर रहे हैं, जिनकी उत्पादकता अच्छी होती है साथ ही यह क़िस्में लगने वाले कीट रोगों के प्रति सहनशील होती हैं। या यूँ कहें की इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है जिससे इनमें रोग कम लगते हैं और पैदावार में वृद्धि होती है। धान की बासमती किस्म एक ऐसी ही प्रजाति है जो अधिक सुगंधित होने के साथ ही अन्य विशेषताओं को लिए हुए है।

किसान समाधान आज किसानों के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा के द्वारा विकसित की गई बासमती धान की किस्मों के विषय में जानकारी लेकर आया है। किसान अपने क्षेत्र एवं जलवायु के अनुसार उपयुक्त प्रजाति का चयन कर धान की पैदावार को बढ़ा सकते हैं। 

पूसा 1592 

पूसा 1592 धान की उन्नत किस्म को सिंचित क्षेत्र के लिए विकसित किया गया है | यह मध्यम देरी 120 दिन में पकने वाली फसल की किस्म है, इसका दाना पतला तथा लम्बा होता है | यह सुगंधित धान की श्रेणी के रूप में आता है | यह किस्म झुलसा रोग के प्रति सहनशील है | इस किस्म का औसत उत्पादन 47.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं, जबकि अधिकतम उत्पादन 67.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं |

पूसा 1592 किस्म को उन क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है जहाँ पर बासमती धान की खेती की जाती है | धान की इस किस्म की खेती का अनुमोदन पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और जम्मू कश्मीर राज्यों के लिए किया गया है।

पूसा बासमती 1609 

पूसा बासमती 1609 किस्म को सिंचित क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है, इसके दाने लंबे, पतले तथा अधिक सुगंधित होते हैं | यह किस्म मध्यम देरी (120 दिन) में तैयार होने वाली प्रजाति में जानी जाती है | इस किस्म का औसतन उत्पादन 46.0 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है तथा अधिकतम उत्पादन 67.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है । पूसा बासमती 1609 धान की प्रजाति को बासमती खेती वाले क्षेत्र (उत्तराखंड, पंजाब और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र – दिल्ली) के लिए अनुमोदित किया गया है |

पूसा बासमती 1637 

यह प्रजाति को सिंचित क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है। यह माध्यम देरी (130 दिन) से पकने वाली प्रजाति के रूप में जानी जाती है | यह प्रजाति झौंका रोग के लिए प्रतिरोधक है | इसके दाने सुगंधित और लम्बे तथा पतले होते हैं | इस प्रजाति के धान का औसतन उत्पादन 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा अधिकतम 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं | पूसा बासमती 1637 धान की प्रजाति को बासमती की खेती वाले क्षेत्र (पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली) के लिए अनुमोदित किया गया है |

पूसा बासमती 1728 

पूसा 1728 किस्म को सिंचित क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है, यह किस्म देर से (140 दिन) पकने वाली प्रजाति में जानी जाती है | यह किस्म झुलसा रोग के प्रति सहनशील है | इस किस्म का औसतन उत्पादन 41.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि अधिकतम उत्पादन 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। पूसा बासमती 1728 किस्म की खेती बासमती क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है। इस किस्म की खेती पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और जम्मू कश्मीर राज्यों में की जा सकती है। 

पूसा बासमती 1718 

पूसा बासमती 1718 किस्म को सिंचित क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है, यह अधिक समय (135 दिन) में पक कर तैयार होने वाली प्रजाति है | यह किस्म झुलसा रोग के लिए प्रतिरोधक है। इसके दाने अधिक सुगंधित के साथ–साथ लंबे होते हैं | इसका औसतन उत्पादन 46.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा अधिकतम उत्पादन 60.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है | धान की इस किस्म की खेती बासमती की खेती वाले क्षेत्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के लिए अनुमोदित किया गया है। 

पूसा बासमती 1692 

पूसा बासमती 1692 धान को सिंचित क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है, यह कम समय 115 दिन में तैयार होने वाली प्रजाति है | इसके पौधे मध्यम आकार के होने के साथ ही साथ धान के दाने लंबे तथा पारभासी होते है | इसके दाने खुशबूदार होता है | पूसा बासमती 1692 प्रजाति के धान का औसत उपज 52.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा अधिकतम 73.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है | पूसा बासमती 1692 धान की खेती दिल्ली, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में की जा सकती है। 

पूसा सांबा 1850 

पूसा सांबा 1850 प्रजाति को सिंचित क्षेत्र के लिए ज्यादा उत्तम माना गया है। धान की यह किस्म झौंका रोग के प्रति सहनशील है | इसके दाने मध्यम पतले 5.6 मिमी. के होते है। इस प्रजाति की उपज अधिक समय (140 दिन) में पकने वाली है | इस प्रजाति के धान का उत्पादन औसतन 47.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है तथा अधिकतम उत्पादन 69.0 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है | पूसा सांबा 1850 प्रजाति का अनुमोदन ओड़िसा तथा छत्तीसगढ़ राज्य के लिए अनुमोदित किया गया है |

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