देश में फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर अनाज उपलब्ध कराने के लिए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा विभिन्न फसलों की नई-नई किस्में विकसित की जा रही हैं। इनमें कई किस्में तो ऐसी हैं जिनके रंग सामान्य उपलब्ध फसलों से काफी अलग है। इसमें काला गेहूं भी शामिल है। काला गेहूं ना केवल साधारण गेहूं से अलग दिखता है बल्कि इसमें पोषक तत्वों की मात्रा भी साधारण गेहूं से ज्यादा है।
किसानों को काले गेहूं की उपज के भाव भी साधारण गेहूं से अच्छे मिल जाते हैं, जिससे काले गेहूं की खेती करना किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है। वैसे तो काला गेहूं की खेती भी साधारण गेहूं की तरह ही की जा सकती है परंतु किसान कुछ बातों का ध्यान रखकर कम लागत में अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
साधारण गेहूं और काले गेहूं में अन्तर क्या है?
काले गेहूं दिखने में काले तथा बैंगनी होते हैं, पर इसके गुण साधारण गेहूँ से ज्यादा होते हैं। एंथोसाइनीन पिगमेंट की मात्रा ज्यादा होने के कारण ये गेहूँ काले होते हैं। साधारण गेहूँ में एंथोसाइनिन की मात्रा 5 से 15 पीपीएम होती है जबकि काले गेहूं में इसकी मात्रा 40 से 140 पीपीएम होती है। एंथोसाइनिन एक नेचुरल एन्टी ऑक्सीडेंट व एन्टीबायोटिक है, जो हार्ट अटैक, कैंसर, शुगर, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर सिद्ध होता है। काले गेहूँ रंग व स्वाद में सामान्य गेहूँ से थोड़ा अलग होता है।
किसान कब करें काले गेहूं की बुआई
काले गेहूँ की बुवाई समय से एवं पर्याप्त नमी पर करना चाहिए। देर से बुवाई करने पर उपज में कमी होती है। जैसे-जैसे बुवाई में विलम्ब होता जाता है, गेहूँ की पैदावार में गिरावट की दर बढ़ती चली जाती है। दिसम्बर में बुवाई करने पर गेहूँ की पैदावार 3 से 4 क्विंटल/ हेक्टेयर एवं जनवरी में बुवाई करने से 4 से 5 क्विंटल/हेक्टेयर प्रति सप्ताह की दर से घटती है। गेहूं की बुवाई सीडड्रिल से करने पर उर्वरक एवं बीज की बचत की जा सकती है। काले गेहूँ का उत्पादन सामान्य गेहूं की तरह ही होता है। इसकी उपज 10-12 क्विंटल प्रति बीघा होता है। सामान्य गेहूँ की भी औसत उपज एक बीघा में 10-12 क्विंटल होता है।
काला गेहूं की बुआई के लिए बीज दर एवं बीज शोधन
पंक्ति में बुआई करने पर सामान्य दशा में 100 किलोग्राम तथा मोटा दाना 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा छिटकाव बुवाई की दशा में सामान्य दाना 125 किलोग्राम, मोटा दाना 150 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। बुवाई से पहले जमाव प्रतिशत अवश्य देख लें। राजकीय अनुसंधान केन्द्रों पर यह सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध है। यदि बीज अंकुरण क्षमता कम हो तो उसीके अनुसार बीज दर बढ़ा लेनी चाहिए तथा यदि बीज प्रमाणित न हो तो उसका शोधन अवश्य करें। बीजों का कार्बाक्सिन, एजेटौवैक्टर व पी.एस.वी. से उपचारित कर बुवाई करें। सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों में रेज्ड वेड विधि से बुवाई करने पर सामान्य दशा में 75 किलोग्राम तथा मोटा दाना 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए।
काले गेहूं में खाद उर्वरक एवं सिंचाई की मात्रा
खेत की तैयारी के समय जिंक व यूरिया खेत में डालें तथा डीएपी खाद को ड्रिल से दें। बोते समय 50 किलो डीएपी, 45 किलोग्राम यूरिया, 20 किलो म्यूरेट पोटाश तथा 10 किलो जिंक सल्फेट प्रति एकड़ दें। पहली सिंचाई के समय 60 किलो यूरिया दें। पहली सिंचाई तीन हफ्ते बाद करें। इसके बाद कल्ले निकलते समय गांठें बनते समय, बालियाँ निकलने से पहले, दुधिया दशा में और दाना पकते समय सिंचाई करें।
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