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किसान अनुदान पर लेमनग्रास, खस एवं शतावरी सहित अन्य औषधीय फसलों की खेती करने के लिए आवेदन करें

औषधीय एवं सुगंधित फसलों की खेती पर अनुदान हेतु आवेदन 

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार किसानों को परंपरागत खेती को छोड़ अन्य फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। किसानों को इन नई फसलों की खेती करने में किसी प्रकार की आर्थिक बाधा ना आए इसके लिए सरकार किसानों को अनुदान भी उपलब्ध करा रही है। इस क्रम में बिहार सरकार ने राज्य में किसानों को औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती के लिए अनुदान उपलब्ध कराने के लिए आवेदन माँगे हैं।

उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार राज्य के चयनित जिलों में औषधीय और सुगंधित पौधे की खेती को बढ़ावा देने के लिए चतुर्थ कृषि रोड मैप के अंर्तगत फसल विविधीकरण योजना चला रही है। योजना का मुख्य उद्देश्य बिहार राज्य में फसल विविधीकरण अंतर्गत सुगंधित एवं औषधीय पौधों तथा शुष्क बागवानी फसलों के क्षेत्र विस्तार हेतु किसानों को सहायता अनुदान देकर जलवायु परिवर्तन के अनुरूप फसल पद्धति विकास के लिए बेहतर विकल्प प्रदान कर उनकी आय में वृद्धि करना है।

औषधीय पौधों की खेती के लिए कितना अनुदान दिया जाएगा?

बिहार सरकार ने फसल विविधीकरण योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 में 500 हेक्टेयर क्षेत्र का भौतिक लक्ष्य रखा है, सरकार इसके लिए 3 करोड़ 82 लाख 50 हजार रुपये खर्च करेगी। उद्यान निदेशालय बिहार सरकार द्वारा किसानों को लेमनग्रास, पामरोजा, तुलसी, शतावरी एवं खस की खेती के लिए अनुदान दिया जा रहा है। विभाग द्वारा इन फसलों की इकाई लागत 1,50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर रखी गई है। जिस पर लाभार्थी किसान को 50 प्रतिशत, अधिकतम 75,000 रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाएगा।

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योजना के अंतर्गत सुगंधित एवं औषधीय पौधों के क्षेत्र विस्तार के लिए एक किसान को न्यूनतम 0.10 हेक्टेयर एवं अधिकतम 4 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए अनुदान दिया जाएगा। जिसका भुगतान प्रखंड उद्यान पदाधिकारी के द्वारा भौतिक सत्यापन के अनुशंसा के बाद एकमुश्त किया जाएगा।

इन जिलों के किसान कर सकते हैं योजना के लिए आवेदन

फसल विविधीकरण योजना के अंर्तगत सुगंधित एवं औषधीय पौधों के क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम का क्रियान्वयन चयनित ज़िलों में किया जा रहा है। इसमें लेमन ग्रास, पामरोजा, तुलसी एवं शतावरी की खेती के लिए गया, जमुई एवं नवादा जिलों के किसान आवेदन कर सकते हैं। तो वहीं खस की खेती के लिए पूर्वी चम्पारण, पश्चिम चंपारण, सुपौल, सहरसा, खगड़िया एवं वैशाली जिले के किसान आवेदन कर कसते हैं।

औषधीय फसलों की खेती के लिए किसान पौध रोपण सामग्री स्वयं अथवा सेंटर ऑफ एक्सलेंस, देसरी, वैशाली/ विभागीय/ कृषि विश्वविद्यालय/ कृषि अनुसंधान संस्थान/ केंद्रीय एजेंसी/ राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड एक्रीडीटेड नर्सरी से अथवा ई-निविदा के द्वारा चयनित योग्य एजेंसी के माध्यम से कराया जायेगा। किसान in cash/ Cash in Kind प्रक्रिया द्वारा सहायता अनुदान का लाभ ले सकते हैं।

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अनुदान पर औषधीय पौधों की खेती के लिए आवेदन कहाँ करें?

फसल विविधीकरण योजना के अंतर्गत औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती पर अनुदान प्राप्त करने के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। इच्छुक किसान योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए किसान को उद्यान निदेशालय की विभागीय वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जाना होगा। इसके बाद किसान सुगंधित एवं औषधीय पौधे CDP की लिंक पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। योजना से जुड़ी विशेष जानकारी के लिए किसान अपने जिले के सहायक निदेशक उद्यान से संपर्क कर सकते हैं।

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