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शुक्रवार, जून 13, 2025
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अधिक पैदावार के लिए किसान इस तरह करें मूंगफली की बुआई, कृषि विभाग ने जारी की सलाह

खरीफ फसलों की बुआई का समय हो गया है, ऐसे में किसान कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त कर सकें इसके लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को विशेष सलाह दी जा रही है। इस कड़ी में अजमेर के ग्राहृय परीक्षण केन्द्र तबीजी फार्म की तरफ़ से मूंगफली का उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीक साझा की गई है। फार्म के कृषि उप निदेशक मनोज कुमार ने बताया कि मूंगफली खरीफ में उगाई जाने वाली एक प्रमुख तिलहनी फसल है। इसकी बुआई जून के प्रथम सप्ताह से द्वितीय सप्ताह के दौरान की जानी चाहिए।

उप निदेशक ने कहा कि मूंगफली फसल की उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए उन्नत शस्य क्रियाओं के साथ-साथ फसल को कीटों एवं रोगों से बचाना भी अति आवश्यक है। मूंगफली की फसल में दीमक, सफेद लट, कॉलर रॉट, टिक्का (पत्ती धब्बा) एवं विषाणु गुच्छा आदि कई अन्य हानिकारक कीट तथा रोगों का प्रकोप होता हैं। मूंगफली का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को सिफारिश के अनुसार उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए एवं मृदा उपचार व बीजोपचार करना भी बहुत अधिक फायदेमंद रहता है। किसानों को कृषि रसायनों का उपयोग करते समय हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क तथा पूरे वस्त्र पहनना चाहिए। किसान फफूंदनाशी, कीटनाशी से बीजों को उपचारित करने के बाद ही राइजोबियम जीवाणु कल्चर से बीजों को उपचारित करें।

मूंगफली को कीट और रोगों से बचाने के लिए करें यह काम

संस्थान के कृषि अनुसंधान अधिकारी डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने जानकारी दी कि कॉलर रॉट रोग से समुचित बचाव के लिए मृदा उपचार, बीजोपचार एवं रोग प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग करना चाहिए। बुवाई से पूर्व 2.5 किलो ट्राइकोडर्मा 100 किलो गोबर में मिलाकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में मिलाएं। साथ ही कॉर्बोक्सिन 37.5 प्रतिशत थाइरम 37.5 प्रतिशत का 3 ग्राम या मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार करें। अगर रासायनिक फफूंदनाशी का उपयोग कम करना हो तो 1.5 ग्राम थाइरम एवं 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा से प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।

वहीं मूंगफली की फसल को भूमिगत कीटों के समन्वित प्रबंधन हेतु बुवाई से पूर्व भूमि में 250 किलो नीम की खली प्रति हेक्टेयर की दर से डालें। सफेद लट से बचाने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 600 एफ.एस. की 6.5 मि.ली. प्रति किलो बीज या क्लोथायोनिडिन 50 डब्ल्यूडी.जी. 2 ग्राम प्रति किलो बीज को उपचारित करें व बीज को 2 घण्टे छाया में सुखाकर बुवाई करें।

इस तरह से बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार

संस्थान के कृषि अनुसंधान अधिकारी (रसायन) कमलेश चौधरी ने बताया कि बुवाई से पूर्व बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने से फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होती हैं। बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने के लिए 2.5 लीटर पानी में 300 ग्राम गुड़ को गर्म करके घोल बनाए तथा घोल के ठण्डा होने पर इसमें 600 ग्राम राइजोबियम जीवाणु कल्चर मिलायें। इस मिश्रण से एक हेक्टेयर क्षेत्र में बोए जाने वाले बीज को इस प्रकार मिलायें कि सभी बीजों पर इसकी एक समान परत चढ़ जायें। इसके पश्चात इन बीजों को छाया में सुखाकर शीघ्र बोने के काम में लें।

मूंगफली में खरपतवार का नियंत्रण

कृषि अनुसंधान अधिकारी (शस्य) राम करण जाट ने बताया कि मूंगफली की बुवाई से पूर्व प्रति हेक्टेयर 60 किलो फॉस्फोरस व 15 किलो नाइट्रोजन का छिड़काव करें। पोटाश की कमी वाले क्षेत्रों में 30 किलो पोटाश बुवाई से पूर्व डालें। खरपतवार प्रबंधन के लिए बुवाई के तुरन्त बाद पेन्डीमिथालीन (30 प्रतिशत) और ईगिजाथापर (2 प्रतिशत) उपलब्ध मिश्रित शाकनाशी 800 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें अथवा पेन्डीमिथालीन (30 प्रतिशत) शाकनाशी एक किलो ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करे एवं 30 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें।

अब MSP पर होगी मूंग और मूंगफली की खरीद, किसानों को मिली बड़ी सौगात

देश में किसानों को उनकी फसलों के उचित मूल्य उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि की MSP पर की जाती है। ऐसे में जायद सीजन में मूंग और मूंगफली की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए उत्तर प्रदेश में मूंग और मूंगफली की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर की जाएगी। भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश के किसानों को सौगात देते हुए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से प्रधानमंत्री मोदी ने मूंगफली और मूंग को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए स्वीकृति दे दी है।

बुधवार 11 जून के दिन भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के बीच एक वीडियो कॉन्फ्रेंस हुई, इसमें यूपी के कृषि मंत्री ने अवगत कराया कि जायद 2024-25 में उत्तर प्रदेश में मूंग का आच्छादन 1.60 लाख हेक्टेयर और मूंगफली का आच्छादन 1.74 लाख हेक्टेयर रहा है।

मूंग और मूंगफली खरीद के लिए जारी किए लक्ष्य

यूपी के कृषि मंत्री ने किसानों द्वारा उत्पादित जायद मूंग और मूंगफली को MSP पर खरीदने का आग्रह किया, जिसे केंदीय कृषि मंत्री चौहान ने स्वीकार कर लिया है। जायद 2024-25 के लिए मूंग खरीद के लिए 34,720 मीट्रिक टन और मूंगफली खरीद के लिए लक्ष्य 50,750 मीट्रिक टन निर्धारित किया गया है। सरकार के इस निर्णय से बड़ी संख्या में किसानों को लाभ मिलेगा।

इसके साथ ही केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर मूंगफली और मूंग के क्रय के लक्ष्य में वृद्धि की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, उड़द के क्रय के संबंध में प्रस्ताव प्राप्त होने पर उसका अनुमोदन भी प्रदान कर दिया जाएगा। इसके अलावा यूपी के कृषि मंत्री ने आग्रह किया कि जायद में लगभग 4.80 लाख हेक्टेयर में व्यापक पैमाने पर हो रही मक्का की खेती के उत्पादन को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाए, जिससे प्रदेश के किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त हो सके।

क्या है मूंग और मूंगफली का न्यूनतम समर्थन मूल्य

खरीफ सीजन 2024-25 के लिए निर्धारित किए गए मूंग एवं मूंगफली की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की जाएगी। बता दें कि खरीफ 2024-25 में मूँग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 8682 रुपए प्रति क्विंटल एवं मूंगफली का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6783 रुपए प्रति क्विंटल था। जिस पर ही ज़ायद सीजन में लगाई गई मूंग और मूंगफली की खरीद की जाएगी।

गन्ना उत्पादन बढ़ाने के लिए चीनी मिलों में टिश्यू कल्चर, मृदा परीक्षण और जैव उर्वरक लैब की कि जाएगी स्थापना

फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त प्रमोद कुमार उपाध्याय ने बताया कि गन्ना किसानों को स्वस्थ एवं उपजाऊ मिट्टी में गन्ने की खेती कराना सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी प्राथमिकता के क्रम में गन्ने के उत्पादन एवं गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए टिश्यू कल्चर, मृदा परीक्षण और जैव उर्वरक तकनीकी विधाओं को बढ़ावा देने के लिए चीनी मिल समूहों तथा क्षेत्रीय अधिकारी के साथ समीक्षा बैठक आयोजित की गई।

इस बैठक में सभी चीनी मिलों को टिश्यू कल्चर, मृदा परीक्षण तथा जैव उर्वरक/ बायो पेस्टीसाइड तकनीकों को लागू करने के निर्देश दिए गए हैं जिससे गन्ना किसानों को स्वस्थ, रोग रहित बीज प्राप्त हो सके। इसके साथ ही टिश्यू कल्चर का उपयोग कर नई किस्मों के गन्ना बीज का त्वरित उत्पादन किया जा सकता है।

किसानों को पता चलेगी मिट्टी की गुणवत्ता

गन्ना एवं चीनी विभाग के आयुक्त ने बताया कि प्रदेश के चीनी मिल समूह मिल क्षेत्र पर मृदा परीक्षण लैब की स्थापना करेगी और प्रत्येक किसान को सॉइल हेल्थ कार्ड वितरण करेंगी तथा मिल क्षेत्र का फर्टिलिटी मैप भी तैयार करेंगी। जिससे किसानों को अपनी मिट्टी की उर्वरता का पता चलेगा, तथा किसान खेतों में उचित उर्वरकों का प्रयोग कर गन्ने की पैदावार में अत्यधिक वृद्धि कर सकेंगे। इसके साथ ही उर्वरकों का दुरुपयोग रोकने से लागत में कमी लाई जा सकेगी।

आयुक्त ने परिक्षेत्रीय अधिकारियों, कार्मिकों, चीनी मिल समूहों को निर्देशित किया कि पर्यावरण सुरक्षा एवं टिकाऊ खेती के लिए रसायनों के स्थान पर जैव उर्वरकों और बायो पेस्टीसाइड के प्रयोग के लिए किसानों को प्रेरित करें। इसके लिए किसानों के हित में प्रदेश की प्रत्येक चीनी मिल क्षेत्र में जैव उर्वरक और बायो-पेस्टीसाइड लैब की स्थापना करने के निर्देश दिए हैं।

किसानों को मूंग के मिलेंगे उचित भाव, मॉडल दरें बढ़ाकर की जाएगी 7500 रुपए प्रति क्विंटल: मुख्यमंत्री

किसानों को उनकी उपज के उचित मूल्य मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा विभिन्न फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि की MSP पर की जाती है। लेकिन इस साल मध्य प्रदेश में जायद सीजन में लगाई जाने वाली मूंग और उड़द की सरकारी खरीद नहीं हो रही है। इसके लिए अभी तक किसानों के पंजीयन भी शुरू नहीं हुए हैं। जिसको लेकर भारतीय किसान संघ मध्यप्रदेश के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार 10 जून के दिन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात की।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि उपज मंडियों में पारदर्शी व्यवस्था बनाकर मूंग खरीदी की जाएगी। प्रदेश के बाहर से व्यापारियों को भी मूंग खरीदी के लिए सुविधाएं प्रदान की जाएंगी और प्रोत्साहित किया जाएगा। मंडियों में किसानों को मूंग विक्रय का उचित दाम मिल सके इसके लिए व्यापारियों को बोली लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

मूंग की मॉडल दरें की जाएगी 7500 रुपए प्रति क्विंटल

मुख्यमंत्री ने कहा कि मूंग पर मंडी शुल्क में राहत दी जा सकती है या नहीं इसकी जांच की जायेगी। किसान उत्पादक संगठन (FPO) और आईटीसी को मूंग नीलामी में शामिल करने के लिये प्रेरित किया जायेगा। हमारा प्रयास यह है कि मंडियों में मूंग की मॉडल दरे बढ़कर लगभग 7500 रूपये प्रति क्विंटल हो जाये। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से बाहर से आने वाले व्यापारियों को नये मंडी लायसेंस भी दिये जाएँगे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के साथ खड़ी है। खेती और किसानी राज्य सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। प्रदेश में कृषि आधारित उद्योग लगाने के लिए कोई कसर छोड़ी नहीं जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कपास उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। गौ-शाला संचालित करने के लिए 20 रुपए से बढ़ाकर प्रति गाय 40 रुपए अनुदान राशि दी जा रही है। उन्होंने कहा कि किसान, फसल चक्र अपना कर उत्पादन में वृद्धि कर सकते हैं।

2575 रुपए प्रति क्विंटल पर की जा रही है गेहूं की खरीद, सरकारी खरीद केंद्र पर गेहूं बेचने के लिए की अपील

किसानों को गेहूं के उचित मूल्य मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि की MSP पर गेहूं की खरीद की जा रही है। केंद्र सरकार द्वारा इस वर्ष के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। जिस पर राजस्थान सरकार किसानों को 150 रुपए प्रति क्विंटल का अतिरिक्त बोनस भी दे रही है। जिससे इस वर्ष राज्य में किसानों को गेहूं का मूल्य 2575 रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा है। राज्य में MSP पर गेहूँ ख़रीद का काम 30 जून तक किया जाएगा।

राजस्थान राज्य में रबी विपणन वर्ष 2025-26 के अंतर्गत भारतीय खाद्य निगम मंडल कार्यालय के नेतृत्व में गेहूं की खरीद की जा रही है। इसमें अजमेर, भीलवाड़ा, ब्यावर, पाली एवं नागौर जिले शामिल हैं। एफसीआई द्वारा किसानों के खातों में विक्रय के 48 घंटे के भीतर भुगतान सुनिश्चित किया जा रहा है। साथ ही किसानों के लिए पंजीकरण, टोकन जारी करना, भुगतान प्रक्रिया एवं समर्थन मूल्य की पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है।

अभी तक इतना गेहूं खरीदा गया

इस वर्ष एफसीआई मंडल कार्यालय अजमेर के तहत संचालित 14 प्रमुख खरीद केंद्रों पर प्रारंभ में 18,890 मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया था जो पूरा हो चुका है। इसके बाद इसे बढ़ाकर 33,890 मीट्रिक टन किया गया, जिसे भी पूरा कर लिए गया है। इस वर्ष अजमेर मंडल में 48,191 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है। इसमें विशेष रूप से गुलाबपुरा (11,870.25 मीट्रिक टन), बिजयनगर (7,689.7 मीट्रिक टन), भीलवाड़ा (5,672.65 मीट्रिक टन), तखतगढ़ (4,011.85 मीट्रिक टन) और शाहपुरा (3,982 मीट्रिक टन) जैसे केंद्रों पर किसानों ने अपेक्षा से अधिक गेहूं विक्रय कर उल्लेखनीय सहभागिता निभाई है।

9 हजार से अधिक किसानों ने कराया पंजीयन

भारत सरकार द्वारा इस वर्ष गेहूं खरीद के लिए निर्धारित मापदंडों में राजस्थान के लिए विशेष रियायत भी दी गई है। इसके फलस्वरूप किसानों को अपनी फसल बेचने में अधिक सुविधा मिली और खरीद लक्ष्य से अधिक खरीद संभव हो पाई है। अब तक मंडल कार्यालय अजमेर के अधीन कुल 9,306 किसानों का पंजीकरण हुआ है। इनमें से 6,867 किसानों ने सरकारी खरीद प्रणाली के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ प्राप्त किया है। इन्हें अब तक 124,09,36,27 (एक अरब चौबीस करोड़ नौ लाख छत्तीस हजार दो सौ पचहत्तर ) का भुगतान किया जा चुका है।

किसानों से गेहूं बेचने के लिए की गई अपील

किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। खरीद की यह प्रक्रिया 30 जून तक जारी रहेगी। एफसीआई मंडल कार्यालय अजमेर की ओर से सभी किसानों से अपील की जाती है कि वे अधिक से अधिक संख्या में इस सरकारी खरीद प्रक्रिया में भाग लें। अपने गेहूं का विक्रय करें तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य एवं बोनस का पूरा लाभ उठाएं।

किसानों को सलाह गई है कि वे टोकन जारी कराकर केंद्रों पर व्यवस्थित ढंग से गेहूं विक्रय के लिए आएं तथा जन आधार कार्ड, बैंक विवरण सहित सभी आवश्यक दस्तावेज साथ लाएं। इससे त्वरित भुगतान में कोई कठिनाई न होगी। सभी किसानों से अपील करते हैं कि वे 30 जून तक अधिक से अधिक संख्या में इस सरकारी खरीद प्रक्रिया में भाग लें। यदि किसी किसान को किसी प्रकार की समस्या आती है, तो वह हेल्पलाइन नंबर 18001806030 के माध्यम से सहायता प्राप्त कर सकता है।

फसलों और बगीचों में कीटनाशकों के छिड़काव के लिए किसानों को मिलेगा 75 प्रतिशत तक का अनुदान

हर साल फसलों को कीट एवं रोग के कारण बहुत अधिक नुकसान पहुंचता है, जिसका असर फसलों के उत्पादन पर होता है। ऐसे में किसान अपनी फसलों को कीट एवं रोगों से बचा सकें इसके लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किया जा रहे हैं। इस कड़ी में बिहार के उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा किसानों की आय में वृद्धि तथा उद्यानिकी फसलों की उत्पादकता को बढ़ाने के उद्देश्य से वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बगीचों एवं फसलों में कीट प्रबंधन योजना को स्वीकृति प्रदान की गई है। उन्होंने बताया कि इस योजना के अंतर्गत राज्य के किसानों को उनके उद्यानिकी फलों एवं फसलों में कीट-व्याधियों के नियंत्रण हेतु अनुदानित दर पर छिड़काव की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

कृषि मंत्री ने कहा कि फसलों और बगीचों में छिड़काव का काम अधिकृत सेवा प्रदाताओं के माध्यम से अनुशंसित कीटनाशकों के प्रयोग से कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस योजना में आम, लीची, अमरूद, केला और पपीता जैसे फलों के साथ ही विभिन्न फसलों को शामिल किया गया है।

कीटनाशक छिड़काव के लिए कितना अनुदान मिलेगा?

उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री ने बताया कि आम के वृक्षों में कीट और फ्रूट ड्रॉप की समस्या के समाधान हेतु किसानों को प्रथम छिड़काव पर 57 रुपए प्रति वृक्ष तथा द्वितीय छिड़काव पर 72 रुपए प्रति वृक्ष की दर से 75 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। एक किसान अधिकतम 112 वृक्षों तक इस योजना का लाभ ले सकता है। वहीं लीची के बगीचों में प्रथम छिड़काव के लिए 162 रुपए प्रति वृक्ष तथा द्वितीय छिड़काव के लिए 114 रुपए प्रति वृक्ष का अनुदान मिलेगा, जिसमें एक किसान अधिकतम 84 वृक्षों तक अनुदान की सुविधा प्राप्त कर सकेगा।

इसके अलावा अमरूद की फसल हेतु प्रथम छिड़काव पर 33 रुपये तथा द्वितीय छिड़काव पर 45 रुपए प्रति वृक्ष की दर से 75 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा, और एक किसान को प्रति छिड़काव अधिकतम 56 वृक्षों पर यह लाभ प्राप्त होगा। इसके अलावा केला और पपीता के पौधों के लिए योजना के तहत प्रथम छिड़काव पर 50 प्रतिशत अथवा 2150 रुपए प्रति एकड़ तथा द्वितीय छिड़काव पर 50 प्रतिशत अधिकतम 2,000 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान निर्धारित किया गया है।

किसानों को करना होगा ऑनलाइन आवेदन

कृषि मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि किसानों को इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए डीबीटी पोर्टल dbtagriculture.bihar.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। योजना के तहत पारदर्शिता एवं प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक छिड़काव सेवा प्रदाताओं द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप किया जाएगा। उन्होंने कहा कि योजना के क्रियान्वयन से रोगों के प्रभावी नियंत्रण में सहायता मिलेगी तथा फल उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार होगा।

कृषि मंत्री ने किसानों को बताए अमानक बीज की पहचान और बचाव के उपाय

राजस्थान के कृषि एवं उद्यानिकी मंत्री डॉ. करोड़ी लाल मीणा ने बताया कि किसानों को उच्च गुणवत्ता युक्त खाद, बीज एवं उर्वरक उपलब्ध कराना ही सरकार का प्रमुख ध्येय हैं इसके लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने बताया कि उर्वरकों की कालाबाजारी, जमाखोरी और अमानक उर्वरकों व बीजों पर अंकुश लगाने के लिए कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर विशेष गुण नियंत्रण अभियान चलाये जाते हैं।

कृषि मंत्री ने विभागीय बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिए कि विनिर्माताओं और निर्माताओं के निरीक्षण के दौरान अनियमित्ता पाये जाने पर कृषि आदानों से संबंधित नियमों, अधिनियमों, उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत बिक्री पर रोक, जब्ती, लाइसेंस निलंबन या निरस्तिकरण जैसी कार्यवाही की जाए। कृषि मंत्री ने निर्देशित किया कि कृषि विभाग से संबंधित जन समस्याओं के निराकरण हेतु एक पृथक कॉल सेंटर की व्यवस्था करें। जहां पर जन शिकायतों का समयबद्ध तरीके से निस्तारण किया जा सकेगा।

अमानक बीज क्या होते हैं?

कृषि मंत्री ने बताया कि अमानक बीज ऐसे बीज होते हैं, जो देखने में असली और प्रमाणित बीज जैसे ही लगते हैं, लेकिन वास्तव में उनकी गुणवत्ता बहुत खराब होती है। इनमें अंकुर दर कम होती है व पौधे की बढ़वार कमजोर होती है और उत्पादन भी अपेक्षित मात्रा में नहीं मिलता है। ये बीज भारतीय बीज अधिनियम 1966 के अनुसार, निर्धारित मानकों पर खरे नहीं उतरते, कुछ मामलों में नकली बीज पुराने या खराब भंडारण वाले भी होते हैं, जिनकी अंकुर क्षमता लगभग समाप्त हो चुकी होती है।

अमानक बीज से बचाव के उपाय

इस बारे में कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों को कृषि विभाग द्वारा पंजीकृत और बीज अधिनियम 1966 के तहत प्रमाणित बीज ही खरीदना चाहिए, बीज खरीदते समय पैकेट पर सर्टिफाइड सीड का चिन्ह, प्रमाणन तिथि, वैधता तिथि, अंकुरण दर और लाइसेंस नम्बर अवश्य देखें। किसान प्रमाणित और ब्रांडेड बीज का ही उपयोग करें। बीज केवल कृषि विभाग से अधिकृत विक्रेताओं या सरकारी बीज निगमों की दुकानों से ही खरीदे, इससे बीज की गुणवत्ता और शिकायत की स्थिति में समाधान की व्यवस्था रहती है। उन्होंने बताया कि बुवाई से पहले बीज का अंकुरण परीक्षण अवश्य करें, 100 बीजों का एक नमूना लेकर नम कपड़े में अंकुरित कर अंकुरण दर जांची जा सकती है, इससे बीज की क्षमता का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।

कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को अमानक बीजों से बचाव के लिए जागरूक होना बेहद जरूरी है, उन्हें पंचायत स्तर, किसान मेलों, कृषि विभाग के जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए। साथ ही स्थानीय कृषि विज्ञान केन्द्र या कृषि अधिकारी से जानकारी लेकर ही बीज का चुनाव करें। सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए कई ऑनलाइन पोर्टल शुरू किए हैं, जैसे ‘ई-नाम’, आई-कृषि पोर्टल’ और ‘बीज निगरानी प्रणाली’, इन माध्यमों से किसान प्रमाणित बीजों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं।

अमानक बीज बेचने वालों की सूचना कृषि विभाग को दें

कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को अमानक बीजों से बचाव के लिए जागरूक होना बेहद जरूरी है, उन्हें पंचायत स्तर, किसान मेलों, कृषि विभाग के जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए। साथ ही स्थानीय कृषि विज्ञान केन्द्र या कृषि अधिकारी से जानकारी लेकर ही बीज का चुनाव करें। सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए कई ऑनलाइन पोर्टल शुरू किए हैं, जैसे ‘ई-नाम’, आई-कृषि पोर्टल’ और ‘बीज निगरानी प्रणाली’, इन माध्यमों से किसान प्रमाणित बीजों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं।

उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे प्रमाणित बीज ही खरीदें और सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें, इसके साथ ही प्रशासन को भी सख्ती से अमानक बीजों की बिक्री पर रोक लगाने के निर्देश दिए, उन्होंने बताया कि अगर किसान सजग रहेंगे और बीज खरीद में सावधानी बरतेंगे तो वे अमानक बीजों के जाल से बच सकते हैं।

सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना: किसान बनेंगे बिजली उत्पादक, दिन में सिंचाई के लिए मिलेगी सस्ती बिजली

फसलों की उत्पादन लागत कम करने के साथ ही किसानों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना शुरू की गई है। योजना के बारे में जानकारी देते हुए प्रदेश के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला ने बताया कि सरकार अब छोटे निवेशकों के साथ ही किसानों को भी बिजली उत्पादन का अवसर मुहैया कराने जा रही है। छोटे निवेशकों के साथ किसान सौर ऊर्जा अभियान में “सूर्य मित्र कृषक फीडर योजना” में निवेश करके बेहतर लाभ अर्जित कर सकते हैं।

इस योजना का लाभ लेकर किसान सौर ऊर्जा के माध्यम से “बिजली उत्पादक” बन सकते है। नवकरणीय ऊर्जा मंत्री ने रविवार को पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि “सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना” से प्रदेश के छोटे निवेशकों के साथ किसान भी लाभान्वित होंगे।

किसानों को दिन में मिलेगी सस्ती बिजली

नवकरणीय ऊर्जा मंत्री ने बताया कि योजना में विद्युत सब स्टेशन की 100% क्षमता तक की सौर परियोजनाओं को स्थापित करने का सरकार ने निर्णय लिया है। इस योजना से वोकल फॉर लोकल के अंतर्गत स्थानीय उद्यमियों के लिए निवेश एवं रोजगार के अवसर मिलेंगे। शासन के साथ 25 वर्षों तक का विद्युत क्रय अनुबंध किया जाएगा। मंत्री ने बताया कि योजना से किसानों को दिन में भी सस्ती बिजली उपलब्ध कराई जा सकेगी। किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण में भी योजना कारगर साबित होगी।

सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना क्या है?

पत्रकार वार्ता में बताया गया कि सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना में ग्रिड से जुड़े हुए कृषि पम्पों को सौर ऊर्जा से बिजली देने के लिए फीडर पर सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना प्रस्तावित है। प्रधानमंत्री कुसुम योजना के विस्तार का शासन द्वारा निर्णय लिया गया है। यहाँ पर सिंचाई सुविधाओं के लिए लगभग 8000 पृथक कृषि फीडर्स स्थापित किये गए हैं, जिन पर लगभग 35 लाख कृषि पम्प हैं। इन पृथक कृषि फीडर्स एवं मिश्रित फीडर्स भी जिन पर कृषि पम्प हैं को शीघ्र सौर ऊर्जा से बिजली देने के लिए फीडर पर सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जाएगी।

क्या है योजना कि उद्देश्य

सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना का उद्देश्य कृषि लोड का दिन में प्रबंध कर किसान को सिंचाई के लिये दिन में बिजली उपलब्ध कराना है। इससे किसानों की जीवन शैली को व्यवस्थित किया जा सकेगा। योजना से सीधे 11 किलो वोल्ट साइड पर बिजली देने से सब-स्टेशन के सभी फीडरों को दिन में एक साथ बिजली दी जा सकेगी। इस व्यवस्था के लिए विद्युत सब-स्टेशन के सुधार/नए ट्रांसफार्मर पर होने वाले तात्कालिक खर्चे कम हो सकेंगे।

साथ ही योजना से म.प्र.पॉवर मेनेज़मेंट कंपनी लिमिटेड को कम दर पर विद्युत उपलब्ध करवाना है ताकि कृषि क्षेत्र में विद्युत सब्सिडी का भार कम हो सके। साथ ही सीधे विद्युत खपत स्थल पर ऊर्जा प्रदाय कर पारेषण हानि को कम करना, 33/11 किलो वोल्ट विद्युत वितरण उप-केन्द्रों पर स्थापित पावर ट्रांसफार्मर पर ओवर- लोडिंग. लो-वोल्टेज एवं पावर कट की समस्या कम करना, रिएक्टिव पॉवर के उपयोग से ग्रिड स्टेबिलिटी का प्रबंधन करना है।

सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना के मुख्य बिंदु

योजना के अंतर्गत विद्युत् सब-स्टेशंस की 100 प्रतिशत क्षमता तक की सौर परियोजनाओं की स्थापना की जा सकेगी। वोकल फॉर लोकल के अंतर्गत स्थानीय उद्यमियों के लिए निवेश एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। शासन के साथ 25 वर्षों तक विद्युत् क्रय अनुबंध किया जाएगा। वर्तमान में 1900 से अधिक सब-स्टेशंस पर 14500 मेगावाट क्षमता परियोजनाओं के चयन हेतु उपलब्ध हैं।

परियोजनाओं को एग्रीकल्चर इन्फ्रा फंड से 7 वर्षों तक 3 प्रतिशत ब्याज में छूट का प्रावधान है। परियोजनाओं की स्थापना उचित ढंग से हो सके, परियोजनाओं को सरलता से ऋण प्राप्त हो सके, स्थापना के बाद परियोजनाएं बेहतर से ढंग से संचालित हों ताकि अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके इसके लिये शासन ने बैंकों, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ एमओयू किये हैं। विगत 4 से 8 जून के दौरान जीआईज़ेड के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम किया गया जिसमें 100 से अधिक विकासकों एवं संयंत्र स्थापना कर्ता ईकाईयों ने भाग लिया।

कृषि पंपों को सौर ऊर्जा से मिलेगी बिजली

सरकार के मुताबिक अब तक 80 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं स्थापित की जा चुकी हैं, जिससे 16000 से अधिक कृषि पम्पों को सौर उर्जा से बिजली देने का काम हो चुका है। 240 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं के विद्युत क्रय अनुबंध होकर स्थापनाधीन हैं एवं 200 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं प्रक्रियाधीन हैं। इस प्रकार इन 520 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं की स्थापना से एक लाख से अधिक कृषि पम्पों को सौर उर्जा से बिजली दी जाएगी।

पीएम कुसुम योजनान्तर्गत 3.45 लाख पम्प का लक्ष्य प्राप्त है। शेष 2.45 लाख पम्प के सोलाराईज़ेशन सहित “सूर्य-मित्र कृषि फीडर” के अंतर्गत परियोजनाओं के विकासकों के चयन हेतु म.प्र. ऊर्जा विकास निगम द्वारा निविदा जारी की गयी है। इसमें पीएम-कुसुम योजनान्तर्गत 1200 मेगावाट क्षमता तक की सौर परियोजनाओं को अनुदान प्राप्त करने का विकल्प होगा। वोकल फॉर लोकल के अंतर्गत स्थानीय उद्यमियों के लिए निवेश एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।

मक्का खरीद के लिए की जाएगी क्रय केंद्रों की स्थापना, जल्द जारी होगा MSP: मुख्यमंत्री

आज के समय में किसान साल में तीन फसलें लेने लगे हैं, जिसमें गर्मी में मक्के की खेती कर किसान ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 8 जून के दिन जनता महाविद्यालय, अजीतमल, जनपद औरैया में विकसित कृषि संकल्प अभियान में हिस्सा लिया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मक्का किसान सम्मेलन में किसानों से संवाद किया साथ ही प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने किसानों को बीज मिनी किट तथा विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को प्रतीकात्मक चेक, प्रमाण पत्र तथा स्वीकृति पत्र आदि प्रदान किए। इसके पहले उन्होंने कृषि उत्पादों पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन तथा बच्चों का अन्नप्राशन किया। उन्होंने जनता इंटर कॉलेज परिसर में एक पेड़ माँ के नाम कार्यक्रम के तहत पौधरोपण भी किया।

मक्के की खेती से किसान कमा रहे हैं मुनाफा

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जनपद औरैया के किसानों की सक्सेस स्टोरी को सुना और किसानों की मेहनत को खेतों में मक्के रूप में लहलहाते हुए देखा। उन्होंने कहा कि पहले प्रदेश का किसान एक या दो फसलों तक सीमित रह जाता था। आज उसी प्रदेश में दो फसलों के अतिरिक्त तीसरी फसल मक्का का उत्पादन कर किसान मुनाफा कमा रहे हैं। उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि बहुत ही शीघ्र मक्का के क्रय केंद्र स्थापित कर MSP की घोषणा की जाएगी।

मक्के की फसल से किसान कर रहे हैं लाखों रुपए की कमाई

उन्होंने कहा कि मक्का किसानों की कैश क्रॉप है। एक किसान प्रति हेक्टेयर ढाई लाख रुपए की आमदनी कर रहा है। प्रति एकड़ किसानों को एक लाख रुपये की आमदनी प्राप्त हो रही है। किसान अब तीन-तीन फसलें बो सकता है। मक्के के बाद आलू, आलू के बाद धान की खेती की जा सकती है। यही कौशल है। उन्होंने कहा कि मक्का एक पौष्टिक आहार है। इसके अंतर्गत स्वीट कॉर्न तथा बेबी कॉर्न आदि सम्मिलित है। मक्का से बायो फ्यूल तथा बायो प्लास्टिक भी बनाई जा सकती है।

1 लाख किसानों को दिए गए सोलर पम्प

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में अन्नदाता किसानों को राहत देते हुए 15 लाख निजी ट्यूबवेलों को निःशुल्क बिजली उपलब्ध करायी गई है। प्रदेश सरकार द्वारा यह खर्च स्वयं उठाते हुए बिजली विभाग को 2,700 करोड़ रुपए की धनराशि का भुगतान किया गया है। अब तक 1 लाख से अधिक किसानों को पीएम कुसुम योजना के माध्यम से सोलर पैनल उपलब्ध कराए जा चुके हैं।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में 86 लाख किसानों का 36 हजार करोड़ रुपए का कर्जमाफी कार्यक्रम आगे बढ़ाया गया। कर्ज माफी के बाद प्रदेश में सिंचाई की क्षमता में वृद्धि के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का सहारा लिया गया। सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना, अर्जुन सहायक परियोजना तथा बाण सागर परियोजना आदि के माध्यम से अब तक 23 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करायी गई है।

ड्रैगन फ्रूट की खेती से किसानों को मिलता है 6 से 7 लाख रुपए का मुनाफा: केंद्रीय कृषि मंत्री

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 8 मई के दिन भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु में “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के अंतर्गत किसानों से संवाद किया। 15 दिवसीय इस अभियान की शुरुआत 29 मई को ओडिशा से हुई थी, जो 12 जून तक चलेगा। अब-तक 11 दिनों में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विभिन्न राज्यों जिसमें ओडिशा के साथ-साथ जम्मू, हरियाणा, उत्तर-प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तराखंड व मध्य प्रदेश शामिल हैं, का दौरा कर लाखों किसानों से संवाद किया है।

इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि बेंगुलरु के भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान में आकर गर्व महसूस हो रहा है। शोध के क्षेत्र में वैज्ञानिकों के प्रयास सराहनीय हैं। बेंगुलरु ग्रामीण और आस-पास के क्षेत्रों में बागवानी में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। किसानों ने स्वयं भी कई प्रकार के शोध व प्रयोग करके कृषि नवाचार में नए अध्याय जोड़े हैं।

कृषि मंत्री ने देखी ड्रैगन फ्रूट और टमाटर की खेती

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि आज मैंने ड्रैगन फ्रूट (कमलम) की खेती देखी। इस अवसर पर ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसानों ने अपने अनुभव साझा किए। कृषि मंत्री ने कहा कि ‘कमलम’ की खेती में पहले दो वर्ष तक उतना फायदा नहीं होता, लेकिन तीसरे साल के बाद 6 से 7 लाख रुपये का मुनाफा कमाया जा सकता हैं। टमाटर के खेतों का भी भ्रमण किया मुझे किसान भाइयों ने ही बताया, कई बार कीमतों में उतार-चढ़ाव के बाद भी 3 से 4 लाख रुपये प्रति एकड़ कमाया जा सकता है।

किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए शुरू की गई योजना

इस अवसर पर कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों की समृद्धि के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। किसान सीधे अपनी उपज बेच सके, बिचौलियों की भूमिका कम हो इन्हीं सब पहलुओं को देखते हुए “बाजार हस्तक्षेप योजना” (MIS) बनाई गई है। आलू, प्याज और टमाटर इन तीन फसलों के लिए यदि कोई किसान कम कीमत के कारण अपने क्षेत्र की जगह बड़े शहरों या ऐसे राज्यों जहां उनकी उपज की कीमत अधिक है, वहां ले जाकर अपनी फसल को बेचना चाहे तो ऐसी स्थिति में परिवहन में होने वाली परिचालन लागत का खर्चा केंद्र सरकार द्वारा उठाया जाएगा। ऐसा तालमेल करने से किसानों को भी उचित दाम मिल जाएगा और जिस क्षेत्र में दाम अधिक है वहां उत्पादन पहुंचने से दाम भी संतुलित हो जाएंगे। अगर भंडारण को लेकर भी सहायता की आवश्यकता होगी तो केंद्र द्वारा आर्थिक मदद दी जाएगी।

इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए शुरू किया गया अभियान

कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने चार लक्ष्यों की पूर्ति के लिए विकसित कृषि संकल्प अभियान की शुरुआत की है। इसमें 145 करोड़ आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराना, पोषण युक्त आहार उपलब्ध कराना, किसानों के लिए कृषि क्षेत्र को लाभ में बदलने के लिए एवं मिट्टी की उर्वरक क्षमता को सुरक्षित रखना शामिल है। इसके अंर्तगत ‘लैब को लैंड’ से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। वैज्ञानिक गांव-गांव जाकर वहां कि क्षेत्र विशेष की जानकारियों के आधार पर, मिट्टी की उर्वरकता की आवश्यकतानुसार, जलवायु व अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए किसानों को सही किस्मों व पद्धति के जरिए कृषि में उत्पादन बढ़ाने की जानकारी दे रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नकली बीजों, उर्वरकों, कीटनाशकों के प्रति भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि गुणवत्ताहीन बीज या कीटनाशक बनाने वालों के प्रति सरकार सख्ती से पेश आएगी। कानून बनाया जा रहा है। ऐसे कृत्य में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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