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मंगलवार, फ़रवरी 18, 2025
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सरकार ने पीएम-आशा योजना को दी मंजूरी, अब किसानों से समर्थन मूल्य पर इन फसलों की होगी 100 प्रतिशत खरीद

केंद्र सरकार ने किसान हित में बड़ा निर्णय लेते हुए एकीकृत प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान यानि की पीएम-आशा योजना को 15वें वित्त आयोग चक्र के दौरान 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दे दी है। पीएम आशा योजना किसानों की फसलों के खरीद कार्यों को प्रभावशील बनाने के लिए चलाई जा रही है जिससे न केवल किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य प्रदान करने में मदद करती है बल्कि उपभोक्ताओं के लिए सस्ती कीमतों पर उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करके आवश्यक वस्तुओं की कीमत में अस्थिरता को भी नियंत्रित करती है।

पीएम आशा योजना की मूल्य समर्थन योजना के तहत, निर्धारित उचित औसत गुणवत्ता (FAQ) के अनुरूप अधिसूचित दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद केंद्रीय नोडल एजेंसियों (CNA) द्वारा राज्य स्तरीय एजेंसियों के माध्यम से पूर्व-पंजीकृत किसानों से सीधे MSP पर की जाती है।

इन फसलों की होगी शत प्रतिशत खरीद

किसानों को दलहन फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने और आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए राज्य के उत्पादन के 100% के बराबर तुअर, उड़द और मसूर की खरीद की अनुमति दी है। सरकार ने बजट 2025 में यह भी घोषणा की है कि देश में दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए राज्य के उत्पादन का 100% तक तुअर (अरहर), उड़द और मसूर की खरीद केंद्रीय नोडल एजेंसियों के माध्यम से अगले चार वर्षों तक जारी रखी जाएगी।

इन राज्यों से 13.22 लाख मीट्रिक टन तुअर खरीदेगी सरकार

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खरीफ 2024-25 सीजन के लिए मूल्य समर्थन योजना के तहत आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में तुअर (अरहर) की कुल मात्रा 13.22 एलएमटी की खरीद को मंजूरी दे दी है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना में खरीद पहले ही शुरू हो चुकी है और 15 फ़रवरी 2025 तक इन राज्यों में कुल 0.15 एलएमटी तुअर (अरहर) की खरीद की गई है, जिससे इन राज्यों के 12,006 किसानों को लाभ हुआ है। अन्य राज्यों में भी तुअर (अरहर) की खरीद जल्द ही शुरू होगी। भारत सरकार केंद्रीय नोडल एजेंसियों अर्थात् NAFED और NCCF के माध्यम से किसानों द्वारा उत्पादित 100% तुअर खरीदी जाएगी।

पूसा कृषि मेले की तारीख़ों में किया गया परिवर्तन, अब इस दिन से आयोजित होगा पूसा कृषि विज्ञान मेला 2025

देश में किसानों को खेती-किसानी की नई तकनीकों की जानकारी उपलब्ध कराने के साथ ही उन्हें उन्नत क़िस्मों के बीज एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हर साल “भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) द्वारा कृषि विज्ञान मेले का आयोजन किया जाता है। पहले यह किसान मेला 24 से 26 फरवरी के दौरान आयोजित किया जाना था लेकिन अब इसकी तारीखों में परिवर्तन कर दिया गया है। अब पूसा कृषि विज्ञान मेले का आयोजन 22 से 24 फरवरी के दौरान किया जाएगा।

संस्थान द्वारा आयोजित किया जाने वाला पूसा कृषि विज्ञान मेला इस वर्ष फरवरी 22 से 24, 2025 के दौरान संस्थान के मेला ग्राउंड में आयोजित किया जाएगा। इस वर्ष मेले की थीम उन्नत कृषि – विकसित भारत रखी गई है। इस मेले में प्रतिवर्ष देश के विभिन्न भागों से 1 लाख से अधिक किसान, उद्यमी, राज्यों के अधिकारीगण, छात्र एवं अन्य उपयोक्ता भाग लेते हैं। मेले के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान रहेंगे।

इस वर्ष पूसा कृषि विज्ञान मेले में यह रहेगा ख़ास

कृषि मेले में इस बार भी हर बार की तरह नवीनतम कृषि प्रौद्योगिकियों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी जिसे देखकर किसान नई तकनीकें सीख सकेंगे। साथ ही मेले में संस्थान द्वारा विकसित नई उन्नत किस्मों का विक्रय किया जाएगा। इसके अलावा मेले में देशभर के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया जाएगा। मेले के मुख्य आकर्षण इस प्रकार हैं:-

  • पूसा संस्थान द्वारा विकसित नई क़िस्मों और तकनीकों का जीवंत प्रदर्शन।
  • भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों, एफपीओ, उद्यमियों, स्टार्ट-अप्स, सार्वजनिक और निजी कंपनियों द्वारा नवीनतम तकनीकों, उत्पादों और सेवाओं की प्रदर्शनी।
  • तकनीकी सत्र और किसानों-वैज्ञानिकों के साथ संवाद, जो जलवायु अनुकूल कृषि, फसल विविधीकरण, डिजिटल कृषि। युवाओं और महिलाओं का उद्यमिता विकास, कृषि विपणन, किसान संगठन और स्टार्ट-अप्स, तथा किसानों के नवाचार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर आधारित होंगे।
  • पूसा के द्वारा विकसित फसलों की किस्मों की बिक्री।
  • मेले के दौरान कृषि वैज्ञानिकों द्वारा कृषि सलाह।
  • कृषि योजनाओं की जानकारी।

पूसा कृषि विज्ञान मेला कहाँ आयोजित किया जाएगा?

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) पूसा, नई दिल्ली द्वारा साल में एक बार कृषि विज्ञान मेले का आयोजन किया जाता है, जिसकी राह किसान बेसब्री से देखते हैं। इस बार भी यह कृषि मेला 22, 23 और 24 फ़रवरी 2025 के दौरान 3 दिनों के लिए लगाया जाएगा। मेले का आयोजन मेला ग्राउंड, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली में किया जाएगा। जिसमें देशभर के किसान हिस्सा ले सकते हैं। मेले की अधिक जानकारी के लिए किसान 011-25841039, 1800118989 पर या संस्थान की मेल आईडी [email protected] पर संपर्क कर सकते हैं। वहीं कृषि विज्ञान मेले से संबंधित विस्तृत जानकारी iari.res.in पर भी देखी जा सकती है।

बाजरा अनुसंधान संस्थान से किसानों को मिलेगा उन्नत किस्मों और नई तकनीकों का लाभ: कृषि राज्य मंत्री

देश में मोटा अनाज यानि की श्री अन्न की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं, इस कड़ी में राजस्थान के बाड़मेर में बाजरा अनुसंधान संस्थान केंद्र की स्थापना की गई है। अनुसंधान संस्थान की स्थापना के एक वर्ष पूरे होने पर श्री अन्न किसान मेले का आयोजन किया गया। मेले में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने मेले का भ्रमण कर निर्माणाधीन संस्थान भवन का निरीक्षण किया और किसानों से संवाद किया।

केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मोटे अनाज (श्री अन्न) को बढ़ावा देने के लिए कई अहम कदम उठाए गए हैं। 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाकर इसे वैश्विक पहचान दिलाई और बाजरे को श्री अन्न का सम्मानजनक नाम प्रदान किया।

किसानों को मिलेगा उन्नत किस्मों और नई तकनीकों का लाभ

कृषि राज्य मंत्री ने कहा कि राजस्थान प्रदेश में विशेष रूप से पश्चिमी राजस्थान देश में बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र है। बाड़मेर जिले में बाजरे की खेती और खपत सबसे अधिक होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बाड़मेर में क्षेत्रीय बाजरा अनुसंधान संस्थान की सौगात दी, जिससे यहां के स्थानीय किसानों को उन्नत किस्मों, नई कृषि तकनीकों और बाजार केंद्रित रणनीतियों का लाभ मिलेगा।

श्री अन्न से सेहत और आय में होगा सुधार

केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री ने कहा कि बाजरा और अन्य मोटे अनाज सेहत के लिए बेहद लाभकारी हैं। ये न केवल इम्यूनिटी बढ़ाते हैं बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करेंगे। अनुसंधान संस्थान में बाजरे की नई उन्नत किस्मों के विकास, खाद्य उत्पादों की विविधता और बेहतर विपणन रणनीतियों पर काम किया जाएगा।

किसानों को तुरंत यूरिया और डीएपी खाद उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश

देश में कई स्थानों पर रबी फसलों की बुआई के समय डीएपी खाद की कमी की खबरें आ रही थी जिसके बाद अब हरियाणा में कई जगहों पर किसानों को यूरिया खाद नहीं मिल पा रहा है। जिसको देखते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा की प्रदेश सरकार किसानों की फ़सलों के लिए किसी भी क़ीमत पर खाद की कमी नहीं रहने देगी। आवश्यकता अनुसार पूरे प्रदेश के किसानों को खाद उपलब्ध करवाई जा रही है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश भर की सभी पैक्स में तुरंत यूरिया उपलब्ध करवाया जाए।

दरअसल मुख्यमंत्री ने मीडिया में यूरिया और डीएपी की किल्लत से सम्बंधित ख़बरों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश में सभी जिलों में पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध करवाई जाए ताकि फसलों की पैदावार में प्रभाव न पड़े।

पैक्स में उपलब्ध कराए यूरिया और डीएपी खाद

मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन करते हुए विभागीय अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है। किसानों की अधिक जरूरत के अनुसार भी सभी पैक्स में यूरिया और डीएपी खाद उपलब्ध करवाई जा रही है। इसके अतिरिक्त इफको व कृभको प्रबंधकों को भी सभी पैक्सों में मांग के अनुसार यूरिया खाद उपलब्ध करवाने बारे निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि उनके लिए किसान हित सर्वोपरि हैं, उनको खाद -बीज से लेकर फसलों के उचित भाव दिलाने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है।

किसानों को अब यहां से भी किराए पर मिलेंगे कृषि यंत्र, ट्रैक्टर और हार्वेस्टर उपलब्ध कराने के लिए विशेष योजना लागू: मुख्यमंत्री

ज्यादा से ज़्यादा किसानों को ट्रैक्टर, हार्वेस्टर सहित अन्य कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में हरियाणा के हिसार के उत्तरी क्षेत्र फार्म मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान में एग्री इंडिया एग्जिबिशन, करनाल द्वारा तीन दिवसीय कृषि दर्शन प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। 15 फ़रवरी के दिन राज्य के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा एग्री इंडिया एग्जिबिशन का शुभारंभ किया गया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री नायब सिंह ने कहा कि अब से कृषि ट्रैक्टरों के सीएमवीआर (केंद्रीय मोटर वाहन नियम) के प्रमाणीकरण का सर्टिफिकेट अब से हिसार के उत्तरी क्षेत्र फार्म मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान से मिलना शुरू हो जायेगा। जिससे उत्तर भारत में कृषि जगत से जुड़े निर्माताओं को सीधा लाभ मिलेगा।

किसानों को किराए पर मिलेंगे कृषि यंत्र

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संस्थान में अब से कस्टम हायरिंग सेंटर का शुभारंभ भी होने जा रहा है जहाँ से छोटे और सीमांत किसानों के लिए रोटावेटर, सुपर सीडर, लैंड लेवेलर, हल, ट्राली जैसी कृषि मशीनरी को किराए पर लिया जा सकेगा। ताकि किसान अपने खेत में उसका उपयोग कर पैदावार बढ़ा सके। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी हरियाणा सरकार के कृषि मशीनरीकरण अभियान को नई गति देने तथा किसानों को उन्नत कृषि की नई तकनीकों की जानकारी देने में सहायक सिद्ध होगी।

किसानों के लिए बनायें नए कृषि यंत्र

मुख्यमंत्री ने कृषि यंत्र निर्माताओं से आग्रह करते हुए कहा कि किसानों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कृषि में इस्तेमाल होने वाले कुछ ऐसे उपकरण विकसित करें जो उनके लिए किफायती हो। इसके लिए इनोवेशन की महत्ता पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कार्य कृषि के इंजीनियर और मैन्युफैक्चरर्स मिलकर कर सकते हैं।

किसान खेती में करें नई तकनीकों का उपयोग

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज नई तकनीकों के माध्यम से किसान न केवल अपनी उपज बढ़ा सकते हैं बल्कि लागत भी कम कर सकते हैं। किसान ड्रोन तकनीक, सेंसर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर सकते हैं। ड्रोन से खेतों की निगरानी करना, फसलों में खाद और कीटनाशकों का छिड़काव करना पहले से अधिक आसान हो गया है। सेंसर के माध्यम से मिट्टी की नमी, तापमान और पोषक तत्वों का स्तर मापा जा सकता है, जिससे किसान जरूरत के अनुसार सिंचाई और खाद डाल सकते हैं। इससे जल और उर्वरकों की बचत होगी और उत्पादन भी बढ़ेगा।

उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि खेती में नई तकनीक, उन्नत बीजों, जैविक खेती को प्राथमिकता देते हुए केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ उठाएं। जिस प्रकार से पानी का लेवल नीचे जा रहा है इसे ध्यान में रखते हुए किसान जल संरक्षण पर भी ध्यान दें। उन्होंने कहा कि किसान ज्यादा से ज्यादा स्प्रिंकलर और ड्रिप इरीगेशन की तरफ बढ़ने का काम करें राज्य सरकार द्वारा ऐसी योजनाओं पर 70 से 80 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है।

किसानों को ट्रैक्टर और हार्वेस्टर उपलब्ध कराने के लिए विशेष योजना

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार किसानों को ट्रैक्टर, हार्वेस्टर और अन्य कृषि उपकरण उपलब्ध कराने के लिए विशेष योजनाएं लागू कर रही है। छोटे किसानों के लिए मशीनरी को किराये पर उपलब्ध कराने की योजना भी बनाई जा रही है ताकि कम से कम लागत में अधिक उत्पादन हो सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पराली प्रबंधन पर विशेष ध्यान दे रही है। इसके लिए किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन उपकरणों के लिए लगभग 1213 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई है।

गर्मियों की सब्जियों की बुआई के लिए यह है सही समय, किसान इस तरह करें बुआई

गर्मी के सीजन में किसान सब्जियों की खेती करके अतिरिक्त आमदनी कर अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं। ऐसे में जो किसान इस सीजन में सब्जियां लगाना चाहते हैं वे किसान अभी सब्जियों की बुआई कर सकते हैं। मध्य प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना ने कहा है कि ग्रीष्मकालीन सब्जियों की पौध की तैयारी व बुवाई का यह उपयुक्त समय चल रहा है। बुवाई 15 फरवरी से 15 मार्च तक कर सकते हैं। ग्रीष्मकालीन सब्जियों लौकी, कद्दू, करेला, तोरई, खीरा, टिण्डा, भिंडी, तरबूज और खरबूज की बुवाई का यह उपयुक्त समय है।

किसान इस तरह करें सब्जियों की बुआई का काम

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार बेल वाली सब्जियों के लिए बलुई दोमट मिट्टी, जिसका पीएच मान 6 से 7.5 के मध्य हो उपयुक्त होती है। किसान मिट्टी की जांच रिपोर्ट के आधार पर गोबर की खाद या कम्पोस्ट अथवा रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करें। बुवाई के लिए नालियां या जमीन से उठी हुई क्यारियां तैयार कर लें। खेत में नालियां लगभग 40-50 सेंटीमीटर चौड़ी और 30-40 सेंटीमीटर गहरी बनाएं। दो कतारों में 2 से 4 मीटर की दूरी रखें।

बीज दर खीरा के लिए 2 से 2.5 किलोग्राम, लौकी के लिए 4 से 5 किलोग्राम, करेला के लिए 5 से 6 किलोग्राम, तोरई के लिए 4.5 से 5 किलोग्राम, कद्दू के लिए 3 से 4 किलोग्राम, टिण्डा के लिए 5 से 6 किलोग्राम, तरबूज के लिए 4 से 4.5 किलोग्राम और खरबूज की बीज दर 2.5 किलोग्राम रखें। रोपाई से पूर्व सब्जियों के बीजों को फफूंदनाशक दवा काबेंडाजिम + मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचार करें।

ज्यादातर बेल वाली सब्जियों में खेत की तैयारी के समय 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए। नाइट्रोजन 80 किलोग्राम, फॉस्फोरस 50 किलोग्राम, पोटाश 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें।

ग्रीष्मकालीन भिंडी की खेती

जो किसान गर्मी के सीजन में भिंडी लगाना चाहते वे फ़रवरी से मार्च के दौरान इसकी बुआई कर सकते हैं। किसान भिंडी की खेती के लिए उन्नत किस्में जैसे परभनी क्रांति, अर्का अभय, वीआरओ-5, वीआरओ-6, अर्का अनामिका आदि क़िस्मों का चयन कर सकते हैं। पीला मोजेक रोग से बचाव के लिए बीज को बुवाई से पूर्व थायोमिथाक्जाम 30 एफएस मात्रा 10 मिली लीटर या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस मात्रा 1.25 मिली लीटर प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।

बुवाई के लिए बीज दर 20 से 22 किग्रा रखें एवं कतार से कतार की दूरी 25-30 सेंटीमीटर, पौध से पौध की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर एवं बीज की गहराई 2 से 3 सेंटीमीटर से अधिक न रखें। खेत में भिण्डी की बुवाई से पूर्व 2 से 2.5 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में मिलाएं एवं रसायनिक उर्वरक में नाइट्रोजन 60 किलोग्राम, स्फुर 30 किलोग्राम एवं पोटाश 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें।

भोरमदेव शक्कर कारखाने द्वारा गन्ना किसानों को किया गया 44.99 करोड़ रुपये का भुगतान

देश की विभिन्न चीनी मिलों द्वारा अभी गन्ना पेराई का काम किया जा रहा है। इस क्रम में किसानों द्वारा चीनी मिलों को गन्ने की आपूर्ति की जा रही है। ऐसे में किसानों को समय पर भुगतान किया जा सके इसके लिए सरकार द्वारा चीनी मिलों को निर्देश दिए गए हैं। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार के निर्देश पर भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना मर्यादित, कवर्धा ने पेराई सत्र 2024-25 के अंतर्गत अब तक गन्ना किसानों को कुल 44 करोड़ 99 लाख रुपये का भुगतान किया है।

भोरमदेव चीनी मिल प्रबंधन ने गन्ना उत्पादक किसानों से अपील की है कि वे परिपक्व, साफ-सुथरा, बिना अगवा और बिना जड़ वाला गन्ना आपूर्ति करें। इससे शक्कर की रिकवरी दर में वृद्धि होगी, जिससे किसानों को बेहतर लाभ मिलेगा।

किसानों को अब तक किया गया 1210 करोड़ रुपये का भुगतान 

अपनी स्थापना से अब तक भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना गन्ना किसानों को समर्थन मूल्य, रिकवरी और बोनस मिलाकर लगभग 1210 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है, जिससे क्षेत्र के किसानों की आर्थिक और सामाजिक उन्नति को नई दिशा मिली है। कारखाना प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य किसानों के हितों को प्राथमिकता देना और उनके आर्थिक सशक्तिकरण को सुनिश्चित करना है। समय पर भुगतान मिलने से किसानों का कारखाने और शासन-प्रशासन पर विश्वास लगातार बढ़ रहा है।

किसान सीधे कारखाने में करें गन्ने की आपूर्ति

वर्तमान पेराई सत्र 2024-25 में, कारखाने ने अब तक 2.72 लाख मीट्रिक टन गन्ने की पेराई कर 2.48 लाख क्विंटल शक्कर का उत्पादन किया है। इस उपलब्धि का श्रेय गन्ना उत्पादक किसानों के सहयोग, उनकी मेहनत और कारखाना प्रबंधन के कुशल संचालन को जाता है। कारखाना प्रबंधन ने गन्ना किसानों से अपील की है कि वे अपने गन्ने की आपूर्ति सीधे शक्कर कारखाने में करें, ताकि उन्हें समय पर उचित मूल्य प्राप्त हो सके।

सस्पेंस खत्म: किसानों को इस दिन जारी की जाएगी पीएम किसान योजना की 19वीं किस्त

देश भर के किसानों के लिए खुशखबरी है, सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PMKisan) की अगली किस्त यानि 19वीं किस्त किसानों को जारी करने के लिए तारीख का ऐलान कर दिया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 19वीं किस्त का हस्तांतरण किसानों को 24 फरवरी 2025 के दिन किया जाएगा। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के भागलपुर जिले से एक कार्यक्रम में देश के किसानों को पीएम किसान योजना की किस्त जारी करेंगे। इस दिन देश के करोड़ों किसानों को 2000 रुपये की किस्त मिलेगी।

24 फ़रवरी को प्रधानमंत्री मोदी पीएम किसान योजना के अंतर्गत देश के 9.7 करोड़ किसानों को 21,000 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि जारी करेंगे। साथ ही प्रधानमंत्री इस दिन बिहार एवं देश के किसानों के लिए कई अन्य योजनाओं की घोषणा भी कर सकते हैं। पीएम किसान योजना की अगली किस्त का अग्रिम लाभ उठाने के लिए किसान eKYC का काम जरूर करवा लें।

अक्टूबर में दी गई थी किसानों को 18वीं किस्त

इससे पहले किसानों को 18वीं किस्त का वितरण 5 अक्टूबर 2024 के दिन किया गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र के वाशिम में आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम किसान योजना की 18वीं किस्त के तहत लगभग 9 करोड़ 41 लाख किसानों के बैंक खातों में 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि जारी की थी। इसके बाद किसानों को अब 24 फ़रवरी के दिन 9.7 करोड़ किसानों को 19वीं किस्त जारी की जाएगी।

किसानों को अब तक जारी किए गए 3.46 लाख रुपये की राशि

24 फरवरी 2019 को लॉन्च की गई पीएम-किसान योजना के तहत 2000 रुपये की तीन बराबर किस्तों में भूमिधारक किसानों को सालाना 6,000 रुपये प्रदान किए जाते हैं। प्रधानमंत्री ने 5 अक्टूबर को पीएम-किसान योजना की 18वीं किस्त जारी की थी। योजना के तहत अब तक किसानों को 3.46 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित की गई है। इस योजना का उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को खेती की लागत पूरी करने और उनकी आय बढ़ाने में मदद करना है। यह योजना किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है, जिससे वे कृषि के क्षेत्र में अधिक उत्पादक और आत्मनिर्भर बन सकें। जिन किसानों को अब तक सभी 18 किस्तें मिली है उन किसानों को योजना के तहत अभी तक कुल 36,000 रुपये की राशि मिल चुकी है।

सब्सिडी पर यह कृषि यंत्र लेने के लिए किसान 18 फरवरी तक करें आवेदन

देश में अधिक से अधिक किसान कृषि यंत्रों का उपयोग कर खेती-किसानी के कामों को आसान बनाने के साथ ही अपनी आमदनी बढ़ा सकें इसके लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जाता है। इसके लिए अलग-अलग राज्य सरकारों के द्वारा किसानों से समय-समय पर आवेदन मांगे जाते हैं, जिसके बाद चयनित किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है।

इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में किसानों से विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान उपलब्ध कराने के लिए आवेदन मांगे गए हैं। किसान इन यंत्रों को सब्सिडी पर प्राप्त करने के लिए 18 फरवरी 2025 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। जिसके बाद 19 फरवरी 2025 दिन लॉटरी के माध्यम से किसानों का चयन किया जाएगा। विभिन्न कृषि यंत्रों पर अनुदान का लाभ प्राप्त करने के लिए किसानों को बैंक से डिमांड ड्राफ्ट बनवाकर आवेदन करना होगा। जिसकी जानकारी नीचे दी गई है।

इन कृषि यंत्रों पर अनुदान के लिए किसान कर सकते हैं आवेदन

कृषि अभियांत्रिकी विभाग, मध्य प्रदेश द्वारा विभिन्न कृषि यंत्रों पर अनुदान उपलब्ध कराने के लिए लक्ष्य जारी किए गए हैं। जो इस प्रकार है:

  1. पॉवर वीडर,
  2. पॉवर टिलर (8 HP से अधिक)
  3. पॉवर हैरो,
  4. श्रेडर/ मल्चर,
  5. स्ट्रॉ रीपर,
  6. रीपर (स्व-चलित/ ट्रैक्टर चलित)।

कृषि यंत्रों पर कितना अनुदान (Subsidy) मिलेगा?

प्रदेश में किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। जिसमें महिला तथा पुरुष वर्ग, जाति वर्ग एवं जोत श्रेणी के अनुसार किसानों को अलग-अलग सब्सिडी दिये जाने का प्रावधान है। इसमें किसानों को 40 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। किसान भाई जो भी कृषि यंत्र अनुदान पर लेना चाहते हैं वे किसान ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर उपलब्ध सब्सिडी कैलकुलेटर पर कृषि यंत्र की लागत के अनुसार उनको मिलने वाली सब्सिडी की जानकारी देख सकते हैं।

किसानों को देना होगा डिमांड ड्राफ्ट (डीडी)

योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को स्वयं के बैंक खाते से धरोहर राशि का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) सम्बंधित जिले के सहायक कृषि यंत्री (सूचि देखने के लिए क्लिक करें) के नाम से बनवाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसमें किसानों को पॉवर वीडर के लिए 3100/- रुपये का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी), पॉवर टिलर के लिए 5000/- रुपये का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी), पॉवर हैरो के लिए 3500/- रुपये का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी), श्रेडर/मल्चर के लिए 5500/- रुपये का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी), स्ट्रॉ रीपर के लिए 10,000/- रुपये का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी), रीपर के लिए 3300/- रुपये का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) बनवाना होगा।

योजना के तहत किसानों का चयन नहीं होने पर डिमांड ड्राफ्ट की राशि वापस कर दी जाएगी। धरोहर राशि (डीडी) के बिना आवेदन मान्य नहीं किया जायेगा। किसान यह डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) ऊपर दी गई कृषि यंत्री की सूची के नाम से बनवा सकते हैं जो अलग-अलग जिले के लिए अलग-अलग है।

आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज

ऊपर दिये गये सभी कृषि यंत्रों के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों के पास कुछ आवश्यक दस्तावेज होना आवश्यक है, जिनका इस्तेमाल आवेदन के समय एवं कृषि यंत्र लेने के बाद उसके सत्यापन के समय होगा। जो इस प्रकार है:-

  • आधार कार्ड,
  • मोबाइल नंबर (जिस पर OTP, एवं अन्य आवश्यक सूचना एसएमएस द्वारा भेजी जाएगी),
  • बैंक पासबुक के पहले पेज की छाया प्रति,
  • डिमांड ड्राफ्ट (डीडी),
  • खसरा/खतौनी, बी1 की नकल,
  • ट्रैक्टर चालित कृषि यंत्र के लिए ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन कार्ड।

अनुदान पर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन कहाँ करें?

मध्यप्रदेश में किसानों को सभी प्रकार के कृषि यंत्रों को अनुदान पर लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है। ऐसे में जो किसान ऊपर दिये गये कृषि यंत्रों पर अनुदान प्राप्त करना चाहते हैं वे किसान e-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। जो किसान पहले से पोर्टल पर पंजीकृत है वे आधार OTP के माध्यम से लॉगिन कर आवेदन प्रस्तुत कर सकते है।

वहीं वे किसान जिन्होंने ने अभी तक पोर्टल पर अपना पंजीकरण नहीं किया है उन किसानों को एमपी ऑनलाइन या सीएससी सेंटर पर जाकर बायोमैट्रिक आधार अथेन्टिकेशन के माध्यम से अपना पंजीकरण कराना होगा और इसके बाद किसान कृषि यंत्र के लिए आवेदन कर सकते हैं। योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए किसान अपने ब्लॉक या जिले के कृषि कार्यालय में संपर्क करें।

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किसान इस तरह एप से खुद ही करें खेतों में लगाई गई फसलों की गिरदावरी, मिलेंगे यह लाभ

देश में किसानों को बहुत सी सरकारी योजनाओं का लाभ फसलों की गिरदावरी के आधार दिया जाता है। फसलों की गिरदावरी का काम रबी, खरीफ एवं जायद सीजन में अलग-अलग फसलों के लिए किया जाता है। ऐसे में किसान आसानी से अपनी फसलों की गिरदावरी करा सकें इसके लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें राजस्थान सरकार ने किसानों को सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से किसानों को स्वयं द्वारा गिरदावरी करने के प्रावधान किया है।

जिसके तहत अब राज्य के किसान रबी फसलों की गिरदावरी स्वयं ही कर सकेंगे। प्रदेश में रबी फसलों की गिरदावरी का काम 1 जनवरी 2025 से शुरू कर दिया गया है। इसके लिए किसान अपने मोबाइल में गुगल प्ले स्टोर के माध्यम से “राज किसान गिरदावरी एप” डाउनलोड कर अपने जन आधार से लॉगिन कर ई-गिरदावरी कम खुद से ही कर सकते हैं।

किसानों को पटवारी पर नहीं रहना होगा निर्भर

राज्य सरकार की इस पहल से अब किसानों को पटवारी पर निर्भर नहीं रहना होगा और फसलों का सही आंकलन होकर गिरदावरी कार्य समय पर पूर्ण हो जाएगा। राज्य के सभी किसान राज किसान गिरदावरी एप का अधिक से अधिक उपयोग कर अपनी रबी फसल की गिरदावरी का काम खुद ही कर सकेंगे। वह किसान भी गिरदावरी का काम अवश्य करें जिन्होंने अपने खेतों में कोई फसल नहीं लगाई है। इसके लिए किसानों को गिरदावरी एप में निल फसल (कोई फसल नहीं है) को सलेक्ट करते हुए गिरदावरी सबमिट करना होगा।

फसल नुकसान होने पर मिलेगा मुआवजा

राज्य सरकार द्वारा किसानों के द्वारा अधिक से अधिक ई-गिरदावरी किये जाने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। सभी पटवारियों को ई-गिरदावरी करने हेतु किसानों को जागरूक करने के लिए निर्देशित किया गया है। किसान इस कार्य में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर अपने क्षेत्र के पटवारी से सम्पर्क कर गिरदावरी कार्य में सहायता ले सकते हैं। किसानों द्वारा ई-गिरदावरी स्वयं के स्तर पर करने से फसल नुकसान की वास्तविक स्थिति का आंकलन होने के साथ ही राज्य सरकार द्वारा भविष्य में यदि किसी प्रकार का मुआवजा दिया जाता है तो किसानों को उसका सम्पूर्ण लाभ मिल सकेगा।

किसान ऐसे करें एप से गिरदावरी

एप से गिरदावरी करने के लिए किसान को सबसे पहले संबंधित ग्राम के पटवारी को अपना जन आधार भिजवाकर जन आधार अपने खसरे के साथ सीडिंग करना होगा। जिसके बाद राज किसान गिरदावरी एप डाउनलोड करने पर अपने जनआधार से एप में लॉगिन कर सकते है। आधार से जुड़े मोबाइल नम्बर पर ओ.टी.पी. प्राप्त होगा, जिससे वेरिफाई होने के बाद ऐप लॉगिन हो जाएगा। उसके बाद फसल विवरण जोड़ें पर क्लिक करना होगा।

फिर ऊपर की साइड में जनाधार से जुड़े खसरे का ऑप्शन आयेगा, उस पर क्लिक कर अपना जिला सलेक्ट कर आगे बढ़ना होगा। जिसके पश्चात् अपने खेत का खसरा नम्बर प्रदर्शित होगा उस पर कैलिब्रेट पर क्लिक करना होगा। कैलिब्रेट करने बाद गिरदावरी सीजन एवं फसल सलेक्ट करते हुए खसरे का एरिया हेक्टेयर में अंकित करना होगा।

इसके बाद फसल सिंचित है या असिंचित एवं सिंचाई का स्रोत तथा फलदार पेड़ है तो उनकी संख्या आदि जानकारी अंकित करते हुए खेत-खसरे में जो फसल बो रखी है उसकी उच्च गुणवत्ता की फोटो अपलोड करनी होगी ताकि पटवारी स्तर की जांच में फसल की स्थिति स्पष्ट हो सके। उक्त प्रक्रिया के बाद प्रिंट प्रिव्यू का ऑप्शन दिखेगा, यहां क्लिक करने के बाद सबमिट का ऑप्शन रहेगा। सबमिट के ऑप्शन पर क्लिक करने पर काश्तकार द्वारा की गई गिरदावरी सबमिट होते हुए, पंजीकरण संख्या प्राप्त हो जाएगी।

गिरदावरी करते समय इन बातों का रखें ध्यान

एक खाते में एक से अधिक खातेदार होने की स्थति में किसी भी एक खातेदार द्वारा संपूर्ण खसरे की गिरदावरी करें। एक खसरे में एक से अधिक फसल है तो एक से अधिक फसल की गिरदावरी सबमिट करनी होगी। गिरदावरी करते समय फसल के साथ खुद की सेल्फी फोटो की आवश्यकता नहीं है। गिरदावरी सबमिट से पहले भली भांति देखलें की गिरदावरी से संबंधित समस्त विवरण सही है या नहीं। क्योंकि गिरदावरी एक बार सबमिट करने के बाद किसान उस गिरदावरी में किसी प्रकार का एडिट नहीं कर पायेंगे। किसी प्रकार के एडिट की आवश्यकता रहे तो पटवारी से सम्पर्क कर वांछित एडिट करवाया जा सकता है।

ई-गिरदावरी के फायदे 

किसानों द्वारा स्वयं गिरदावरी करने से गिरदावरी कार्य में पटवारी स्तर पर निर्भरता कम रहेगी एवं वास्तविक फसल की गिरदावरी करना सम्भव हो सकेगा। साथ ही फसल का अंकन समुचित रुप से हो पाएगा। इसके अलावा फसल नुकसान होने पर मुआवजा भी आसानी से मिल जाएगा। वहीं किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेचने के लिए पंजीयन में आसानी भी होगी।

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