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रविवार, नवम्बर 3, 2024
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गाय पालन करने वालों को अनुदान के साथ ही दिए जाएँगे क्रेडिट कार्ड, मुख्यमंत्री ने की घोषणा

देश में दीपावली के बाद 2 नवम्बर को गोवर्धन पूजा की गई। गोवर्धन पर्व पर गौ-वंश की पूजा की जाती है। इस कड़ी में मध्यप्रदेश में भी धूम-धाम से गोवर्धन पर्व मनाया गया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य में गौ-पालन को बढ़ावा देने के लिए कई घोषणाएँ की। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में गौ-पालन को बढ़ावा देकर किसानों और गौ-पालकों की आर्थिक सशक्तिकरण का कार्य किया जा रहा है। शहरों में कांजी हाऊस के स्थान पर गौ-वंश की देखभाल के लिए गौशालाएं प्रारंभ की जायेगी।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के 51 हजार से अधिक ग्रामों में दूध का उत्पादन बढ़ाते हुए इस क्षेत्र में मध्यप्रदेश को पूरे देश में प्रथम स्थान पर लाने का प्रयास है। इसके साथ ही अगली पशुगणना में प्रदेश को तीसरे स्थान से पहले स्थान पर लाने के के समस्त प्रयास भी किये जाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के 51 हजार से अधिक ग्रामों में दूध का उत्पादन बढ़ाते हुए इस क्षेत्र में मध्यप्रदेश को पूरे देश में प्रथम स्थान पर लाने का प्रयास है। इसके साथ ही अगली पशुगणना में प्रदेश पहले तीसरे स्थान से पहले स्थान पर लाने के समस्त प्रयास भी किये जाएंगे।

10 या अधिक गाय पालने के लिए मिलेगा अनुदान

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार गौ-पालन को प्रोत्साहित करने के लिए गौ-शाला को प्रति गाय 20 रुपये के स्थान पर 40 रुपये का अनुदान देने का निर्णय ले चुकी है। साथ ही जो पशुपालक 10 या उससे अधिक गायों का पालन करेंगे उन्हें भी विशेष अनुदान दिया जाएगा। देश में वर्तमान में देश के कुल दुग्ध उत्पादन का 9 प्रतिशत उत्पादन हो रहा है, जिसे 20 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। सभी गाँव में दुग्ध संघ के माध्यम से गतिविधियां बढ़ाई जाएंगी। प्रारंभ में 11 हजार गाँव में दुग्ध सहकारी समितियों के माध्यम से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि का प्रयास है। प्रदेश में इस वर्ष गौ-वंश रक्षा पर्व मनाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने गाय पालन और संरक्षण के लिए की यह घोषणाएँ

  1. गौ-शालाओं में होगी बूढ़ी और अपाहिज गायों की देखभाल, कांजी हाऊस में नहीं।
  2. 10 या अधिक गायें पालने वालों को मिलेगा अनुदान।
  3. गौ-शालाओं में प्रति गौ-वंश आहार अनुदान की राशि की जायेगी दोगुनी।
  4. गौवध के दोषियों को मिलेगी 7 वर्ष की सजा।
  5. गौ-वंश पालकों को दिये जाएंगे क्रेडिट कार्ड।
  6. अगली पशु गणना में प्रदेश को बनायेंगे नम्बर-वन।
  7. दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने मध्य प्रदेश सरकार और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के बीच एमओयू।
  8. दूग्ध उत्पादन का लक्ष्य 9 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक करेंगे।
  9. वर्ष 2024-25 में पशुधन संरक्षण और पशुपालन गतिविधियों के लिये 590 करोड़ रूपये का प्रावधान।
  10. बड़े शहरों की गौशालाओं में 5 हजार से 10 हजार तक गौवंश रखने की होगी व्यवस्था।

ड्रोन खरीदने के लिए मिलेंगे 8 लाख रुपये, सरकार ने नमो ड्रोन दीदी योजना को दी मंजूरी

खेती में ड्रोन के उपयोग को बढ़ाने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और महिला सशक्तिकरण के सरकार ने नमो ड्रोन दीदी योजना शुरू की है। केंद्र सरकार ने डीएवाई-एनआरएलएम के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) को ड्रोन उपलब्ध कराने के लिए 1261 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ केंद्रीय क्षेत्र की योजना ‘नमो ड्रोन दीदी’ को मंजूरी दे दी है। इस योजना के के तहत वित्त वर्ष 2024-25 से 2025-26 की अवधि के दौरान 14,500 चयनित महिला एसएचजी को अनुदान पर ड्रोन उपलब्ध कराये जाएंगे।

योजना का उद्देश्य कृषि में तरल उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग जैसे उद्देश्यों के लिए ड्रोन उपलब्ध कराना है जो किसानों को किराये पर ये सेवाएँ प्रदान करेंगी। कृषि और किसान कल्याण विभाग ने इस योजना के परिचालन दिशा-निर्देश जारी किए हैं और सभी हितधारकों से अनुरोध किया गया है कि वे नमो ड्रोन दीदी योजना के शीघ्र क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए इन दिशा-निर्देशों का पालन करें।

ड्रोन खरीदने के लिये दिए जाएंगे 8 लाख रुपये

इस योजना के तहत, ड्रोन और सहायक उपकरण तथा सहायक शुल्क की लागत का 80 प्रतिशत, केंद्रीय वित्तीय सहायता के रूप में अधिकतम 8 लाख रुपये तक की राशि महिला स्वयं सहायता समूहों को पैकेज के रूप में ड्रोन की खरीद के लिए प्रदान की जाएगी।

स्वयं सहायता समूहों और स्वयं सहायता समूहों के क्लस्टर स्तरीय संघ खरीद की कुल लागत में से सब्सिडी घटाकर तय राशि (सीएलएफ) राष्ट्रीय कृषि अवसंरचना वित्तपोषण सुविधा (AIF) के अंतर्गत ऋण ले सकते हैं। सीएलएफ/एसएचजी को एआईएफ ऋण पर 3 प्रतिशत की दर से ब्याज सहायता प्रदान की जाएगी। साथ ही सीएलएफ/एसएचजी के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय के अन्य स्रोतों/कार्यक्रमों/योजनाओं से ऋण प्राप्त करने का विकल्प भी होगा।

नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत ड्रोन के साथ दिए जाएंगे यह उपकरण

इस योजना के तहत, न केवल ड्रोन बल्कि पैकेज के रूप में ड्रोन की आपूर्ति की जाएगी। पैकेज में तरल उर्वरकों और कीटनाशकों के छिड़काव के लिए स्प्रे तंत्र के साथ बेसिक ड्रोन, ड्रोन को रखने का डिब्बा, मानक बैटरी सेट, नीचे की ओर फोकस  कैमरा, दोहरे चैनल वाला फास्ट बैटरी चार्जर, बैटरी चार्जर हब, एनीमोमीटर, पीएच मीटर और सभी वस्तुओं पर एक साल की ऑनसाइट वारंटी शामिल होगी।

पैकेज में चार अतिरिक्त बैटरी सेट, एक अतिरिक्त प्रोपेलर सेट (प्रत्येक सेट में छह प्रोपेलर होते हैं), नोजल सेट, डुअल चैनल फास्ट बैटरी चार्जर, बैटरी चार्जर हब, ड्रोन पायलट और ड्रोन सहायक के लिए 15 दिन का प्रशिक्षण, एक साल का व्यापक बीमा, दो साल का वार्षिक रखरखाव अनुबंध और लागू जीएसटी भी शामिल है। बैटरी के अतिरिक्त सेट से ड्रोन की निरंतर उड़ान सुनिश्चित होगी, एक दिन में ये ड्रोन आसानी से 20 एकड़ की दूरी तय कर सकता है।

ड्रोन चलाने के लिए दिया जाएगा प्रशिक्षण

महिला स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों में से एक को 15 दिन के प्रशिक्षण के लिए चुना जाएगा। अनिवार्य ड्रोन पायलट प्रशिक्षण और पोषक तत्व तथा कीटनाशक अनुप्रयोग के कृषि उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण शामिल है। बिजली के सामान की मरम्मत, फिटिंग और यांत्रिक कार्यों में रुचि रखने वाले स्वयं सहायता समूह के अन्य सदस्यों को ड्रोन सहायक के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा। ड्रोन निर्माता परिचालन दिशानिर्देशों में बताए गए प्रशिक्षण कार्यक्रम के अनुसार ड्रोन की आपूर्ति के साथ-साथ ये प्रशिक्षण एक पैकेज के रूप में प्रदान करेंगे।

राज्य सरकारें करेंगी मदद

योजना के तहत लाभार्थी समूह ड्रोन परिचालन से अधिक से अधिक लाभ अर्जित कर सके इसके लिए राज्य सरकारें मदद करेंगी। दिशा निर्देशों में कहा गया है कि कृषि में ड्रोन का उपयोग अभी शुरुआती चरण में है, इसलिए राज्य इन गतिविधियों का बारीकी से निगरानी करेंगे और महिला एसएचजी को सहायता प्रदान करेंगे साथ ही उन्हें एक वर्ष में कम से कम 2000 से 2500 एकड़ क्षेत्र को कवर करने के लिए व्यवसाय शुरू करने में मदद करेंगे।

सरकार के मुताबिक ऐसा माना जा रहा है कि इस योजना के तहत पहलों से स्वयं सहायता समूहों को स्थायी व्यवसाय और आजीविका मिलेगी और वे अपने लिए अतिरिक्त आय अर्जित करने में सक्षम होंगे। यह योजना किसानों के लाभ के लिए बेहतर दक्षता, फसल की बढ़ी पैदावार और कम संचालन लागत के लिए कृषि में उन्नत प्रौद्योगिकी को शामिल करने में मदद करेगी।

गेहूं, सरसों, मटर और सब्जियों की बुआई को लेकर पूसा कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की यह सलाह

अभी खरीफ फसलों की कटाई के साथ ही रबी सीजन की फसलों की बुआई का समय भी हो गया है। जिसको देखते हुए पूसा वैज्ञानिकों ने दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले किसानों के लिए गेहूं, सरसों, मटर, गाजर, मूली, गोभी आदि फसलों की बुआई को लेकर सलाह जारी की है। वहीं किसानों को धान के बचे हुए अवशेषों (पराली) को जमीन में मिला देने या पूसा डीकंपोजर कैप्सूल का उपयोग कर उसका खाद बनाने के लिए कहा गया है।

गेहूं की खेती के लिए सलाह

पूसा कृषि वैज्ञानिकों ने वर्तमान मौसम को ध्यान रखते हुए किसानों को सलाह दी है कि वे गेंहू की बुवाई हेतु तैयार खेतों में पलेवा तथा उन्नत बीज व खाद की व्यवस्था करें। पलेवे के बाद यदि खेत में ओट आ गई हो तो उसमें गेहूँ की बुवाई कर सकते है। सिंचित परिस्थिति के लिए उन्नत किस्मों जैसे एच. डी. 3385, एच. डी. 3386, एच. डी. 3298, एच. डी. 2967, एच. डी. 3086, एच. डी. सी.एस. डब्लू. 18, ड़ी.बी.डब्लू. 370, ड़ी.बी.डब्लू. 371, ड़ी.बी.डब्लू. 372, ड़ी.बी.डब्लू. 327 किस्म की बुआई करें। किसान बुआई के लिए 100 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर बीज का उपयोग करें।

जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो तो क्लोरपाईरिफाँस 20 ईसी 5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से पलेवा के साथ दें। नत्रजन, फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा 120, 50 व 40 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर होनी चाहिये।

सरसों की खेती के लिए सलाह

वहीं वे किसान जो सरसों की खेती करना चाहते हैं उन किसानों को बुआई में ओर अधिक देरी ना करने की सलाह दी गई है। मिट्टी जांच के बाद यदि गंधक की कमी हो तो 20 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से अंतिम जुताई पर डालें। बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। सरसों की खेती के लिए किसान उन्नत किस्में जैसे पूसा विजय, पूसा सरसों-29, पूसा सरसों-30, पूसा सरसों-31, पूसा सरसों-32 आदि का चयन करें। इसकी बुआई के लिए बीज दर 1.5-2.0 कि.ग्रा. प्रति एकड का उपयोग करें।

बुवाई से पहले खेत में नमी के स्तर को अवश्य ज्ञात कर ले ताकि अंकुरण प्रभावित न हो। बुवाई से पहले बीजों को केप्टान 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें। बुवाई कतारों में करना अधिक लाभकारी रहता है। कम फैलने वाली किस्मों की बुवाई 30 सें.मी. और अधिक फैलने वाली किस्मों की बुवाई 45-50 सें.मी. दूरी पर बनी पंक्तियों में करें। विरलीकरण द्वारा पौधे से पौधे की दूरी 12-15 सें.मी. कर ले। समय पर बोई गई सरसों की फ़सल में विरलीकरण तथा खरपतवार नियंत्रण का कार्य करें।

मटर की खेती के लिए सलाह

तापमान को ध्यान में रखते हुए मटर की बुवाई में ओर अधिक देरी न करें अन्यथा फसल की उपज में कमी होगी तथा कीड़ों का प्रकोप अधिक हो सकता है। बुवाई से पूर्व मृदा में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। किसान मटर की उन्नत किस्में जैसे पूसा प्रगति, आर्किल आदि का प्रयोग करें। बीजों को कवकनाशी केप्टान या थायरम 2.0 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से मिलाकर उपचार करें उसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका अवश्य लगायें। गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर ले और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दें तथा अगले दिन बुवाई करें।

गाजर की खेती के लिए सलाह

इस मौसम में किसान गाजर की बुवाई मेड़ों पर कर सकते है। बुवाई से पहले किसान मृदा में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। किसान गाजर की उन्नत किस्म पूसा रूधिरा की बुआई कर सकते हैं, इसके लिए बीज दर 2.0 कि.ग्रा. प्रति एकड़ का उपयोग करें। बुवाई से पहले बीज को केप्टान 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें तथा खेत में देसी खाद, पोटाश और फाँस्फोरस उर्वरक अवश्य डालें। गाजर की बुवाई मशीन द्वारा करने से बीज 1.0 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है जिससे बीज की बचत तथा उत्पाद की गुणवत्ता भी अच्छी रहती है।

किसान इन सब्जी फसलों की कर सकते हैं बुआई

पूसा वैज्ञानिकों ने किसानों को इस मौसम में इस समय सरसों साग की किस्म पूसा साग-1; मूली की किस्म जापानी व्हाइट, हिल क्वीन, पूसा मृदुला (फ़्रेंच मूली); पालक की क़िस्म ऑल ग्रीन, पूसा भारती; शलगम किस्म पूसा स्वेती या स्थानीय लाल किस्म; बथुआ की किस्म पूसा बथुआ-1; मेथी की किस्म पूसा कसुरी; गांठ गोभी की किस्म व्हाईट वियना, पर्पल वियना तथा धनिया किस्म पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करने की सलाह दी है।

इसके अलावा यह समय ब्रोकली, फूलगोभी तथा बन्दगोभी की पौधशाला तैयार करने के लिए उपयुक्त है। पौधशाला भूमि से उठी हुई क्यारियों पर ही बनायें। जिन किसानों की पौधशाला तैयार है वह मौसस को ध्यान में रखते हुए पौध की रोपाई ऊंची मेड़ों पर करें। इस मौसम में किसान गेंदे की तैयार पौध की मेड़ों पर रोपाई करें। किसान ग्लेडिओलस की बुवाई भी इस समय कर सकते है।

गेहूं की नई उन्नत किस्म पूसा तेजस HI 8759 की जानकारी

रबी सीजन की सबसे मुख्य फसल गेहूं हैं, जिसकी खेती देश के लगभग सभी जलवायु क्षेत्रों में की जाती है। ऐसे में सभी क्षेत्रों के किसान इसकी अधिक से अधिक पैदावार प्राप्त करके अपनी आमदनी बढ़ा सकें इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा देश के अलग-अलग क्षेत्रों के लिए गेहूं की उन्नत किस्में विकसित की जा रही हैं जो रोग-रोधी होने के साथ ही ज्यादा पैदावार भी देती हैं। गेहूं की डुरम प्रजाति के गेहूं की किस्म पूसा तेजस HI 8759 का विकास कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा किया गया है।

केंद्रीय किस्म विमोचन समिति द्वारा इस क़िस्म को खेती के लिए वर्ष 2017 में जारी किया गया था। गेहूं की यह किस्म देश के मध्य क्षेत्र के लिए अधिसूचित की गई है। जिसमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, कोटा और राजस्थान के उदयपुर डिवीजन और उत्तर प्रदेश के झाँसी डिवीजन शामिल हैं। पूसा तेजस HI 8759 की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार है:-

पूसा तेजस HI 8759 की विशेषताएँ

  • पूसा तेजस कठिया या ड्यूरम गेहूं (durum wheat) की एक किस्म है।
  • यह किस्म देश के मध्य क्षेत्र की जलवायु के लिए अनुकूल है।
  • गेहूं की यह किस्म रबी सीजन में समय पर बुआई और सिंचित अवस्था के लिये उपयुक्त है।
  • यह किस्म औसतन 117 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
  • पूसा तेजस किस्म गेहूं के काले और भूरे रतुए के लिये प्रतिरोधी है।
  • HI 8759 की औसत उपज क्षमता 56.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर एवं अधिकतम उपज क्षमता 75.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
  • इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा 12.1 प्रतिशत, पीले वर्णक 5.7 ppm, लौह की मात्रा 42.1 ppm और जस्ता 42.8 ppm होती है।
  • पूसा तेजस किस्म उच्च तापमान के लिये सहिष्णु है।

गेहूं के प्रमाणित बीजों पर किसानों को मिलेगी 1000 रुपये की सब्सिडी

किसान उन्नत एवं प्रमाणित बीजों का इस्तेमाल कर अच्छी उपज प्राप्त कर सकें इसके लिए सरकार द्वारा किसानों को कम दरों पर प्रमाणित बीज उपलब्ध कराये जाते हैं। इस कड़ी में हरियाणा सरकार ने रबी सीजन 2024-25 के लिए गेहूं के प्रमाणित बीजों की दरें तय कर दी हैं। कृषि विभाग के अनुसार गेहूं के बीज पर इस वर्ष किसानों को 1000 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी दी जाएगी। कृषि विभाग के निदेशक कार्यालय से इस बारे में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने और उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार के इस फैसले से किसानों को रियायती दरों पर बीज मिल सकेंगे। इससे गेंहू की पैदावार बढ़ेगी और किसान की आय में भी वृद्धि होगी।

किसानों को इस रेट पर मिलेंगे गेहूं बीज

प्राप्त जानकारी के अनुसार सभी प्रकार के गेहूं बीज की सामान्य बिक्री दर 3,875 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है। हालांकि किसानों को राहत देने के लिए सरकार 1000 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी प्रदान करेगी, जिससे किसानों को गेहूं के बीज 2,875 रुपये प्रति क्विंटल पर मिलेंगे। सी-306 किस्म और अधिसूचना के 10 वर्ष से अधिक पुरानी क़िस्मों को इस योजना से बाहर रखा गया है।

प्रमाणित गेहूं के बीज किसानों को 40 किलोग्राम के प्री-पैक बैग में सब्सिडी वाली दर पर उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि किसान रबी सीजन के लिए आसानी से उच्च गुणवत्ता वाले बीज खरीद सकें। यह सब्सिडी केवल हरियाणा के किसानों को दी जाएगी। किसी सरकारी एजेंसी, किसान उत्पादक संगठनों या योजनाओं के तहत प्रदर्शन के लिए इस्तेमाल किए गए बीजों पर यह लागू नहीं होगी। विभाग ने स्पष्ट किया है कि प्रमोशनल गतिविधियों या अन्य सरकारी कार्यक्रमों में उपयोग किए जाने वाले बीजों पर भी कोई सब्सिडी नहीं मिलेगी।

विभाग ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए हैं कि बिक्री केंद्रों पर सभी लेन-देन को सावधानीपूर्वक बिक्री रजिस्टर में दर्ज किया जाए ताकि भविष्य में किसी भी विवाद से बचा जा सके। साथ ही अधिकारियों को इन निर्देशों से संबंधित सभी कर्मचारियों को तुरंत अवगत कराने को कहा गया है, ताकि वितरण प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके।

सरकार ने डीएपी की उपलब्धता को लेकर दी यह जानकारी

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रबी सीजन में फसलों की बुआई का समय हो गया है, जिसके चलते देश में डीएपी, यूरिया सहित अन्य खाद-उर्वरकों की माँग बहुत अधिक बढ़ गई है। इस बीच देश के कई हिस्सों से डीएपी खाद की कमी को लेकर खबरें आ रही हैं। जिसको लेकर केंद्र सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने सफाई दी है। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अनुसार हाल ही में पंजाब में डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की कमी और इसके परिणामस्वरूप रबी फसल की संभावनाओं पर पड़ने वाले प्रभाव का दावा करने संबंधी मीडिया में प्रकाशित कुछ खबरें भ्रामक, गलत और तथ्यात्मक स्थिति से रहित हैं।

मंत्रालय की तरफ से स्पष्ट किया गया है कि सरकार ने फॉस्फोरस और पोटेशियम (पीएंडके) उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पंजाब राज्य को पहले ही पर्याप्त मात्रा में डीएपी और नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम (एनपीके) उर्वरक उपलब्ध करा दिए हैं।

इस कारण डीएपी का आयात हुआ है प्रभावित

सरकार के मुताबिक़ जनवरी महीने से लाल सागर संकट के कारण डीएपी का आयात प्रभावित हुआ, जिसके परिणामस्वरूप उर्वरक जहाजों को केप ऑफ गुड होप के माध्यम से 6500 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है। इन चुनौतियों के बावजूद, सरकार ने किसानों को सस्‍ती दर पर उर्वरक की उपलब्‍धता सुनिश्चित करते हुए लगातार दो कैबिनेट फैसलों में उर्वरक की स्थिर कीमतें (50 किलोग्राम बैग के लिए 1350) बनाए रखी हैं।

डीएपी और एनपीके उर्वरक का उत्पादन

मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि अभी डीएपी और एनपीके का घरेलू उत्पादन अधिकतम स्तर पर चल रहा है। स्थिति को प्रभावी ढंग से संभालने के लिए विभाग लगातार राज्य की आवश्यकताओं और आयात प्रवाह की निगरानी कर रहा है। रेल मंत्रालय, राज्य सरकार, बंदरगाह प्राधिकरणों और उर्वरक कंपनियों के साथ प्रभावी समन्वय के माध्यम से स्थिति की बहुत बारीकी से निगरानी कर रहा है।

अभी पंजाब में कितना डीएपी एवं अन्य खाद उपलब्ध है?

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अनुसार अक्टूबर-2024 के प्रारम्भ में पंजाब में 99,000 मीट्रिक टन (एमटी) डीएपी, 59,000 मीट्रिक टन एनपीके तथा 78,000 मीट्रिक टन सिंगल सुपरफॉस्फेट (एसएसपी) उर्वरक उपलब्ध था। इसके अतिरिक्त 29 अक्टूबर-2024 तक भारत सरकार के उर्वरक विभाग द्वारा राज्य को 92,000 मीट्रिक टन डीएपी, 18,000 मीट्रिक टन एनपीके तथा 9,000 मीट्रिक टन एसएसपी की आपूर्ति की गई है। इस प्रकार 29 अक्टूबर-24 में विभाग द्वारा कुल 1,91,000 मीट्रिक टन डीएपी, 77,000 मीट्रिक टन एनपीके तथा 87,000 मीट्रिक टन एसएसपी की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।

29 अक्टूबर 2024 के आँकड़ों के मुताबिक़ रबी-2024-25 फसल मौसम के लिए राज्य में 1,00,000 मीट्रिक टन डीएपी, 28,000 मीट्रिक टन एनपीके और 12,000 मीट्रिक टन एसएसपी की खपत हुई है। इस प्रकार, वर्तमान में राज्य में किसानों के लिए लगभग 90,000 मीट्रिक टन डीएपी, 49,000 मीट्रिक टन एनपीके और 76,000 मीट्रिक टन एसएसपी उपलब्ध है और उर्वरक विभाग नवंबर-2024 के पहले सप्ताह में लगभग 50,000 मीट्रिक टन डीएपी भेज रहा है।

10 उन्नत नस्लों की गायों की डेयरी खोलने के लिए मिलेगा 11.80 लाख रुपये का अनुदान, 1 नवंबर से होंगे आवेदन

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा पशुपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने एवं गौपालकों को सशक्त बनाने के लिए मिनी नंदिनी कृषक समृद्धि योजना शुरू की गई है। योजना के तहत सरकार द्वारा स्वदेशी नस्लों की गाय पालने के लिए अनुदान के साथ ही बैंक ऋण भी उपलब्ध कराया जाएगा।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मिनी नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के अंतर्गत 10 स्वदेशी उन्नत नस्ल की गायों की इकाई स्थापना हेतु अधिकतम 11 लाख 80 हजार रुपये का अनुदान दो चरणों में दिया जाएगा। योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु आवेदन 01 नवंबर से शुरू किए जाएँगे जो 30 नवंबर 2024 तक चलेंगे। इस दौरान आवेदन करने वाले व्यक्तियों को योजना लाभ मिलेगा।

मिनी डेयरी के लिए कितना अनुदान मिलेगा?

नंद बाबा दुग्ध मिशन के निदेशक राकेश कुमार मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि यह योजना प्रदेश के समस्त जनपदों में लागू की गई है। योजना के तहत लाभार्थी अंश 15 प्रतिशत, बैंक ऋण 35 प्रतिशत तथा इकाई लागत का अधिकतम 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। मिनी डेयरी के लिए साहिवाल, गिर एवं थारपारकर प्रजाति की 10 गाय की परियोजना की कुल अनुमानित लागत 23.60 लाख है, जिस पर लाभार्थी को अधिकतम 11 लाख 80 हजार रुपये का अनुदान मिलेगा।

लाभार्थी को गाय का क्रय प्रदेश के बाहर से यथासंभव ब्रीडिंग ट्रैक्ट से लाभार्थी द्वारा किया जाएगा। खरीदी जाने वाली गाय प्रथम या द्वितीय ब्यात की होनी चाहिए तथा गौवंश डेढ़ माह से पूर्व ना ब्यायी हो इस बात का ध्यान रखना होगा।

मिनी डेयरी के लिए कितनी भूमि चाहिए

इकाई की स्थापना हेतु लगभग 0.20 एकड़ ( 8712 वर्ग फूट) भूमि तथा चारा उत्पादन हेतु 0.80 एकड़ (34848 वर्ग फूट) भूमि अनिवार्य है। यह भूमि किसान की स्वयं की अथवा पैतृक अथवा न्यूनतम 07 वर्षों के लिए अनुबंध/ किरायेनामे पर ली गई हो। योजना के माध्यम से पशुपालकों को नये अवसर मिलेंगे जिससे की वे आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बन सके।

मिनी नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के लिए आवेदन कहाँ करें?

योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक व्यक्ति को 1 नवंबर से 30 नवम्बर 2024 के दौरान आवेदन करना होगा। इस योजना के संबंध में आवेदन पत्र का प्रारूप व संबंधित शासनादेश की जानकारी विभागीय पोर्टल updairydevelopment.gov.in पर अथवा www.animalhusb.upsdc.gov.in पर देखी जा सकती है। इसके अलावा संबंधित जनपद के मुख्य विकास अधिकारी अथवा मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के कार्यालयों में उपलब्ध है तथा अधिक जानकारी के लिए अपने जनपद के उक्त कार्यालयों में संपर्क किया जा सकता है।

मिशन निदेशक ने बताया कि पूर्व में संचालित कामधेनु, मिनी कामधेनु, माइक्रो कामधेनु योजना अथवा नंद बाबा दुग्ध मिशन के अंतर्गत संचालित नंदिनी कृषक समृद्धि योजना अथवा मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ-संवर्धन योजना के लाभार्थी इस योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु पात्र नहीं होंगे।

कृषि इनपुट अनुदान योजना: 1.52 लाख किसानों के खाते में जारी की गई 101 करोड़ रुपये की राशि

इस वर्ष यानि की 2024 के सितंबर महीने के दौरान अधिक वर्षा एवं गंगा, कोसी, गंडक, बागमती तथा अन्य नदियों के जलस्तर में हुई वृद्धि के चलते आई बाढ़ के कारण किसानों की फसलों को काफी नुक़सान हुआ था। जिसकी भरपाई किसानों को करने के लिए बिहार सरकार द्वारा “कृषि इनपुट अनुदान योजना शुरू की गई है। योजना के तहत फसल क्षति का प्रतिवेदन सभी प्रभावित जिलों से प्राप्त करने के उपरांत कृषि इनपुट अनुदान योजना के अंतर्गत प्रभावित किसानों को क्षतिपूर्ति की राशि राज्य सरकार द्वारा किसानों को दी जा रही है।

इस कड़ी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक कार्यक्रम में बाढ़ प्रभावित 1 लाख 52 हजार किसानों को डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफ़र) के द्वारा सीधे उनके खाते में 101 करोड़ रुपये की राशि सिंगल क्लिक से ट्रांसफर की। 29 अक्टूबर को आयोजित हुए कार्यक्रम में किसानों को प्रथम चरण में आई बाढ़ की राशि वितरित की गई है। अन्य प्राप्त आवेदनों का सत्यापन कर बाक़ी प्रभावित किसानों को को भी जल्द राशि दी जाएगी।

कृषि इनपुट अनुदान योजना के तहत किसानों को कितना अनुदान मिलेगा

कार्यक्रम के दौरान कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से जानकारी देते हुए बताया कि गंगा एवं अन्य नदियों में जलस्तर बढ़ने के फलस्वरूप प्रथम चरण में आई बाढ़ से 16 जिले के 66 प्रखंड और 580 पंचायत का कृषि क्षेत्र प्रभावित हुआ था। अत्यधिक वर्षापात एवं कोसी, गण्डक एवं बागमती सहित अन्य नदियों के जलस्तर बढ़ने के फलस्वरूप दूसरे चरण में आयी बाढ़ के कारण 16 जिले के 69 प्रखंड और 580 पंचायतों का कृषि क्षेत्र प्रभावित हुआ।

प्रभावित प्रति किसान को सिंचित क्षेत्र के लिए 17 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर, असिंचित क्षेत्र के लिए 8,500 रुपये प्रति हेक्टेयर तथा शाश्वत फसल के लिए 22 हजार 500 रुपये प्रति हेक्टेयर का कृषि इनपुट अनुदान दिया जा रहा है। प्रति किसान अधिकतम दो हेक्टेयर के लिए अनुदान दिया जा रहा है।

शेष किसानों को जल्द दी जाएगी राशि

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को राज्य सरकार हर संभव सहायता उपलब्ध कराती है। हम लोग आपदा पीड़ितों की सहायता के लिए लगातार तत्पर रहते हैं। आज प्रथम चरण में आयी बाढ़ से प्रभावित किसानों के खाते में राशि अंतरित की गई है। शेष प्रभावित किसानों के खाते में राशि यथा शीघ्र अंतरित करायें। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को कृषि विभाग के सचिव संजय अग्रवाल ने हरित पौधा भेंटकर स्वागत किया

81 लाख किसानों को जारी की गई 2,000 रुपये की किस्त

धनतेरस के दिन मध्यप्रदेश के किसानों को दीपावली का तोहफा मिल गया है। राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंदसौर से मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में प्रदेश के 81 लाख किसानों के खातों में वर्तमान वित्तीय वर्ष की द्वितीय किश्त की 1624 करोड़ रूपये की राशि सिंगल क्लिक से अंतरित की। इसमें मंदसौर जिले के 2 लाख 991 किसानों को 40 करोड़ 19 लाख 82 हजार रूपये मिले है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव का स्थानीय कृषकों द्वारा स्वागत एवं सम्मान किया गया। साथ ही मुख्यमंत्री ने किसानों को प्रतीकात्मक रूप से मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के चेक का वितरण किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के साथ राज्य सरकार भी मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में किसानों को लाभान्वित कर रही है। इन दोनों योजनाओं में किसानों को प्रतिवर्ष 12,000 रुपये का लाभ प्रदान किया जा रहा है। अब तक राज्य के किसानों के बैंक खातों में 41 हजार 200 करोड़ रुपये की राशि अतिरिक्त दी जा चुकी है।

प्रधानमंत्री ने भी दी सौगात

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली से मध्यप्रदेश को 3 नर्सिंग मेडिकल और 5 नर्सिंग कॉलेज की सौगात दी। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रदेश के नीमच, मंदसौर और सिवनी के मेडिकल कॉलेज का वर्चुअली लोकार्पण एवं शिवपुरी, राजगढ़, रतलाम, धार और खण्डवा के शासकीय नर्सिंग कॉलेजों का शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इंदौर के 100 बिस्तरीय अस्पताल के साथ एम्स भोपाल के कौटिल्य भवन प्रशासकीय खण्ड का वर्चुअली लोकार्पण भी किया। धनवंतरि जयंति पर मंदसौर में आयोजित राज्यस्तरीय समारोह में 512 नवुनियुक्त आयुर्वेद चिकित्सकों को वर्चुअली नियुक्ति-पत्र वितरित किये गये।

इसके अलावा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंदसौर जिले में 167 करोड़ रूपये के 11 विकास कार्यों का भूमि-पूजन और लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि जल्द ही मंदसौर और नीमच में भी इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का आयोजन होगा।

औषधीय उद्योग को दिया जाएगा बढ़ावा

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मंदसौर, नीमच जिले औषधि की खेती के लिये जाने जाते है। आगामी समय में मंदसौर-नीमच में भी इंडस्ट्री कॉन्क्लेव कराई जाएगी। इससे क्षेत्र में यहां की आवश्यकताओं के अनुरूप उद्योगों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार भी उपलब्ध होगा। साथ ही औषधि, उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।

सोलर पम्प पर किसानों को 60 प्रतिशत अनुदान के साथ ही मिलेगा बैंक ऋण

किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं, इसमें किसानों को सब्सिडी पर सोलर पम्प दिया जाना भी शामिल है। इस कड़ी में राजस्थान के बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ एवं अनूपगढ़ जिलों में इंदिरा गांधी नहर परियोजना के प्रथम चरण के कमाण्ड क्षेत्र में राजस्थान जल क्षेत्र पुनः संरचना परियोजना (RWSRPD) के तहत किसानों के लिए 3, 5 और 7.5 एचपी के लगभग पांच हज़ार ऑफ ग्रिड सोलर पम्प संयत्र स्थापित किये जाएंगे।

राज्य सरकार द्वारा इसके लिए किसानों को 60 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता (RWSRPD) राकेश गुप्ता ने बताया कि जल संसाधन विभाग के माध्यम से संचालित इस योजना के तहत इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना के प्रथम चरण के कमांड क्षेत्र में किसानों को यह सब्सिडी दी जाएगी तथा शेष 40 प्रतिशत राशि संबंधित कृषक द्वारा वहन की जाएगी। कृषक द्वारा वहन की जाने वाली लागत में से 30 प्रतिशत राशि तक का बैंक ऋण प्राप्त किया जा सकता है।

सोलर पंप अनुदान के लिए किसान यहाँ करें संपर्क

जल संसाधन विभाग की ओर से बताया गया है कि इस योजना के लिए रोटोमेग मोटर्स एंड कंट्रोल प्राइवेट लिमिटेड के साथ अनुबन्ध किया गया है। शीघ्र ही पात्र किसानों की कृषि भूमि पर पम्प स्थापित करने का कार्य प्रारम्भ कर दिया जाएगा। अतिरिक्त मुख्य अभियंता गुप्ता ने बताया कि जल संसाधन विभाग के अधीन चलाई जा रही आरडब्ल्यूएसआरपीडी परियोजना में पम्पों की लागत उद्यानिकी विभाग द्वारा संचालित पी.एम. कुसुम योजना से कम आएगी। इस योजना के अधीन 12 प्रकार के पम्पों में से किसान अपनी आवश्यकतानुसार पंप लगवा सकते हैं। इस योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु कृषक जल संसाधन विभाग के सम्बन्धित खण्ड़ कार्यालयों में संपर्क करें।

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