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गुरूवार, मार्च 28, 2024

किसान गर्मी के मौसम में अधिक पैदावार के लिए लगायें मूंग की यह नई उन्नत किस्में

देश के कई राज्यों में जहां सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है वहाँ किसान अतिरिक्त आमदनी के लिए गेहूं, सरसों आदि रबी फसलों की कटाई के बाद मूंग या उड़द की खेती करते हैं। गर्मी के मौसम में मूँग या उड़द की खेती किसानों के लिए बोनस की तरह है जो खेती से अतिरिक्त आमदनी का एक अच्छा ज़रिया है। ऐसे में किसान इस गर्मी (जायद) के सीजन में मूँग की उन्नत क़िस्मों का चयन कर अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

ग्रीष्मकालीन या बसंत मूँग की बुआई का उपयुक्त समय 10 मार्च से 10 अप्रैल तक है। किसान सरसों, गेहूं और आलू की कटाई के बाद 70 से 80 दिनों में पकने वाली किस्मों का चयन कर उनकी बुआई कर सकते हैं। यदि किसी कारणवश खेत समय पर तैयार न हो तो वहाँ पर किसान मूँग की 60 से 65 दिनों में पकने वाली प्रजातिओं का चयन कर सकते हैं। बुआई में देरी होने पर फसल पर कई तरह के कीट रोगों का प्रकोप होने का अंदेशा रहता है वहीं अगली फसल की बुआई में भी देरी होती है। ऐसे में किसानों को मूँग की बुआई समय पर ही कर लेना चाहिए।

मूंग की उन्नत किस्में कौन सी हैं?

देश में विभिन्न कृषि संस्थानों के द्वारा अलग-अलग जलवायु क्षेत्रों के लिए मूँग की अलग- अलग किस्में विकसित की गई है। किसान इन किस्मों में से अपने क्षेत्र के लिए अनुकूल किसी भी उन्नत किस्म के बीजों का चयन कर सकते हैं। इन किस्मों में पूसा 1431, पूसा 9531, पूसा रत्ना, पूसा 672, पूसा विशाल, केपीएम 409-4 (हीरा), वसुधा (आईपीएम 312-20), सूर्या (आईपीएम 302-2), वर्षा (आईपीएम 2 के 14-9), विराट (आईपीएम 205-7), शिखा (आईपीएम 410-3), सम्राट, मेहा, अरुण (केएम 2328), आरएमजी-62, आरएमजी 268, आरएमजी 344 प्रमुख है।

किसान बीज के आकार, नमी की स्थिति, बुआई का समय, पौधों की पैदावार तथा उत्पादन तकनीक के अनुसार बुआई के लिए बीज ले सकते हैं। सामान्यतः गर्मी में मूँग की बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 20-25 किलोग्राम मूंग का बीज पर्याप्त होता है। जायद में किसानों को मूँग की बुआई के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर रखनी चाहिए साथ ही किसानों को बुआई के लिए प्रमाणित बीजों का ही उपयोग करना चाहिए।

कृषि मेले में किसानों ने खरीदे 42 लाख रुपये के प्रमाणित बीज

देश में किसानों को खेती-किसानी की नई तकनीकों से अवगत कराने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों के माध्यम से कृषि मेलों का आयोजन किया जाता है। इस कड़ी में 18 से 19 मार्च 2024 के दौरान हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार में दो दिवसीय कृषि मेला खरीफ 2024 का आयोजन किया गया। मेले में इन दो दिनों के दौरान हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के करीब 67 हजार किसान शामिल हुए।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज के अनुसार मेले में किसानों ने करीब 42.26 लाख रुपये के खरीफ फसलों व सब्जियों की उन्नत एवं सिफारिश की गई किस्मों के प्रमाणित बीज खरीदे। इसके अलावा करीब 78 हजार 100 रुपये के फलदार पौधे एवं सब्जियों के बीज भी किसानों ने खरीदे। मेले में करीब 248 स्टॉल लगाये गये थे जहां किसानों ने कृषि यंत्रों सहित विभिन्न नई तकनीकों की जानकारी हासिल की।

किसानों ने खरीफ सीजन की फसलों के खरीदे बीज

कृषि मेला खरीफ 2024 में किसानों ने खास तौर पर अभी आने वाले खरीफ सीजन की फसलों एवं सब्जियों के बीज तथा फलों की नर्सरी के लिए बीजों की ख़रीददारी की। इसके लिए विश्वविद्यालय की ओर से मेले में सरकारी बीज एजेंसियों के सहयोग से बीज बेचने की व्यवस्था की गई थी। बीज के अलावा भी किसानों ने 8900 रुपये के जैव उर्वरक तथा 20,000 हजार रुपये का कृषि साहित्य भी खरीदा।

मेले में किसानों को विश्वविद्यालय के अनुसंधान फार्म का भ्रमण करवाकर उन्हें वैज्ञानिक विधि से उगाई गई फसलों के प्रदर्शन प्लांट दिखाए गए तथा उन्हें जैविक व प्राकृतिक खेती में प्राकृतिक संसाधन संरक्षण कृषि उत्पादन व गुणवत्ता बढ़ाने व फसल लागत कम करने संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी गई।

मेले में किसानों को ड्रोन तकनीक से कराया गया अवगत

चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार में आयोजित कृषि मेले की मुख्य थीम थी खेती में ड्रोन का महत्व। मेले में किसानों को खेती में ड्रोन के महत्व के बारे में जानकारी भी दी गई। मेले के अंतिम दिन किसानों को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहा कि ड्रोन तकनीक समय, श्रम व संसाधनों की बचत करने वाली एक आधुनिक तकनीक है जो कृषि लागत को कम करने में व फसल उत्पादन बढ़ाने में सहायक है। ड्रोन का उपयोग अपनी फसलों के बारे में नियमित जानकारी प्राप्त करने और अधिक प्रभावी कृषि तकनीकों के विकास में सहायक है।

बदलते मौसम की स्थिति में भी ड्रोन तकनीक का कुशलता से प्रयोग कर सकते हैं। दुर्गम इलाक़ों में तथा असमतल भूमि में कीटनाशक, उर्वरकों व खरपतवार नाशक दवाओं के छिड़काव में भी सहायक है। खरपतवार पहचान एवं प्रबंधन में सबसे महत्वपूर्ण तकनीक है।

उन्होंने कहा कि ड्रोन का उपयोग करके मिट्टी व खेत का विश्लेषण भी किया जा सकता है। कीट बीमारियों से लड़ने के लिए बड़े स्तर पर ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है। मल्टी स्पेक्ट्रल इमेजरी सिस्टम से लैस ड्रोन द्वारा कीड़ों, टिड्डियों व सैनिक कीट के आक्रमण का पता लगते ही समय पर कृषि रसायनों का छिड़काव करने से फसल के नुकसान को बहुत ही कम किया जा सकता है।

गेहूं की खेती करने वाले किसान मार्च महीने के अंतिम दिनों में करें यह काम

अभी देश के कई हिस्सों में गेहूं की कटाई में समय है, ऐसे में गेहूं की खेती करने वाले किसान कुछ बातों का ध्यान रखकर इसकी पैदावार बढ़ा सकते हैं। मार्च महीने के दूसरे पखवाड़े के दौरान लगातार मौसम में हो रहे परिवर्तन से गेहूं की फसल में कुछ कीट एवं रोग लग सकते हैं। जिसको देखते हुए भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल ने गेहूं किसानों के लिए मार्च के दूसरे पखवाड़े यानि की 16 मार्च से 31 मार्च तक के लिए सलाह जारी है।

गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान द्वारा जारी सलाह में बताया गया है कि अभी किसान गेहूं की फसल में लगने वाले कीट एफ़िड (माहू) एवं पीला रतुआ रोग का नियंत्रण कैसे कर सकते हैं। वहीं तेज गर्मी से गेहूं की उपज में कमी ना आए इसके लिए किसानों को कौन सी दवा का स्प्रे करना चाहिए यह जानकारी भी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा दी गई है।

किसान गेहूं की फसल को गर्मी से कैसे बचाएं

गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि किसान आवश्यकता के अनुसार अभी गेहूं की फसल में सिंचाई करें। वहीं तेज हवा वाले मौसम में लेजिंग से बचने के लिए किसानों को सिंचाई नहीं करनी चाहिए ताकि उपज के नुक़सान से बचा जा सके। मार्च के मध्य से अंत तक तापमान बढ़ने की स्थिति में किसान फ़सल को सूखे से बचाने और तनाव को कम करने के लिए 0.2 प्रतिशत म्यूरेट ऑफ पोटाश (प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में 400 ग्राम एम.ओ.पी.) का घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं या 2 प्रतिशत KNO3 प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में 4.0 किलोग्राम दो बार बूट लीफ पर और एंथेसिस चरण के बाद स्प्रे कर सकते हैं।

किसान इस तरह गेहूं को बचाएँ माहूँ (एफ़िड) कीट से

जारी सलाह में बताया गया है कि किसान गेहूं में पत्ती माहूँ (चेपा) की निरंतर निगरानी करें। पत्ती एफ़िड का अधिक प्रकोप (ईटीएल: 10-15 एफ़िड/टिलर) होने पर किसान क्विनालफ़ॉस 25 प्रतिशत ईसी का उपयोग कर सकते हैं। किसानों को 400 मिलीलीटर क्विनालफ़ॉस को 200-250 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव करना चाहिए।

पीला रतुआ रोग के लिये सलाह

गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान की और से किसानों से अनुरोध किया गया है कि धारीदार रतुआ (पीला रतुआ) या भूरा रतुआ की निरन्तर जाँच करते रहें। यदि किसान अपने गेहूं के खेतों में रतुआ का प्रकोप देखते हैं और पुष्टि करते है तो उस स्थिति में प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी के एक स्प्रे का छिड़काव करें। इसके लिए किसानों को एक लीटर पानी में एक मिलीलीटर रसायन मिलाना चाहिए। इसके लिए किसान एक एकड़ गेहूं की फसल में 200 मिलीलीटर कवकनाशी को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।

सरकार आँवला, नींबू, बेल और कटहल की खेती के लिए दे रही है अनुदान, किसान यहाँ करें आवेदन

किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार बागवानी फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए अधिक से अधिक किसानों को प्रोत्साहित किया जा सके इसके लिए सरकार किसानों को भारी अनुदान भी उपलब्ध कराती है। इस कड़ी में बिहार सरकार राज्य में किसानों आँवला, नींबू, बेल एवं कटहल की खेती के लिए अनुदान दे रही रही है। इसके लिए राज्य के उद्यानिकी विभाग द्वारा इच्छुक किसानों से आवेदन माँगे गये हैं।

बिहार सरकार राज्य में फसल विविधीकरण योजना के अन्तर्गत शुष्क बागवानी फसलों के क्षेत्र विस्तार के लिए योजना चला रही है। योजना का लाभ राज्य के गया, जमुई, मुंगेर, नवादा, औरंगाबाद, कैमुर एवं रोहतास जिलों के किसानों को दिया जाएगा। इन जिलों के किसान वांछित दस्तावेज के साथ ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

आँवला, नींबू, बेल और कटहल की खेती के लिए कितना अनुदान दिया जाएगा?

शुष्क बागवानी फसलों के क्षेत्र विस्तार योजना के तहत सरकार किसानों को आँवला, नींबू, बेल और कटहल की खेती के लिए अनुदान देगी। इसके लिए किसानों प्रति हेक्टेयर लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 50,000 रुपये का अनुदान दिया जायेगा। किसानों को यह अनुदान दो किस्तों में दिया जाएगा। जिसमें लाभार्थी किसानों को पहले साल 30,000 रुपये प्रति हेक्टेयर एवं दूसरे साल 20,000 रुपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान मिलेगा। किसानों को दूसरी किस्त का भुगतान प्रखंड उद्यान पदाधिकारी स्तर से सत्यापन द्वारा पहले साल लगाए गए पौधों में से 75 प्रतिशत पौधे जीवित पाये जाने के बाद ही दिया जाएगा।

किसानों को पौधे कहाँ मिलेंगे?

योजना के तहत लाभार्थी किसानों अधिकतम 4 हेक्टेयर एवं न्यूनतम 5 पौधों का लाभ दिया जायेगा। योजना के कार्यान्वयन हेतु पौध रोपण सामग्री की उपलब्धता सेंटर ऑफ एक्सलेंस, देसरी वैशाली/विभागीय/ कृषि विश्वविद्यालय/ कृषि अनुसंधान संस्थान/ केंद्रीय एजेंसी/राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड एक्रिडिटेड नर्सरी से अथवा ई-निविदा के द्वारा चयनित योग्य एजेंसी के माध्यम से कराया जाएगा। कृषक in cash/ Cash in kind प्रक्रिया द्वारा सहायतानुदान का लाभ ले सकते हैं।

योजना की ख़ास बात यह है कि किसान अपने खेतों की मेड़ो पर भी यह पौधे लगाने के लिए योजना का लाभ ले सकते हैं। योजना के तहत लाभार्थी किसानों को आँवला के लिए प्रति हेक्टेयर 400 पौधे, बेल के लिए प्रति हेक्टेयर 100 पौधे, कटहल के लिए प्रति हेक्टेयर 100 पौधे एवं नींबू के लिए प्रति हेक्टेयर 400 पौधे दिये जाएँगे।

आँवला, नींबू, बेल और कटहल के पौधे अनुदान पर लेने के लिए आवेदन कहाँ करें?

इच्छुक किसान जो अनुदान पर आँवला, नींबू, बेल और कटहल की खेती अनुदान पर करना चाहते है उन्हें इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। किसान यह आवेदन उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग बिहार की वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर कर सकते हैं। योजना के लिए आवेदन करने हेतु किसानों के पास कृषि विभाग के डी.बी.टी. कार्यक्रम हेतु संचालित MIS पोर्टल dbtagriculture.bihar.gov.in पर पंजीयन होना आवश्यक है। पंजीकृत नंबर के माध्यम से ही किसान योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं।

योजना का लाभ लेने के लिये किसानों के पास आधार कार्ड, डीबीटी पोर्टल पर पंजीकरण के बाद प्राप्त यूनिक आईडी, ज़मीन के कागजात, मोबाइल नंबर, बैंक पासबुक आदि दस्तावेज होने चाहिए। योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिये किसान अपने प्रखंड के उद्यान पदाधिकारी अथवा अपने जिले के सहायक निदेशक उद्यान से संपर्क करें।

किसानों को खेती की नई तकनीकों का प्रशिक्षण देने के लिए ICAR और धानुका ने मिलाया हाथ

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा खेती-किसानी की नई-नई तकनीकों का विकास किया जा रहा है। ऐसे में देश के किसानों तक इन तकनीकों की जानकारी को पहुँचाया जा सके इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्रों की मदद से किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है। इस कड़ी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ICAR और धानुका एग्रीटेक ने हाथ मिला लिया है ताकि देश के अधिक से अधिक किसानों को प्रशिक्षण दिया जा सके।

बुधवार 20 मार्च के दिन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और धानुका एग्रीटेक लिमिटेड ने एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते का उद्देश्य दोनों संस्थानों की दक्षता का उपयोग कर किसानों तक नई तकनीक पहुंचाना है।

किसानों को प्रशिक्षण के साथ दी जाएगी तकनीकी सलाह

इस मौके पर आईसीएआर के उप-महानिदेशक डॉ. गौतम ने कहा कि इस समझौते का उद्देश्य दोनों संस्थानों की दक्षता का उपयोग कर किसानों तक नई तकनीक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि देशभर में 14.5 करोड़ से ज्यादा किसान हैं, जिनमें से अधिकतर किसानों के पास छोटी भूमि जोत है। धानुका एग्रीटेक केंद्रीय संस्थानों, अटारी और कृषि विज्ञान केन्‍द्र के साथ जुड़कर इन छोटे किसानों को कृषि उत्पादन से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान करेगा।

डॉ. गौतम ने कहा कि आज पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर रही है और भारत भी इससे अछूता नहीं है। ऐसे समय में दोनों संस्थानों को मिलकर कृषि उत्पादन की एक नई पद्धति पर काम करने की आवश्यकता है और यह पद्धति है – जलवायु मैत्री। उन्होंने कहा कि इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य बदलते परिवेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना है।

वहीं इस अवसर पर धानुका एग्रीटेक लिमिटेड के अध्यक्ष डॉ. आर.जी. अग्रवाल ने कहा कि धानुका एग्रीटेक आईसीएआर-अटारी और कृषि विज्ञान केन्‍द्र के सहयोग से किसानों को सलाहकार सेवा प्रदान और प्रशिक्षित करेगा। इस अवसर पर आईसीएआर के सहायक महानिदेशक, निदेशक, वरिष्ठ वैज्ञानिक और आईसीएआर मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस कृषि मेले में किसानों ने जमकर खरीदे बीज

किसानों को खेती-किसानी की नई तकनीकों से अवगत कराने के लिए विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा समय-समय पर कृषि मेलों का आयोजन किया जाता है। इस कड़ी में हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार द्वारा 18 एवं 19 मार्च के दिन दो दिवसीय कृषि मेले का आयोजन किया गया। मेले में किसानों ने खरीफ फसलों सहित सब्जियों एवं गेहूं की उन्नत किस्मों के बीजों की जमकर खरीददारी की।

कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस कृषि मेले में हरियाणा के अलावा पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से करीब 67 हजार किसान शामिल हुए। वहीं मेले में किसानों ने करीब 43 लाख रुपये के खरीफ फसलों और सब्जियों की उन्नत किस्मों के प्रमाणित बीज खरीदे। साथ ही किसानों ने करीब 78 हजार रुपये के फलदार पौधों के बीज खरीदे। मेले में किसानों ने जैव उर्वरक के साथ ही कृषि साहित्य की किताबें भी खरीदी।

मेले में यह रहा खास

कृषि मेला (खरीफ) 2024 का मुख्य विषय खेती में ड्रोन का महत्व था। मेले में किसानों को ड्रोन के उपयोग और उससे होने वाले लाभ की जानकारी दी गई। साथ ही प्रत्येक जिले के दो प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया गया। मेले में किसानों को विश्वविद्यालय के अनुसंधान फार्म घुमाकर उन्हें वैज्ञानिक विधि से उगाई गई फसलों के प्रदर्शन प्लॉट दिखाए गए। उन्हें जैविक और प्राकृतिक खेती में उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ाने वाली फसलों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दी गईं।

इसके अलावा विश्वविद्यालय की ओर से किसानों के द्वारा लाये गए मिट्टी और पानी के सैंपल की जांच भी की गई। मेले में कुल 248 स्टॉल लगाए गए थे। इन स्टॉलों पर विश्वविद्यालय और गैर सरकारी एजेंसियों और मल्टीनेशनल कंपनियों द्वारा कृषि प्रौद्योगिकी, मशीनें, कृषि यंत्र आदि दिखाए गए जिन पर किसानों की भारी भीड़ देखने को मिली।

सब्सिडी पर सोलर पंप लेने के लिए किसान अभी आवेदन करें

देश में किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने और खेती की लागत को कम करने के लिए सरकार सब्सिडी पर सोलर पंप दे रही है। किसानों को यह सोलर पंप प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान यानि की पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत दिये जाएँगे। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों से ऑनलाइन आवेदन माँगे हैं, यूपी सरकार इस वर्ष योजना के अंतर्गत राज्य के 54,000 किसानों को सब्सिडी पर सोलर पंप देगी।

किसानों को सब्सिडी पर सोलर पंप देने के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। यूपी सरकार किसानों को 2 एचपी से लेकर 10 एचपी के सोलर पंप पर सब्सिडी उपलब्ध कराएगी। इसके लिए सरकार ने अलग-अलग सोलर पम्पों पर दी जाने वाली सब्सिडी और उसकी लागत निर्धारित कर दी है।

किसानों को सोलर पंप पर कितनी सब्सिडी दी जाएगी?

सरकार किसानों को पीएम कुसुम योजना के तहत सोलर पम्पों पर 60 प्रतिशत की सब्सिडी दे रही है। किसानों को यह सोलर पंप पहले आओ पहले पाओ के आधार पर दिये जाएँगे। 2 एचपी डीसी और एसी सरफेस पंप की लागत सरकार की और से 1,71,716 रुपये तय की गई है जिस पर किसान मात्र 63,686 रुपये देकर 2 एचपी डीसी और एसी सरफेस पंप खरीद सकते हैं।

वहीं 2 एचपी डीसी और एसी सबमर्सिबल पंप की क़ीमत सरकार की और से 1,74,541 एवं 1,74,073 रखी गई है, जिस पर किसान टोकन मनी सहित 64,816 एवं 64,629 रुपये देकर यह सोलर पम्प ले सकते हैं। वहीं 3 एचपी डीसी और एसी सबमर्सिबल पंप की कीमत 2,32,721 एवं 2,30,445 रुपये है, जिस पर किसानों को टोकन मनी सहित मात्र 88,088 रुपये एवं 87,178 रुपये देने होंगे।

इसके अलावा किसानों को 5 एचपी सबमर्सिबल पंप के लिए किसानों को अनुदान एवं टोकन मनी के बाद मात्र 1,25,999 रुपये, 7.5 एचपी सबमर्सिबल पंप के लिए किसानों को अनुदान के बाद मात्र 1,72,638 रुपये एवं 10 एचपी सबमर्सिबल पंप के लिए 2,86,164 रुपये की राशि देनी होगी।

किसानों को देना होगा टोकन मनी

राज्य के किसानों को सब्सिडी पर सोलर पम्प लेने के लिए कुछ टोकन मनी देनी होगी ताकि वही किसान आवेदन करें जिन्हें वास्तव में सोलर पंप अनुदान पर लेना है। किसानों की बुकिंग जनपद के लक्ष्य की सीमा से 110 प्रतिशत तक पहले आओ-पहले पाओ के सिद्धांत पर की जानी है। इसके लिए किसानों को ऑनलाइन बुकिंग के साथ 5,000/- रुपये की टोकन मनी ऑनलाइन जमा करनी होगी।

सब्सिडी पर सोलर पंप लेने के लिए आवेदन कहाँ करें?

योजना का लाभ उठाने हेतु कृषकों का विभागीय agriculture.up.gov.in पर पंजीकरण करना होगा। अनुदान पर सोलर पंप की ऑनलाइन बुकिंग हेतु विभागीय वेबसाइट agriculture.up.gov.in पर अनुदान पर सोलर पंप हेतु बुकिंग करें लिंक पर क्लिक कर ऑनलाइन बुकिंग की जाएगी। योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए किसान अपने ब्लॉक या जनपद के कृषि कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।

टोकन कन्फर्म करने के 14 दिनों के अंदर किसानों को शेष कृषक अंश की धनराशि का ऑनलाइन टोकन जनरेट कर चालान द्वारा इंडियन बैंक की किसी भी शाखा में अथवा ऑनलाइन जमा करना होगा अन्यथा कृषक का चयन स्वतः निरस्त हो जाएगा एवं टोकन मनी की धनराशि जब्त कर ली जाएगी। बुकिंग की समय-समय पर समीक्षा की जायेगी एवं यदि किसी जनपद में किसी पंप विशेष की माँग/बुकिंग कम होती है तो वह लक्ष्य अधिक माँग वाले जनपदों में स्थांतरित कर दिए जाएँगे।

सरकार किसानों से सीधे समर्थन मूल्य पर खरीदेगी यह फसलें, किसानों को यहाँ करना होगा ऑनलाइन पंजीयन

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ ही उन्हें विभिन्न फसलों के उचित दाम दिलाने के लिए कई प्रयास कर रही है। इस कड़ी में केंद्र सरकार ने बीते दिनों किसानों से ऑनलाइन दलहन फसलें खरीदने की घोषणा की थी, जिसके लिये किसानों से ऑनलाइन पंजीयन कराने हेतु एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया गया था। अब सरकार ने इन फसलों को किसान से खरीद करने के लिए लक्ष्य जारी कर दिए हैं।

केंद्र सरकार देश के किसानों से सीधे दलहन फसलें ख़ासकर मसूर और अरहर की खरीद करने जा रही है। सरकार किसानों से बफर स्टॉक की पूर्ति के लिए  6 लाख टन दाल की खरीद सीधे करेगी। इसके लिए किसान ई-समृद्धि पोर्टल पर अपना पंजीयन करा सकते हैं। खरीद प्रक्रिया को सहकारी समिति NAFED और NCCF के जरिए पूरा किया जाएगा। बफर खरीद मूल्य पर दाल की सरकारी खरीद की प्रक्रिया जनवरी से चल रही है।

किसानों से की जाएगी 6 लाख टन दालों की खरीद

सहकारिता मंत्रालय के अनुसार किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए सीधे उनसे अरहर और मसूर दाल की खरीद की जाएगी। बफर स्टॉक के लिए सहकारी समितियों NAFED और NCCF ई-समृद्धि पोर्टल पर रजिस्टर्ड किसानों से 6 लाख टन दाल की खरीद कर रही हैं। इसमें 4 लाख टन अरहर की दाल खरीदी जाएगी और 2 लाख टन मसूर की दाल खरीदी जाएगी। किसानों से यह फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य या इससे अधिक बाजार भाव के अनुसार की जाएगी, जिससे किसानों को इन फसलों के अच्छे दाम मिलने की उम्मीद है।

क्या है अभी मसूर और तूर फसलों का समर्थन मूल्य MSP

केंद्र सरकार ने पहले ही विभिन्न फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा कर दी है। इस वर्ष सरकार ने 2023-24 में अरहर यानी तूर दाल की खरीद का मूल्य 7000 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। वहीं, मसूर दाल पर सरकार एमएसपी रेट रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए 6,425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। सरकार इस रेट पर या इससे अधिक पर ही किसानों से इन फसलों की खरीद करेगी।

किसान कहाँ करें पंजीयन

महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, उड़ीसा, गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार झारखंड सहित अन्य राज्यों के किसान सीधे सरकार को अपनी उपज बेचने के लिए ई-समृद्धि पोर्टल esamridhi.in पर पंजीयन करा सकते हैं। किसानों को पंजीयन के लिए आधार, मोबाइल, बैंक डीटेल्स के साथ ही केवाईसी/बैंक और भूमि की जानकारी देना होगा। किसानों को खरीदी गई उपज का भुगतान सीधे डीबीटी के माध्यम से ऑनलाइन किया जाएगा।

इस तारीख से शुरू होगी सरसों एवं गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी

रबी फसलों की कटाई के साथ ही किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर इन फसलों को बेचने के लिए सरकारी खरीद शुरू होने की राह देख रहे हैं। इस बीच हरियाणा सरकार ने राज्य में किसानों से समर्थन मूल्य पर सरसों एवं गेहूं की खरीद के लिये तारीखों का ऐलान कर दिया है। हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जय प्रकाश दलाल ने एक्स पर पोस्ट कर गेहूं एवं सरसों की खरीद की तारीखों की जानकारी दी।

कृषि मंत्री ने एक्स पर ट्वीट कर जानकारी दी कि पहले की तरह इस वर्ष भी प्रदेश की मंडियों में समर्थन मूल्य MSP पर सरसों की खरीद 26 मार्च 2024 से एवं गेहूं की खरीद 01 अप्रैल 2024 से शुरू होगी। सरकार ने सरसों एवं गेहूं की खरीद के लिये तैयारी पूरी कर ली है, साथ ही खरीद केंद्र भी बना दिए गए हैं।

क्या है सरसों एवं गेहूं का समर्थन मूल्य MSP

केंद्र सरकार ने इस वर्ष सरसों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP 5,656 रुपये प्रति क्विंटल और गेहूं के लिए 2,275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। हालांकि, किसानों ने अपनी सरसों की फसल मंडियों में लानी शुरू कर दी है। निजी आढ़ती किसानों से एमएसपी से कम रेट पर सरसों खरीद रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि जल्दी और समय पर बोई गई सरसों की फसल कटाई के लिए तैयार है। हरियाणा में गेहूं की सरकारी खरीद के लिए 414 केंद्र और सरसों के लिए 104 केंद्र बनाए गए हैं। 

मौसम चेतावनी: 19 से 21 मार्च के दौरान इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

Weather Update: 19 से 21 मार्च के लिए वर्षा का पूर्वानुमान

अभी देश के कई हिस्सों में तापमान बढ़ने से गर्मी महसूस की जा रही है, तो वही कई हिस्सों में बारिश एवं ओले गिरने से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हो रहा है। इस बीच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD ने देश के कई राज्यों में 19 से 21 मार्च के दौरान बारिश एवं ओला वृष्टि की चेतावनी जारी की है। मौसम विभाग के अनुसार अभी एक चक्रवाती परिसंचरण पश्चिमी विदर्भ से होते हुए आंतरिक कर्नाटक तक बना हुआ है। साथ ही बंगाल की खाड़ी में प्रति चक्रवाती संचरण बना हुआ है। जिसके चलते देश के मध्य एवं पूर्वी राज्यों में तेज हवाओं के साथ बारिश एवं ओला वृष्टि हो सकती है।

मौसम विभाग के मुताबिक़ पूर्वी एवं पश्चिमी मध्य प्रदेश, विदर्भ, मराठवाडा, छत्तीसगढ़, झारखंड, गंगीय बंगाल, उड़ीसा, बिहार, तेलंगाना, तटीय आंध्र प्रदेश, तेलंगाना राज्यों में 19 से 21 मार्च के दौरान तेज हवाओं के साथ बारिश हो सकती है। वहीं अनेक स्थानों पर ओलावृष्टि होने की भी संभावना है। वहीं 19 से 20 मार्च के दौरान उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल एवं तटीय आंध्र प्रदेश में कई स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है।

मध्यप्रदेश के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

मौसम विभाग के भोपाल केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 19 से 20 मार्च के दौरान नर्मदापुरम, बैतूल, सिंगरौली, सीधी, रीवा, मऊगंज, सतना, अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, डिंडोरी, कटनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, मंडला, बालाघाट, मैहर, पांडुरना जिलों में गरज-चमक एवं तेज हवाओं के साथ बारिश हो सकती है। वहीं अनेक स्थानों पर ओलावृष्टि की भी संभावना है।

छत्तीसगढ़ के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओला वृष्टि

मौसम विभाग के रायपुर केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 19 से 20 मार्च के दौरान सरगुजा, जशपुर, कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, पेंड्रा रोड, बिलासपुर, रायगढ़, मूंगेली, कोरबा, जाँजगीर, रायपुर, बलोदबाजार, गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद, दुर्ग, बालोद, बेमतारा, कबीरधाम, राजनंदगाँव, बस्तर, कोंडागाँव, दंतेवाड़ा, सुकुमा, कांकेर, बीजापुर एवं नारायणपुर जिलों में गरज-चमक एवं तेज हवाओं के साथ बारिश हो सकती है। वहीं अनेक स्थानों पर ओला वृष्टि की भी संभावना है।

बिहार के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग के पटना केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 19 से 21 मार्च के दौरान राज्य के पश्चिम चंपारण, सीवान, सारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सीतामढ़ी, मधुबनी, मुज़फ़्फ़रपुर, दरभंगा, वैशाली, शिवहर, समस्तीपुर, सुपौल, अररिया, किशनगंज, मधेपुरा, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार, बक्सर, भोजपुर, रोहतास, भभुआ, औरंगाबाद, अरवल, पटना, गया, नालंदा, शेख़पुरा, नवादा, बेगूसराय, लखीसराय, जहनाबाद, भागलपुर, बाँका, जमुई, मुंगेर एवं ख़गड़िया जिलों में अनेक स्थानों पर गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है।

झारखंड के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

मौसम विभाग के राँची केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 19 से 21 मार्च के दौरान झारखंड राज्य के राँची, बोकारो, गुमला, हजारीबाग, खूँटी, रामगढ़, पूर्वी–सिंघभूमि, पश्चिमी–सिंघभूमि, सिमडेगा, सरायकेला खरसावाँ, पलामू, गढ़वा, चतरा, कोडरमा, लातेहार, लोहरदगा, देवघर, धनबाद, दुमका, गिरडीह, गोड्डा, जामतारा, पाकुर एवं साहेबगंज ज़िलों में अधिकांश स्थानों पर गरज चमक एवं तेज हवाओं के साथ हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है। वहीं कई जगहों पर बारिश के साथ ओला वृष्टि की भी संभावना है।

महाराष्ट्र के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

मौसम विभाग के मुंबई केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 19 से 20 मार्च के दौरान राज्य के नांदेड, लातूर, अमरावती, भंडारा, बुलढ़ाना, चन्द्रपुर, गढ़चिरौली, गोंदिया, नागपुर, वर्धा, वॉशिम एवं यवतमाल जिलों अनेक स्थानों पर तेज हवाएँ (50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटा) चलने की संभावना है। साथ ही अनेक स्थानों पर गरज चमक के साथ हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। वहीं कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि भी हो सकती है।

वहीं यदि बात की जाये उत्तर प्रदेश की तो 19 से 20 मार्च के दौरान राज्य के बलिया, मऊ, देवरिया, मिर्जापुर, भदोही, सोनभद्र, प्रयागराज, वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर एवं चंदौली जिलों में कुछ स्थानों पर तेज हवा एवं गरज चमक के साथ हल्की वर्षा हो सकती है।

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