राष्ट्रव्यापी कृत्रिम बीजारोपण कार्यक्रम
11 सितम्बर 2019 को उत्तर प्रदेश के मथुरा में शुरू किया गया पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम और राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम की रिपोर्ट आने लगी है | यह योजना पूर्णत: केंद्र सरकार के द्वारा प्रायोजित है , इसके लिए केंद्र सरकार ने 12,652 करोड़ रूपये जारी किये थे |
इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह था कि देश भर के 60 करोड़ से अधिक पशुओं को मुहंपका रोग और ब्रुसेलोसिस रोग के नियंत्रण के लिए टीकाकरण करना तथा राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भधान कार्यक्रम के तहत देश के 687 जिलों में पशुओं को कृत्रिम गर्भधारण कराया जाना है | इस योजना को बाद में देश के 6,000 जिलों में विस्तार करने की योजना है |
3.5 लाख से अधिक गाय एवं भैस का कृत्रिम गर्भाधान
तीन माह बाद देश के 3.8 लाख गो–जातीय पशुओं की बीजारोपण किया गया है | इस योजना से देश के 3.7 लाख से अधिक किसानों के लाभ प्राप्त हुआ है | इसमें से 1,77,613 गायों को और 1,78,614 भैंसों को कृत्रिम गर्भधारण कराया गया है | यह योजना के तहत आकड़ें यह बताते हैं कि प्रतिदिन लगभग 25,000 पशुओं को कृत्रिम गर्भधारण कराया जा रहा है | अब अगला लक्ष्य यह है कि अगले 6 माह में देश के 1 करोड़ गो – जातीय बीजारोपण तथा उनके कान में पशुआधर टैग पहनाना है | इस योजना के तहत गाय और भैंस को ही कृत्रिम बीजारोपण किया जाए |
देश के 28 राज्यों में से तेलंगाना, गुजरात, आंध्र प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड तथा झारखंड राज्य योजना का लाभ प्राप्त करने में आगे हैं जबकि छत्तीसगढ़, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश हैं | पुर्वोतर राज्यों में सिक्कम को छोड़कर बाकि सभी राज्य पीछे हैं लेकिन पक्षिम बंगाल में यह योजना अभी शुरू ही नहीं हुई है | ऐसी उम्मीद जताई जा रही है की चुनिन्दा जिलों में कृत्रिम बीजोपचार कवरेज के 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 45 होने का अनुमान है |
कृत्रिम गर्भाधान से लाभ ?
19 वीं पशुधन संगणना 2012 के तहत देश में अभी गायों कि संख्या 190.9 मिलियन है जबकि भैंसों की 108.7 मिलियन है | जबकि देश में एक वर्ष में 187 मिलियन दूध का उत्पादन होता है और विश्व में दूध उत्पादन में पहले स्थान पर बने हुये हैं | दूध की वृद्धि प्रतिवर्ष 6.62 प्रतिशत के विकास दर हासिल किये हुये हैं | दूध उत्पादन में भैंसों का योगदान 26 प्रतिशत है जबकि देशी गायों का योगदान मात्र 10 प्रतिशत ही है | वर्ष 2016 – 17 के अनुसार प्रति व्यक्ति उपलब्धता 375 ग्राम प्रतिदिन है | आज भी सभी व्यक्तियों को दूध नहीं मिल पाता है | इसका कारण यह है कि देश में प्रति पशु दूध उत्पादन क्षमता लगभग 4.5 लीटर हैं |
बिहार के एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 12.12 लाख किसान परिवार दुग्ध उत्पादन से जुड़े हुये हैं और इन परिवारों के द्वारा पशुपालन से प्रतिदिन 19.31 लाख किलो दुग्ध का उत्पादन किया जाता है | इसका मतलब यह हुआ कि प्रति परिवार मात्र 1.5 लीटर दूध का उत्पादन किया जाता है |
ऐसी अवस्था में कुछ किसान कम दूध देनें वाली तथा दूध नहीं देने वाली गायों को खुला छोड़ देते हैं तथा उसे वापस कभी नहीं लेते हैं | इसका मुख्य कारण भारत के मवेशियों के द्वारा कम दूध उत्पादन क्षमता है | इससे पाने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रव्यापी कृत्रिम बीजारोपण कार्यक्रम (एनएआईपी) को शुरू किया है | इसका मुख्य मकसद यह है कि देशी पशुओं में कृत्रिम बीजारोपण करके दूध उत्पादन को बढ़ाया जाये |