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शुक्रवार, अप्रैल 26, 2024
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कृषक समृद्धि योजना

कृषक समृद्धि योजना

योजना का उद्देश्य :-

कृषि वानिकी से कृषक समृद्धि योजना के उद्देश्य निम्नलिखित हैं |

  • प्रदेश में निजी भूमि पर वृक्षारोपण / बांस रोपण कर कृषकों की आय बढ़ाते हुए खेती को लाभ का व्यवसाय बनाना |
  • अतिवृष्टि / सूखे की स्थिति में फसल हानि होने पर कृषकों के लिये वनोपज से आय का अतिरिक्त स्रोत उपलब्ध करना |
  • वृक्षारोपण के माध्यम से भू – जल संरक्षण कर कृषि उत्पादन में वृद्धि |
  • निजी क्षेत्र में वनोपजन उत्पादन को बढावा देकर शासकीय वनों पर दवाब कम करना |

योजना के अंतर्गत पुरे प्रदेश में वर्ष 2017 एवं वर्ष 2018 में 2.60 करोड़ पौधों का रोपण कृषकों द्वारा अपनी निजी भूमि पर किया जायेगा | इससे न केवल कृषकों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी , बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में भी सहायता मिलेगी |

योजना का घटक :-

इस योजना का मुख्य घटक निम्नानुसार है –

  • नि:शुल्क पौधा प्रदाय (अधिकतम 5000 पौधों की सीमा तक)
  • कृषकों को प्रति जीवित पौधे पर दो वर्षों में रु.25 /- का अनुदान
  • वनदुत को प्रति जीवित पौधे पर दो वर्षों में रु. 7 /- का अनुदान

योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने की प्रक्रिया :-

  • कृषक रोपण हेतु पौधों की व्यवस्था स्वयं करेगा या नि:शुल्क पौधों प्राप्त करने हेतु आवेदन करेगा | यदि कृषक द्वारा पौधों की व्यवस्था स्वंय की जाती है तो रोपणी पौधों की न्यूनतम ऊँचाई 1.5 फिट से कम नहीं होनी चाहिए |
  • नि:शुल्क पौधा केवल अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त की रोपणियों से प्रदाय किया जायेगा |
  • जब कोई कृषक प्रारूप – 1 में नि:शुल्क पौधे हेतु आवेदन करेगा तो उसके स्वामित्व की भूमि का निरीक्षण कर यह सुनिश्चित किया जायेगा कि वास्तव में उसके पास उतने पौधे रोपण करने हेतु भूमि उपलब्ध है | यदि कृषक के पास रोपण हेतु पर्याप्त भूमि पाई जाती है तब ही उसे नि:शुल्क पौधा प्राप्त करने हेतु उपयुक्त मानकर उसकी मांग के अनुसार पौधा तैयार किया जावेगा | कृषक द्वारा यह स्पष्ट किया जायेगा की वह रोपणी से पौधे के परिवहन स्वंय करेगा अथवा वन विभाग द्वारा व्यवस्था करनी होगी |
  • कृषक के द्वारा माह फ़रवरी से अप्रैल के मध्य रोपण हेतु गढढे खोदे जाकर इसकी सुचना जिला अथवा विस्तार अधिकारी को डी जावेगी | एसी सुचना प्राप्त होने पर सम्बंधित अधिकारी द्वारा स्थल का निरिक्षण कर इसकी सुचना सम्बंधित रोपणी प्रभारी को डी जावेगी | कृषक द्वारा गडढे खोदे जाने एवं वृक्षारोपण क्षेत्र की सुरक्षा हेतु की गई व्यवस्था की पुष्टि होए के बाद ही नि:शुल्क पौधा प्राप्त करने हेतु पात्र मन जावेगा | एसे कृषक द्वारा वर्षा ऋतू के पूर्व रोपणी प्रभारी से सम्पर्क करनेपर निर्धारित सीमा के अन्दर खोदे गए गडढ़ों के अनुसार नि:शुल्क पौधा प्रदाय किया जावेगा | यदि कृषक के अनुरोध पर परिवहन वनविभाग द्वारा किया जाता है तो मुख्य वन संरक्ष्ण (अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त) द्वारा निर्धारित परिवहन शुल्क कृषक द्वारा डे होगा , जो बाद में प्रोत्साहन राशि से कटा जावेगा |
  • मुख्य वन संरक्ष्ण, अनुसंधान,एवं विस्तार द्वारा जिलावार अथवा ब्लाकवार नि:शुल्क पौधा प्रदाय का कोटा निर्धारित किया जा सकेगा | एसी स्थिति में प्रथम आओ प्रथम पाओ के अनुसार निर्धारित कोटा के अन्तर्गत नि:शुल्क पौधा प्रदाय किया जावेगा |
  • वनदूत – योजना में अपने विकासखण्ड का कोई भी व्यक्ति सबंधित जिले के अनुसार एवं विस्तार वृत्त में पंजीयन कराकर चिन्हित वनदूत क्षेत्र के लिए वनदूत बन सकता है |

वनदूत की भूमिका:-                                       

  • वनदूत को आवंटित क्षेत्र में योजना का प्रचार – प्रसार |
  • इच्छुक कृषकों से यह जानकारी प्राप्त करा की उन्हें किस प्रजाति के कितने पौधों की आवश्यकता है |
  • कृषकों को आवश्यकता पौधों की उपलब्धता हेतु निकटस्थ शासकीय / निजी रोपणियों की जानकारी उपलब्ध कराना |
  • जो कृषक शासकीय रोपणियों से पौधा प्राप्त करना चाहते है उन्हें पौधा उपलब्ध कराने व उसके परिवहन करने में सहायता उपलब्ध करना | इस हेतु यदि आवश्यकता हो तो सामूहिक रूप से परिवहन के लिए वाहन की व्यवस्था कराना |
  • एसे कृषक जिनके द्वारा वन विभाग की अनुसंधान एवं विस्तार शाखा की रोपणी से पौधा प्राप्त करना चाहा जा रहा है, उनकी सूचि बनाकर सम्बंधित रोपणी अथवा मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान एवं विस्तार के कार्यालय में जमा कराना |
  • रोपणी से प्राप्त पौधों के रोपण करने एवं रख – रखाव में सहयोग करना |
  • रोपण की वन / राजस्व अभिलेखों में प्रविष्ट कराने में सहयोग |
  • रोपण के अनुश्रवण में वन एवं राजस्व विभाग को सहयोग |
  • रोपण हेतु पात्रता अनुसार अनुदान प्राप्त करने में कृषक को सहयोग |
  • कृषक एवं वन तथा राजस्व विभाग के मध्य लिंक स्थापित करना |
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कृषक की भूमिका:-

  • रोपण हेतु विवाद रहित भूमि का चयन |
  • स्वयं की जरूरत अथवा बाजार की मांग अनुसार प्रजाति का चयन एवं प्रजातिवार पौधों की आवश्यकता संख्या का आंकलन |
  • पौधे रोपित करने के लिए भूमि की अग्रिम तैयारी |
  • शासकीय अथवा निजी रोपणी से सीधे संपर्क कर अच्छी गुणवक्ता के पौधे प्राप्त कर समय पर रोपित करना |पौधारोपण हेतु समस्त व्यवस्थायें करना |
  • वृक्षारोपण का तहसील में पंजीयन कराना |
  • रोपित पौधों का उचित रख – रखाव करना |
  • अनुश्रवण एवं मुल्यांकन में वन एवं राजस्व विभाग को सहयोग करना |
  • अन्य कृषकों को रोपण हेतु प्रोत्साहित करना |

पौधों की अधिकतम एवं न्यूनतम संख्या :-

योजना के अन्तर्गत नुनतम 50 पौधों एवं अधिकतम 5000 पौधों का रोपण एक किसान द्वारा लिया जा सकता है | जीवित पौधों की संख्या के आधार पर योजना का लाभ दो वर्षों तक मिलेगा |

प्रोत्साहन राशि का विवरण :-

रोपण वर्ष में रु.15/- एवं दुसरे वर्ष में रु. 10/- प्रति जीवित पौधा के मान से प्रोत्साहन राशि डी जावेगी | वनदुत को रोपण वर्ष में रु.4/- तथा दुसरे वर्ष में रु. 3 /- प्रोत्साहन राशि डी जाएगी |

वृक्षारोपण का पंजीयन :-

आवेदक यदि वृक्षारोपण का पंजीयन तहसील एवं परिक्षेत्र कार्यालय में कराता है तो भविष्य में वृक्षों की कटाई की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी |

प्रोत्साहन राशि स्वीकृत हेतु प्रक्रिया :-

इस योजना के अन्तर्गत लाभ प्राप्त करने के इच्छुक कृषक सम्बन्धित मुख्य वन संरक्षण, अनुसंधान एवं विस्तार को निर्धारित प्रारूप – 2 में आवेदन कर सकेंगे | इस वनदूत के मध्यम से अथवा स्वयं कृषक द्वारा निम्न में से किसी स्थान पर दिया जा सकेगा |

  • कार्यालय मुख्य वन संरक्षण, अनुसंधान एवं विस्तार
  • अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त के जिला अथवा ब्लाक विस्तार प्रभारी
  • क्षेत्रीय वन परिक्षेत्र अधिकारी

मुख्य वन संरक्षण अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त कार्यालय यदि उक्त अन्य किसी अधिकारी को आवेदन पात्र प्राप्त होते हैं तो वे आवेदन पत्र प्राप्त होने की तिथि से एक सप्ताह के अन्दर इसे संबंधित अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त कार्यालय को अग्रेषित करेंगें |

रोपण के उपरांत आवेदक द्वारा अक्टूबर माह में (अथवा रोपण से 120 दिनों के भीतर) जीवित पौधों की संख्या का एक घोषणा पत्र प्रारूप – 3 में प्रस्तुत किया जावेगा | कृषक द्वारा दो स्वतंत्र गवाहों से इसमें दिए गये विवरण की पुष्टि भी कराई जायेगी | यह घोषणा पत्र आवेदक द्वारा उपरोक्त बिंदु में उल्लेखित किसी भी स्थान पर दिया जा सकेगा | मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त कार्यालय के अतिरिक्त यदि उक्त अन्य किसी कार्यालय में घोषणा पत्र प्राप्त होते हैं तो सम्बंधित कार्यालय घोषणा पत्र प्राप्त होने की तिथि से एक सप्ताह के अन्दर इसे संबंधित अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त कार्यालय को अग्रेषिक करेंगे |

संबंधित अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त के भारसाधक अधिकारी स्वंय या उनके द्वारा नामांकित किसी वन अधिकारी / कर्मचारी अथवा वनदूत के मध्यम से माह नवम्बर में (अथवा घोषणा पत्र प्राप्त होने से 30 दिनों के भीतर) रोपण स्थल का निरीक्षण कराकर दावे की सत्यता की पुष्टि का सत्यापन प्रारूप – 4 में करायेंगे | सत्यापन पश्चात आवेदक को प्रथम वर्ष में रोपित एवं जीवित पौधों की संख्या के मान से प्रोत्साहन राशि माह दिसम्बर में उनके बैंक खाते में प्रदी की जावेगी | संबंधित वनदूत को उसकी प्रोत्साहन राशि उसके योगदान के मूल्यांकन के उपरांत माह जनवरी में उसके बैंक खाते में प्रदाय की जायेगी |

रोपण के दिव्तीय वर्ष में भी आवेदक द्वारा प्रारूप – 3 में रोपण वर्ष का उल्लेख करते हुए स्वयं प्रमाणित तथा दो स्वतंत्र गवाहों द्वारा पृष्टि किया गया घोषणा पत्र माह अक्टूबर में प्रस्तुत किया जावेगा | माह नवम्बर में इस दावे की सत्यता की उपरोक्तानुसार पुष्टि के पश्चात माह दिसंबर में आवेदक को सम्बंधित मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान एवं विस्तार द्वारा प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जा सकेगा | सम्बंधित को उसकी प्रोत्साहन राशि उसके योगदान के मूल्यांकन के उपरांत माह जनवरी में उसके बैंक खाते में प्रदाय की जायेगी|

पौधा रोपण हेतु तकनीकी जानकारी :-

पौधा रोपण की सामान्य विधि लगभग समान होती है | जमीन, जल, तापक्रम एवं वातावरण वृक्ष प्रजातियों को प्रभावित करते है | उदाहरन के लिए आवंला काली फटने वाली जमीन, जल भराव क्षेत्र एवं ठंडा क्षेत्र में कम आता है | पौधा रोपण की सामान्य जानकारी निम्न प्रकार है :-

स्थल चयन :-

सबसे पहले स्थल चयन कर भूमि का प्रकार देखें एवं मिटटी का परीक्षण कराने के बाद उचित प्रजाति का पौधा रोपण करना चाहिए |

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सुरक्षा कार्य :-

जिस स्थान पर रोपण कराना है वहां सुरक्षा की पूर्ण व्यवस्था करनी चाहिए, सुरक्षा जैविक फैंसिग और कांटेदार टार या चैंलिंक, ट्री गर्द आदि से की जावे |

गड्ढा खुदाई :-

पौधा लगाने से लगभग एक या दो माह पूर्व माह मार्च एवं अप्रैल में गड्ढा खुदाई का कार्य कराना चाहिए जिससे गर्मी में गड्ढा एवं उसकी मिटटी उपचारित हो जाये |

गड्ढा का आकार :-

सामान्य तौर पर वृक्ष प्रजातियों के लिए मिटटी के प्रकार के मुताबिक मुलायम मिटटी में 1.5 × 1.5 फुट एवं कठोर मिटटी में 2 × 2 फुट गडढे खोदना चाहिए |

गडढों की भराई :-

पौधा रोपण के समय 15 से 20 दिन पूर्व गड्ढा भराई कार्य कर देना चाहिए, जिससे गडढों में भरा हुआ मिश्रण अच्छी तरह से बैठ जाए और रोपण के समय जब पानी देते हैं, तब मिटटी नीचे ना बैठे, जिससे पौधों की जड़ें प्रभवित न हो सके |

गड्ढों में भरने वाला मिश्रण :-

मिटटी खराब हो तो बाहर की मिटटी प्रयोग करना चाहिए काली या चटकने वाली (दर्रावाली) या चिकनी मिटटी हो तो रेत मिला लेना चाहिए (2 × 2 फुट के गडढे में लगभग 1 से 1.5 घनफुट रेत) |

पौधा रोपण :-

पालीथीन बैग के पौधे का पालीथीन सावधानिकपूर्वक इस प्रकार हटाया जायें कि उसकी जड़ पर लगी मिटटी न हेट | तदोपरांत गडढे के बीच की मिटटी हटाकर पौधा रखें एवं उसे ठीक से चरों और से मिटटी का मिश्रण भरकर दबा दें |

रोपित पौधों की दिशा निर्धारण :-

पौधे लाईन में पूर्व से पश्चिम की और होना चाहिए तथा एक लाईन से दूसरी लाईन में कम से कम 3 मीटर का अंतराल होना चाहिए जिससे बीच की जगह में कृषि फसल का उत्पादन किया जा सकेगा |

नोट:- योजना का लाभ लेने हेतु कृषक निम्न में से किसी भी स्थान / कार्यालय में आवेदन दे सकते हैं \

  • कार्यालय वैन विस्तार अधिकारी, अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त
  • कार्यालय मुख्य वन संरक्षण , अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त
  • वनमंडल कार्यालय (क्षेत्रीय)
  • परिक्षेत्र कार्यालय (क्षेत्रीय)

क्षेत्रीय वनमंडल एवं अनुसंधान वृत्तों के अमले के बीच समन्वय :-

प्रधान मुख्य वन संरक्षण (HOFF) भोपाल के आदेश क्रमांक / अ.वि. / विस्तार – 2016 / 2351 दिनांक 16/12/2016 द्वारा कृषि वानिकी से कृषि समृधि योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु भूमिकाओं का निर्धारण एवं कार्य आवंटन किया गया है |

वर्तमान में अनुसंधान एवं विस्तार वृत्तों में अमले की कमी को देखते हुए क्षेत्रीय वन मण्डल के अमले की व्यापक सहभागिता से यह योजना क्रियान्वित किया जाना है | अत: क्षेत्रीय वनमंडलों एवं विस्तार वृत्तों के आपसी समन्वय हेतु निम्नानुसार कार्य विभाजन किया गया है –

क्षेत्रीय वनमंडलों एवं वृत्तों के कार्य :-

  • कृषकों से सम्पर्क स्थापित कर इस योजना की जानकारी देना तथा इच्छुक कृषकों से प्रजातिवार पौधों की मांग संकलित कर संबंधित अनुसंधान एवं विस्तार वृत्तों को माह दिसंबर 2016 के अंत तक उपलब्ध करना |
  • मांग अनुसार पौधे अनुसंधान एवं वृत्त की रोपणियों से प्राप्त कर उसका कृषकों के ग्रामों तक परिवहन करा कर उन्हें उपलब्ध कराना | इस योजना के अंतर्गत अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त के पास उपलब्ध वाहन पौधा परिवहन हेतु संबंधित क्षेत्रीय वन मंडलों को उपलब्ध कराये जावेगें |
  • कृषकों के द्वारा किये गए वृक्षारोपणों का भौतिक सत्यापन किया जाकर उनसे संबंधित प्रोत्साहन राशि का भुगतान उनके खातें में सुनिश्चित करना |तत्पशचात संबंधित वनदूतों का भुगतान करना |

उपरोक्त कार्यों हेतु राशि का आवंटन कैम्पा कक्ष द्वारा संबंधित वनमंडलों को किया जावेगा |

अनुसंधान एवं विस्तार वृत्तों के कार्य :-

  • क्षेत्रीय वनमंडलों से प्राप्त मांग अनुसार पौधे तैयार करना अथवा औधोगिक इकाईयों से अथवा फलोधानिकी विभाग से अथवा मध्यप्रदेश राज्य बास मिशन से समन्वयन स्थापित कर पौधों की व्यवस्था कर उन्हें कृषकों को प्रदाय करने हेतु समन्वय वनमंडलों को उपलब्ध कराना |
  • वनदूतों कर सूचि क्षेत्रीय वनमंडलों को उपलब्ध करना जिनकी सहायता से वनदूत इकाई वार इच्छुक कृषकों की जानकारी का संकलन एवं रोपित पौधों का भौतिक सत्यापन उनके द्वारा करवाया जा सके |
  • रोपणियों के अमले को छोड़कर शेष अमला योजना से संबंधित विस्तार कार्यों हेतु क्षेत्रीय वनमंडलों को उपलब्ध करना |

उपरोक्त कार्यों हेतु राशि का आवंटन कैम्पा कक्ष द्वारा सीधे अनुसंधान एवं विस्तार वृत्तों  वनमंडलों को किया जावेगा |

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