फसल चक्र के दौरान फसलों में कई-तरह के कीट एवं रोग लगते हैं, जो फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में किसान इन कीटों का नियंत्रण जैविक एवं प्राकृतिक तरीके से कर सकते हैं। जिससे ना केवल कम लागत में फसलों में लगने वाले कीटों का नियंत्रण किया जा सकेगा बल्कि गुणवत्ता युक्त उत्पाद भी प्राप्त होगा। इस कड़ी में एमपी के सीहोर जिले के कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इस समय दलहनी, तिलहनी एवं सब्जी फसलों में रस चूसक कीट माहू, मच्छर, लीफ माइनर, छोटी-बड़ी इल्ली का प्रकोप देखा जा रहा है। किसानों को इन कीटों का नियंत्रण आवश्यक रूप से करना चाहिए।
किसान इस तरह करें नीमास्त्र का छिड़काव
कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक नीमास्त्र का उपयोग रस चूसक कीट, लीफ माइनर, छोटी इल्लियों के नियंत्रण के लिए किया जा सकता है। इसके लिए किसानों को 5 किलोग्राम नीम की हरी पत्तियों या 5 किग्रा सूखी निंबोली को पीसकर 100 लीटर पानी में मिलाना होगा। इसके साथ ही 5 लीटर गौमूत्र एवं देशी गाय का 1 किलोग्राम गोबर मिला लें व लकड़ी से घोलकर ढककर रख दें। दिन में 2-3 बार घोल को चलाएं। 48 घंटे बाद कपड़े से छानकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
इस तरह करें ब्रह्मास्त्र का छिड़काव
कृषि वैज्ञानिक के अनुसार अनुसार ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल बड़ी इल्लियों व सुंडियों के नियंत्रण के लिए किया जाता है। इसको बनाने के लिए किसान 10 लीटर गौमूत्र में 3 किग्रा नीम की पत्ती, 2 किग्रा करंज की पत्ती, 2 किग्रा सीताफल के पत्ते, 2 किग्रा सफेद धतूरे के पत्ते पीसकर डालें। इन सभी को गौमूत्र में घोलें व ढककर उबालें। 3-4 उबाल आने के बाद रख दें व 48 घण्टे तक ठण्डा होने दें। बाद में कपड़े से छान लें। इसके 2 से 2.5 लीटर घोल को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें।
किसान इस तरह करें आग्नेयास्त्र का छिड़काव
इसका इस्तेमाल पेड़ के तनों व डंठलों में रहने वाले कीड़ों, सुण्डियों व इल्लियों पर नियंत्रण के लिए किया जाता है। इसको बनाने के लिए किसान 10 लीटर गौमूत्र में 500 ग्राम हरी मिर्च, 500 ग्राम लहसुन, 5 किग्रा नीम के पत्ते पीसकर डालें। लकड़ी के डण्डे से घोलें व उबालें, 4-5 उबाल आने पर उसे रख दें व 48 घण्टे तक ठण्डा होने दें। बाद में कपड़े से छान लें। इसके 2 से 2.5 लीटर घोल को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें।
पंचगव्य और दशपर्णी अर्क का छिड़काव कैसे करें
कृषि वैज्ञानिक के अनुसार पंचगव्य गाय के गोबर, घी और गुड़ को पूरी तरह मिलाकर एक घड़े में रखें और शेष सभी सामग्री को एक-एक कर मिला दें। 3 लीटर पंचगव्य को 100 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़कें। वहीं दशपर्णी अर्क का उपयोग बड़ी सुण्डियों व इल्लियों के नियंत्रण के लिए किया जाता है।
इसको बनाने के लिए किसान गोबर-गौमूत्र को पानी में घोलकर 2 घंटे के लिए रख दें। हल्दी का पाउडर, अदरक की चटनी व हींग के पाउडर को अच्छी प्रकार मिलाकर 24 घंटे के लिए छाया में रखें। इस मिश्रण को हिलाकर, सोंठ पाउडर, तम्बाकू का पाउडर, तीखी मिर्च व देशी लहसुन अच्छी प्रकार मिलाकर 24 घंटे के लिए रख दें। पौधों के पत्तों को इस मिश्रण में दबा दें। मिश्रण को बोरी से ढककर 30-40 दिन के लिए रख दें व इसे सुबह-शाम घोलें। 6-8 लीटर अर्क को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें।