फसलों को नाइट्रोजन पोषक तत्व की पूर्ति के लिए यूरिया खाद का इस्तेमाल किया जाता है। बाजार में अभी यूरिया खाद के लिए कई प्रोडक्ट जैसे नीम लेपित यूरिया, नैनो यूरिया आदि उपलब्ध है। इस कड़ी में केंद्र सरकार द्वारा सल्फर लेपित यूरिया यानि की यूरिया गोल्ड की भी शुरुआत की गई है। जिसको लेकर 21 मार्च के दिन लोकसभा में रसायन और उर्वरक विभाग से सवाल पूछा गया।
सांसद श्री बाबू सिंह कुशवाह ने अपने सवाल में पूछा कि सरकार द्वारा देश में सल्फर लेपित यूरिया यानि की यूरिया गोल्ड की शुरुआत के पीछे क्या कारण है और इस उर्वरक से मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर करने के लिए क्या क़दम उठाए जा रहे हैं। जिसका जवाब रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने दिया।
सल्फर लेपित यूरिया (यूरिया गोल्ड) से क्या लाभ होगा
रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री ने जवाब में बताया कि सल्फर लेपित यूरिया (यूरिया गोल्ड) की शुरुआत बेहतर नाइट्रोजन ग्राह्यता दक्षता प्राप्त करने के उद्देश्य से की गई थी क्योंकि सल्फर का लेपन होने के कारण मिट्टी में यूरिया धीमी गति से स्रावित होता है। सल्फर की कमी वाली मिट्टी में यह विशेष रूप से फायदेमंद है। एफसीओ के विनिर्देशों के अनुसार सल्फर लेपित यूरिया (यूरिया गोल्ड) में 17 प्रतिशत सल्फर और 37 प्रतिशत नाइट्रोजन है।
सल्फर एक महत्वपूर्ण द्वितीयक पोषक तत्व है जो जड़ों के विकास, नोड्यूलेशन, मेटाबॉलिक गतिविधियों में सहायता करता है और फसलों की पैदावार, गुणवत्ता और प्रतिरोधकता में सुधार करता है। यह अन्य आवश्यक पादप पोषक तत्वों, विशेष रूप से नाइट्रोजन (N) और फास्फोरस (P) पोषक तत्व के उपयोग की ग्रहण क्षमता को भी बढ़ाता है।
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