नि:शुल्क पशु टिकाकरण कार्यक्रम
देश के प्रधान मंत्री 11 सितम्बर 2019 को मथुरा में खुरपका और मुँहपका की बीमारी तथा ब्रुसेलोसिस के लिए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे | इस अवसर पर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम को भी लंच करेंगे |
पशु विज्ञान एवं आरोग्य मेले में भी शामिल होंगे तथा बाबूगढ़ सेक्स सीमेन सुविधा और देश के सभी 687 जिलों के कृषि विज्ञान केन्द्रों में कार्यशाला का शुभारंभ करेंगे | कार्यशाला का विषय है – टीकाकरण और रोग नियंत्रण, कत्रिम गर्भाधान एवं उत्पादकता आदि |
खुरपका और मूंहपका रोग तथा ब्रुसेलोसिस के लिए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम का शत प्रतिशत वित्त पोषण केंद्र सरकार करेगी | इस मद में 2019 से 2024 के लिए 12,652 करोड़ रूपये आवंटित किए गए हैं | कार्यक्रम का उद्देश्य टीकाकरण के माध्यम से खुरपका और मूंहपका रोग तथा ब्रुसेलोसिस को 2025 तक नियंत्रित करना तथा 2030 तक पूरी तरह समाप्त करना है |
खुरपका तथा मूंहपका रोग क्या है ?
यह रोग गाय, भैंस दोनों में होता है | इसके अलावा मिथुन तथा हाथी में भी होता है लेकिन दुधारू पशुओं में ज्यादा होता है | यह रोग ए छोटे से विषाणु से होता है तथा अत्यधिक तेजी से फैलता है और कुछ ही समय में आस – पास के गाँव के पशुओं में फैल जाता है | रोग से दूध उत्पादन में कमी के साथ – साथ प्रजनन में कमी भी आती है |
रोग के लक्षण क्या है ?
यह रोग युवा पशु के लिए जानलेवा है | लेकिन व्यस्क पशु में मौत की सभावना कम है | मौत का कारण प्राय: गलाघोटु के कारण से होता है | पशुओं में इस तरह पहचान सकते हैं कि आप के पशु में खुरपका तथा मुहँपका में रोग है |
- मूंह से अत्यधिक लार का टपकना (रस्सी जैसा)
- जीभ तथा तलवे पर छलों का उभरना जो बाद में फट कर घाव में बदल जाते हैं |
- जीभ की सतह का निकल कर बाहर आ जाना एवं थूथनों पर छलों का उभरना |
- खुरों के बीच में घाव होना जिसकी वजह से पशु का लंगड़ा कर चलना या चलना बन्द कर देता है | मूंह में घावों कि वजह से पशु भोजन लेना तथा जुगाली करना बन्द कर देता है एवं कमजोर हो जाता है |
- दूध उत्पादन में लगभग 80 प्रतिशत की कमी , गाभिन पशुओं के गर्भात एवं बच्चा मर हुआ पैदा हो सकता है |
- बछड़ों में अत्यधिक ज्वर आने के पश्चात् बिना किसी लक्षण की मृत्यु होना |
Bhavwatpur
जी क्या जानकारी चाहिए ?