कद्दुवर्गीय सब्जियों में गमी स्टेम ब्लाइट रोग
अभी गर्मी के मौसम में अधिकांश किसान कद्दुवर्गीय सब्जियां जैसे लौकी, खीरा, खरबूजा, तरबूज आदि फसलों की खेती कर रहे हैं | गर्मी के मौसम में इन सब्जी फसलों में कई जगहों पर गमी स्टेम ब्लाइट नामक रोग (गोंदिया तना झुलसा) का प्रकोप देखा जा रहा है | इस रोग के चलते फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है | किसान समाधान आपके लिए इस रोग की पहचान एवं उसके उपचार की जानकारी लेकर आया है |
गमी स्टेम ब्लाइट रोग
यह बिमारी संदूषित बीजों के कारण से होता है | कद्दूवर्गीय सब्जी फसलों में गमी स्टेम ब्लाइट रोग (गोंदिया तना झुलसा) अवस्था संक्रमित तनों पर विकसित होती है, जो अक्सर पौधे के शीर्ष के निकट होता है। संक्रमण के ये घाव आमतौर पर खुले होते हैं और इनसे चिपचिपे, तृणमणि (अम्बर) रंग के द्रव का स्रावण होता है। तनों पर होने वाले संक्रमणों में मुहांसों की भाँति उठी हुई रचनाएँ दिखाई देती हैं जिनके भीतर रोगकारक कवक के बीजाणुओं का उत्पादन होता है। इन बीजाणुधानियों से चिपचिपे निःस्राव निकलते हैं।
रोग की रोकथाम
इस रोग के उपचार के लिए थियोफानेट मिथाईल 70 प्रतिशत डब्ल्यूपी 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोलकर छिड़काव करना चाहिये तथा साथ ही तने के जिस भाग में क्रेकिंग हो गया है। वहां पर कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 4 ग्राम, 10 ग्राम चूना प्रति लीटर पानी में घोलकर उसका लेप लगाना चाहिये, इससे खड़ी फसल में रोग की रोकथाम की जा सकती है।
गमी स्टेम ब्लाइट रोग से कैसे बचे ?
यह बिमारी संदूषित बीजों के कारण से होती है, अतः किसान भाई बुआई से पूर्व बीजों का उपचार कर फसल को रोग से बचाया जा सकता है | बुआई से पहले बीजों को कार्बेन्डाजिम या कैप्टन दवा की 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचार करके बुवाई करना चाहिए तथा बुआई से पहले मिट्टी तैयार करते समय आखरी जुताई से पहले मिट्टी में गोबर 100 किलोग्राम ट्राईकोडर्मा (एक से डेढ़ किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से) का छिडकाव करना चाहिए | इस रोग के रोगकारक मिट्टी में 2–4 साल तक जीवित रहते हैं | उचित फसल चक्र (नाँन कुकूबिटेसी फसल लगाना) अपनाकर इस रोग को कम किया जा सकता है |