किसान गेहूं की फसल से अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा लगातार सलाह जारी की जा रही है। इस कड़ी में बढ़ती हुई गर्मी को देखते हुए भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल की ओर से गेहूं की खेती करने वाले किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। किसानों को यह सलाह 15 अप्रैल तक गेहूं फसल में किए जाने वाले कामों को लेकर की गई है।
भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (ICAR–IIWBR) ने गेहूं किसानों के लिए जारी सलाह में देश के अलग-अलग क्षेत्रों में गेहूं की फसल के लिए सलाह जारी की है। इसमें किसानों को जहां तापमान अधिक है वहाँ पर किसानों को सूखे से बचाने के लिए दवा के छिड़काव की सलाह दी है तो वहीं देर से बोई गई गेहूं की फसल में हल्की सिंचाई करने की सलाह भी दी गई है।
गेहूं की खेती करने वाले किसान करें यह काम
- मध्य और प्रायद्वीपीय भारत के किसानों को सलाह दी गई है कि किसान कटाई के समय उचित नमी 12 से 13 प्रतिशत तक बनाये रखें और गेहूं के सुरक्षित भंडारण के लिए आवश्यक सफाई करें।
- उत्तर पूर्व और उत्तर पश्चिम भारत के किसानों को फसल की आवश्यकता के अनुसार हल्की सिंचाई करने की सलाह दी गई है ताकि परिपक्वता के लिए मिट्टी में उचित नमी बनी रहे।
- यदि अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है, तो किसान फसल को सूखे से बचाने और तनाव को कम करने के लिए 0.2 प्रतिशत म्यूरेट ऑफ पोटाश (प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में 400 ग्राम एमओपी) या 2 प्रतिशत KNO3 (200 लीटर पानी में 4 किलोग्राम प्रति एकड़) स्प्रे कर सकते हैं।
- पर्वतीय क्षेत्रों में किसानों को पीला रतुआ या भूरा रतुआ पर नजर रखनी चाहिए और प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी का छिड़काव करना चाहिए। इसके लिए किसानों को एक लीटर पानी में एक मिलीलीटर रसायन मिलना चाहिए। एक एकड़ में गेहूं की फसल में 200 मिलीलीटर कवकनाशी को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिये।
- देरी से बोई गई फसल में हल्की सिंचाई ही करनी चाहिए वहीं किसानों को कटाई के 8 से 10 दिन पहले फसल में सिंचाई बंद कर देनी चाहिए।
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