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मंगलवार, जनवरी 14, 2025
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किसान इस तरह करें धान की फसल में तना छेदक कीट का नियंत्रण

तना छेदक कीट की इल्ली अवस्था धान की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुँचाती है। इल्ली का रंग हल्के पीले रंग का होता है। कृषि वैज्ञानिकों ने तना छेदक कीट के नियंत्रण के लिए कई उपाय बताये हैं जिसमें जैविक और रासायनिक नियंत्रण शामिल हैं।

इस समय धान के खेत में कई जगहों पर तना छेदक कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है। इस कीट की इल्ली अवस्था, फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाती है। इस कीट की चार अवस्था होती है जिसमें अण्डा, इल्ली, शंखी व तितली आदि शामिल है। मादा तितली पत्तियों की नोंक के पास समूह में अण्डे देती है। अण्डे से इल्ली निकलती है जो हल्के पीले रंग की होती है। इल्ली निकलने के बाद, इल्ली पहले पत्तियों को खाते हुए धीरे-धीरे गोभ के अंदर प्रवेश करती है, जिससे पौधे की बढ़वार रूक जाती है।

कीट पौधे के गोभ के तने को नीचे से काट देता है, जिससे धान के पौधे का बीच वाला हिस्सा सूख जाता है। सूखे हुए हिस्से को मृत गोभ (डेड हार्ट) कहते है। इस कीट का प्रकोप बालियां निकलने के समय होता है जिससे फसल को भारी नुकसान होता है। बालियों में दाने का भराव नहीं हो पाता है और बालियां सूख कर सफेद रंग की हो जाती हैं जिसे सफेद बालियां (व्हाइट हेड) कहते हैं। प्रभावित बालियों को खींचने पर आसानी से बाहर निकल जाता है। कई बालियों में इल्ली अंदर दिखाई देता है।

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तना छेदक कीट का नियंत्रण के उपाय

कृषि विज्ञान केन्द्र, सुकमा के कृषि वैज्ञानिकों ने इसके नियंत्रण के लिए कई प्रभावी उपायों के बारे में बताया है। जिसमें रोपाई करते समय पौधे के ऊपरी भाग को थोड़ा सा काटकर रोपाई करना। खेतों एवं मेड़ों को खरपतवार मुक्त रखना। संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों का उपयोग करना। खेत की समय-समय पर निगरानी करना तथा अण्डे दिखाई देने पर नष्ट कर देना आदि शामिल है।

इसके अलावा किसान खेतों मे चिड़ियो के बैठने के लिए टी आकार की पक्षी मिनार लगायें । नर तितली को आकर्षित करने के लिए फेरोमोन ट्रैप लगायें। रात्रि चर कीट को पकड़ने के लिए प्रकाश प्रंपच या लाइट खेतों में लगायें। अण्ड परजीवी ट्राइकोग्रामा जॉपोनिकम के 50 हजार अण्डे प्रति हेक्टेयर की दर से दो से तीन बार खेत में छोड़ना चाहिए, उस समय रासायनिक कीटनाशक का स्प्रै ना करें। नीम अजेडीरेक्टीन 1500 पीपीएम का 2.5 लीटर प्रति हेक्टयर की दर से प्रयोग करें।

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तना छेदक कीट का रासायनिक नियंत्रण

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक दानेदार कीटनाशकों का छिड़काव गभोट वाली अवस्था से पहले करना चाहिए। बारिश रूकने व मौसम खुला होने पर ही नीचे दिए गए कीटनाशकों में से किसी एक कीटनाशक का प्रयोग करें।

  • क्लोरेटानिलिप्रोएल 0.4 प्रतिशत जीआर 10 किलो प्रति हेक्टेयर या
  • क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. 1250 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या
  • कर्टाफ हाइड्रोक्लोराइड 50 प्रतिशत एस.पी. 1000 ग्राम प्रति हेक्टेयर या
  • क्लोरेटानिलिप्रोएल 18.5 प्रतिशत एस.सी. 150 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या
  • फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एस.सी. 1000-1500 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या
  • फ्लूबेंडामाइड 20 प्रतिशत डब्ल्यू. जी. 125 ग्राम प्रति हेक्टेयर का उपयोग करके प्रभावी नियंत्रण कर सकते हैं।

ठीक न होने पर 15 दिन बाद दूसरे कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए किसान कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क करके ही रासायनिक दवाइयों का छिड़काव करें।

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