फसल चक्र के दौरान धान की फसल में कई तरह के कीट एवं रोग लगते हैं, इनमें पत्ती लपेटक कीट प्रमुख है। इस कीट की इल्ली पौधों की कोमल पत्तियों को सिरे की तरफ से लपेटकर सुरंग-सी बना लेती है और पत्ती को अंदर से खाती रहती हैं। फलस्वरूप पौधों की पत्तियों का रंग उड़ जाता है और पत्तियाँ सिरे की तरफ से सूख जाती हैं। इस कीट का प्रकोप अगस्त से लेकर अक्टूबर तक होता है। इस दौरान यह धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचाती है।
किसान इस कीट के नियंत्रण के लिए कीटों को प्रकाश प्रपंच (Light Trap) पर इकट्ठा करके मार सकते हैं। वहीं पत्ती लपेटक कीट के जैविक नियंत्रण के लिए अंड परभक्षी ट्राइकोग्रामा काइलोनिस 1,00,000-1,50,000 प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें।
वहीं इस कीट के रासायनिक नियंत्रण के लिए किसान कारटैप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी, 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या क्विनालफ़ॉस 25 ई.सी., 2 मि.ली. प्रति लीटर या कारटैप हाइड्रोक्लोराइड 50 एस.पी. 1 मि.ली. प्रति लीटर या क्लोरोपायरीफ़ॉस 20 ई.सी., 2 मि.ली., प्रति लीटर या फ्यूबेडियामाइड 39.35 एस.पी., 1 ग्राम प्रति 5 लीटर पानी या एसिफेट 75 एस.पी., 2 ग्राम प्रति लीटर या मोनोक्रोटोफ़ॉस 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।