back to top
शनिवार, अप्रैल 27, 2024
होमकिसान समाचारपिंजरे में मछली पालन कर किसान यहाँ कर रहें है लाखों रुपये...

पिंजरे में मछली पालन कर किसान यहाँ कर रहें है लाखों रुपये की कमाई

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के सृजन एवं किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार मछली पालन को बढ़ावा दे रही है, इसके लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ भी चलाई जा रही हैं। इस क्रम में झारखंड के राँची स्थित गेतलसूद बांध में किसान पिंजरों (Cage Farming) में मछली पालन कर लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। 28 फरवरी के दिन मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने केज फार्मिंग की प्रगति की समीक्षा करने के लिए झारखंड के रांची स्थित गेतलसूद बांध का दौरा किया। यह समीक्षा झारखंड मत्स्य पालन विभाग के सहयोग से की गई।

बता दें कि झारखंड का रांची स्थित गेतलसूद जलाशय पंगेशियस और तिलापिया मछली प्रजातियों के संवर्धन के लिए केज फार्मिंग का केंद्र है। आसपास के सोलह गांवों के केज फार्मिंग करने वाले मछली किसान मत्स्य पालन सहकारी समितियों के सदस्य हैं। वे जीआई पाइप या मॉड्यूलर केजिज का उपयोग करते हैं। उनका औसत उत्पादन प्रति केज 3-4 टन है और जलाशय केज फार्मिंग से कुल लाभ प्रति वर्ष 4 लाख रुपये से अधिक है।

यह भी पढ़ें   जैविक खेती करके इस किसान ने अपनी आय की सात गुना, प्रधानमंत्री मोदी ने की सराहना

2012 से की जा रही है केज फार्मिंग

गेतलसूद बांध में वर्ष 2012-13 से ही केज मछली पालन का काम किया जा रहा है। जलाशय में नीली क्रांति के अंर्तगत राष्ट्रीय कृषि विकास योजना एवं प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 365 केज की स्थापना की गई है। इन केजिज में तिलापिया, पंगासियस की फार्मिंग की गई और मछली की आबादी बढ़ाने के लिए जलाशय में सालाना 25 लाख फिंगरलिंग्स का भंडारण करने का महत्वपूर्ण काम पूरा किया गया। बाजार संपर्क पहले से ही मौजूद है, क्योंकि स्थानीय रूप से उत्पादित मछली पास के बाजार में बेची जाती है। मछुआरों ने इसे औसतन 120 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर बेचते हैं, जिससे यह क्षेत्र आर्थिक तरक़्क़ी की ओर अग्रसर हो रहा है।

32 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में किया जा सकता है मछली पालन का काम

इस मौके पर सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने पिंजरे में मछली पालने वाले किसानों से उनके मुद्दों और चुनौतियों पर बात की। उन्हें कई तरह के टिप्स भी दिए। साथ ही उन्होंने ये जानकारी भी दी कि हमारे देश में अनुमानित 32 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल के जलाशय हैं। यहां पर मछली पालन किया जा सकता है। लेकिन अभी इसका बहुत कम हिस्सा मछली पालन में इस्तेमाल किया जा रहा है।

यह भी पढ़ें   बकरी पालन के लिए किसानों को दिया गया 7 दिनों का प्रशिक्षण

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि नीली क्रांति संबंधी सीएसएस के तहत, मत्स्य पालन एकीकृत विकास और प्रबंधन योजना 2015-16 से 2019-20 के दौरान मत्स्य पालन विभाग द्वारा शुरू की गई और इसमें कुल 14,022 केजिज को मंजूरी दी गई थी और इस परियोजना में 420 करोड़ रुपये की लागत आई थी। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत 44,908 केजिज को स्वीकृति दी गई है, जिसकी कुल परियोजना लागत 1292.53 करोड़ रुपये है।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
यहाँ आपका नाम लिखें

ताजा खबरें

डाउनलोड एप